Chapter 4 गाँव-शहर
Textbook Questions and Answers
सूचना के अनुसार कृतियाँ करो:
तुलना कीजिए।
Question 1.
Answer:
उचित जोड़ियाँ मिलाइए
Answer:
१- शहर
२ – गांव
कृति पूर्ण कीजिए।
Question 1.
Answer:
Question 2.
Answer:
एक शब्द में उत्तर लिखिए।
Question 1.
ठसाठस भरे हुए
Answer:
शहर
Question 2.
पत्ते झरा हुआ वृक्ष
Answer:
पीपल
Question 3.
बदले-से लगते हैं
Answer:
सुर
Question 4.
जहाँ तिल रखने की जगह नहीं हैं
Answer:
शहर
पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
तुलना कीजिए।
Answer:
एक शब्द में उत्तर लिखिए।
Question 1.
लँगड़ाकर चलने वाली
Answer:
गैया
Question 2.
सड़कों ने खा डाले
Answer:
गैया के खुर
Question 3.
गेहूँ के खेतों में घमाने वाली
Answer:
गिल्ली (गिलहरी)
Question 4.
पद्यांश में प्रयुक्त एक शहर
Answer:
सूरत
भाषाबिंदु
पाठ्यपुस्तक के पाठों से विलोम और समानार्थी शब्द ढूँढकर उनकी सूची बनाइए और उनका अलग-अलग वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
Answer:
नीचे समानार्थी और विलोम शब्दों की सूची दी जा रही हैं। विद्यार्थी इनका वाक्यों में प्रयोग स्वयं करेंगे।
उपयोजित लेखन
वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद लिखिए ।
Answer:
वृक्ष और पंछी के बीच का संवाद निम्नलिखित रूप में है:
वृक्षः हे पंछी! अब मैं तुम्हें छाँव देने लायक नहीं रहा। मेरे सारे पत्ते झड़ गए हैं। मेरी टहनियों को निष्ठुर मानव ने अपने स्वार्थवश काट डाला है।
पंछी: मैं जानता हूँ वृक्षराज! यह मानव बहुत ही निर्दयी है। आखिर एक दिन उसे अपने किए की सजा जरूर मिलेगी।
वृक्षः नहीं नहीं, हे पंछी! तुम ऐसा मत सोचो। मुझे तो मानव की करतूतों पर तरस आ रहा है।
पंछी: आपके साथ इतना कुछ बुरा होने के बाद भी आप उस मानव के लिए अच्छा ही सोच रहे हैं। यह तो आपकी उदारता है।
वृक्षः सोचूँ नहीं तो क्या करूँ? शहरीकरण की इस प्रक्रिया में उसने तो वन-जंगलों को काटने का काम शुरू कर दिया है।
पंछीः मानव को भविष्य में इसका बहुत ही बड़ा परिणाम भुगतना पड़ेगा।
वृक्षः हाँ, इस बात को मैं जानता हूँ। लेकिन उसे कौन समझाएगा?
पंछीः इस मानव ने तो हमें भी बेघर कर दिया है । मेरे सारे भाई-बहन न जाने कहाँ चले गए हैं?
वृक्षः सच कह रहे हो तुम। यदि इस प्रकार पर्यावरण का विनाश हो रहेगा, तो इस सुंदर धरती का संपूर्ण अस्तित्व खतरे में जाएगा।
पंछी: अब तो मानव को सीख लेनी चाहिए और उसे अत्यधिक संख में वृक्ष लगाने चाहिए।
कल्पना पल्लवन
‘भारतीय संस्कृति के दर्शन देहातों में होते हैं।’ इस तथ्य पर अपने विचार लिखिए।
Answer:
भारतीय संस्कृति में आस्तिक उदारता की भावना पाई जाती है। हमारी संस्कृति अत्यंत विशाल, समृद्ध व प्राचीन है। बड़ों के प्रति आदर व श्रद्धा भारतीय संस्कृति का बहुत ही बड़ा सिद्धांत है। भारत में नदियों व पीपल जैसे वृक्षों तथा सूर्य व अन्य प्राकृतिक देवी-देवताओं की पूजा करने का क्रम शताब्दियों से चला आ रहा है। भारतीय संस्कृति के दर्शन शहरों की अपेक्षा देहातों में होते हैं। स्वयं गांधीजी का यह कथन प्रसिद्ध है ‘यदि किसी विदेशी व्यक्ति को भारतीय संस्कृति का सच्चे अर्थ में दर्शन करना है, तो उसे गाँव की ओर बढ़ना चाहिए।’ सचमुच आज भी हमारे देहातों में पुराणों परंपरा एवं मान्यता को सर्वोच्च स्थान दिया जाता है।
देहातों में आज भी त्योहारों को पारंपरिक पद्धति से मनाया जाता है। देहातों में आज भी खशी के पर्वो पर लोककला एवं लोकगीतों का आयोजन किया जाता है। देहातों में जितना अधिक बल आध्यात्मिकता पर दिया जाता है. उतना शहरों में नहीं। देहातों में रहने वालों का जितना अधिक विश्वास ईश्वर पर होता है; उतना शहर में रहने वालों का नहीं होता। इसलिए कहा गया है कि भारतीय संस्कृति के दर्शन देहातों में होते हैं।
Additional Important Questions and Answers
निम्नलिखित पद्यांशों का भावार्थ लिखिए ।
Question 1.
बदला-बदला ……………. टुकुर-टुकुर।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि प्रदीप शुक्ल द्वारा लिखित ‘गाँव-शहर’ इस कविता से ली गई हैं। कवि ने गाँव व शहर के जीवन में जमीन आसमान का अंतर महसूस किया है। उसे स्पष्ट करते हुए कवि कहते हैं कि गाँव व शहर का मौसम बिल्कुल बदला-बदला-सा प्रतीत हो रहा है। उनमें भारी परिवर्तन होता दिखलाई दे रहा है। गाँव व शहर का नक्शा बदलता हुआ दिखाई दे रहा है। शहर अपनी आँखें फाड़कर अपने बदलते नए रूप को देख रहा है और साथ में गाँव भी एकटक नजरे गड़ाकर अपने बदलते विरान रूप की ओर देख रहा है।
Question 2.
तिल रखने की. ……………. झरे हुए।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि प्रदीप शुक्ल द्वारा लिखित ‘गाँव-शहर’ कविता से ली गई हैं। कवि के मतानुसार शहर में भीड़-भाड़ है। वहाँ पर लोगों को रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। शहर में इतनी भीड़ है कि वहाँ तिल रखने के लिए भी जगह नहीं है। गाँव में पीपल के पेड़ के पत्ते झर गए हैं।
Question 3.
मेट्रो के खंभे. ………………….. टुकुर-टुकुर।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि प्रदीप शुक्ल द्वारा लिखित ‘गाँव-शहर’ कविता से ली गई हैं। शहर में मैट्रो के खंभे के नीचे सोकर परमेश्वर नाम का एक व्यक्ति बहुत ही दयनीय स्थिति में रात गुजारता है। एक ओर शहर अपनी आँखें फाड़कर अपने नए रूप को देख रहा है और दूसरी ओर गाँव एकटक नजरे गड़ाकर अपने बदलते रूप को निहार रहा है।
सत्य या असत्य लिखिए।
Question 1.
गाँवों का शहरीकरण हो रहा है।
Answer:
सत्य
Question 2.
शहर के लोग गाँव जाकर नौकरी कर रहे हैं।
Answer:
असत्य
पद्यांश के आधार पर वाक्य पूर्ण कीजिए।
Question 1.
सुरसतिया खेती करने में असमर्थ हैं क्योंकि –
Answer:
सुरसतिया खेती करने में असमर्थ हैं क्योंकि उसके दोनों जवान बेटे नौकरी करने के लिए सूरत गए हैं।
समझकर लिखिए।
Question 1.
पद्यांश में प्रयुक्त एक प्राणी का नाम
Answer:
गिल्ली (गिलहरी)
निम्नलिखित पद्यांशों का भावार्थ लिखिए।
Question 1.
इधर शहर में ……………………. बुकुर-पुकुर।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि प्रदीप शुक्ल द्वारा लिखित ‘गाँव-शहर’ कविता से ली गई हैं। कवि के मतानुसार शहर की तो बात कुछ और ही है। आँख खुलते ही शहर की दुनिया भागम-भाग में व्यस्त हो जाती है। शहर में सर्वत्र भीड़-भाड़ है। किसी के पास किसी के लिए समय नहीं हैं। वहाँ गाँव में रामदीन नामक (ग्रामीण व्यक्ति) एक किसान रेडियो पर स्टेशन जोह रहा है। वह रेडियो पर स्टेशन मिलने की प्रतीक्षा कर रहा है। उसकी बातें सुनकर कवि का हृदय काँपने लगा है।
Question 2.
सुरसतिया ………… घमाने।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियों कवि प्रदीप शुक्ल द्वारा लिखित ‘गाँव-शहर’ इस कविता से ली गई हैं। गाँव से शहरों की तरफ पलायन हो रहा है। सरस्वती के दोनों लड़के गाँव से सूरत शहर में नौकरी करने के लिए गए हैं। अब सरस्वती के खेत में गिलहरी धूप खाने बैठ गई है। अब उसके खेतों में कोई नहीं जाता क्योंकि उसके दोनों बच्चे शहर गए हैं और उसके खेत यूँ ही परती (बिना जोती-बोई जमीनी) पड़े हुए हैं।
Question 3.
लँगड़ाकर ……………………. टुकुर-टुकुर।
Answer:
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि प्रदीप शुक्ल द्वारा लिखित ‘गाँव-शहर’ इस कविता से ली गई हैं। कवि के मतानुसार गाँवों का शहरीकरण हो रहा है; कायापलट हो रहा है। परिवर्तन व विकास की होड़ में अब गाँव भी पीछे नहीं रह गए हैं। गाँव से मिट्टी, धूल अब नदारद हो गई है। गाँव में पक्की सड़कों का निर्माण होने लगा है। उन सड़कों पर चलते समय गैया के खुरों को तकलीफ पहुंच रही है। वह लँगड़ाकर चलने लगी है। शहर अपनी आँखें फाड़कर अपने नए रूप को देख रहा है और साथ में गाँव भी एकटक नजरे गड़ाकर अपने बदलते रूप की ओर देख रहा है।