SAMPLE PAPER-1 Hindi
Questions
विभाग – 1 गद्य (अंक-20)
(क) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
प्रभात का समय था, आसमान से बरसती हुई प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा कर रही थीं। बारह घण्टों के लगातार संग्राम के बाद प्रकाश ने अंधेरे पर विजय पाई थी। इस खुशी में फूल झूम रहे थे, पक्षी मीठे गीत गा रहे थे, पेड़ों की शाखाएँ खेलती थीं और पत्ते तालियाँ बजाते थे। चारों तरफ खुखियाँ झूमती थीं। चारों तरफ गीत गूँजते थे। इतने में साधुओं की एक मंडली शहर के अंदर दाखिल हुई। उनका ख्याल था-मन बड़ा चंचल है। अगर इसे काम न हो, तो इधर-उधर भटकने लगता है और अपने स्वामी को विनाश की खाई में गिराकर नष्ट कर डालता है। इसे भक्ति की जंजीरों से जकड़ देना चाहिए। साधु गाते थे-
सुमर-सुमर भगवान को,
मूरख मत खाली छोड़ इस मन को।
जब संसार को त्याग चुके थे, उन्हें सुर-ताल की क्या परवाह थी। कोई ऊँचे स्वर में गाता था, कोई मुँह में गुनगुनाता था। और लोग क्या कहते हैं, इन्हें इसकी जरा भी चिंता न थी। ये अपने राग में मगन थे कि सिपाहियों ने आकर घेर लिया और हथकड़ियाँ लागकर अकबर बादशाह के दरबार को ले चले।
- संजाल पूर्ण कीजिए :
- निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलकर लिखिए :
(i) पत्ते-
(ii) स्वामी-
(iii) राग-
(iv) आदमी- - निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए।
साधु-संतों को राग विद्या की जानकारी न होने के कारण मौत की सजा दिया जाना क्या उचित है? इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
(ख) निम्नलिखित पठित परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
वर्तमान युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। दुनिया में भौतिक विकास हासिल कर लेने की होड़ मची है। विकास की इस दौड़ में जाने-अनजाने हमने अनेक विसंगतियों को जन्म दिया है। प्रदूषण उनमें से एक अहम समस्या है। हमारे भूमंडल में हवा और पानी बुरी तरह प्रदूषित हुए हैं। यहाँ तक कि मिट्टी भी आज प्रदूषण से अछूती नहीं रही। इस प्रदूषण की चोट से शायद ही कोई चीज बची हो। साँस लेने के लिए स्वच्छ हवा मिलना मुश्किल हो रहा है। जीने के लिए साफ पानी कम लोगों को ही नसीब हो रहा है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि अगले पच्चीस सालों में दुनिया को पेयजल के घनघोर संकट का सामना करना पड़ सकता है। आज शायद ही कोई जल स्रोत प्रदूषण से अप्रभावित बचा हो। कुछ लोगों का कहना है कि अगला विश्वयुद्ध राजनीतिक, सामरिक या आर्थिक हितों के चलते नहीं, वरन् पानी के लिए होगा। यह तस्वीर नि:संदेह भयावह है लेकिन इसे किसी भी तरह से अतिरंजित नहीं कहा जाना चाहिए। परिस्थितियाँ जिस तरह से बदल रही हैं और धरती पर संसाधनों के दोहन के चलते जिस तरह से जबर्दस्त दबाव पड़ रहा है तथा समूची परिस्थिति का तंत्र जिस तरह चरमरा गया है, उसके चलते कुछ भी संभव हो सकता है।
फिलहाल यहाँ हम पर्यावरणीय प्रदूषण के सिर्फ एक पहलू की चर्चा कर रहे हैं और वह है ओजोन विघटन का संकट। पिछले कई वर्षों से पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है तथा इसे लेकर खासी चिंता व्यक्त की जा रही है। आखिर यहाँ सवाल समूची मानव सभ्यता के अस्तित्व का है। प्रश्न उठता है कि यह ओजोन है क्या ? यह कहाँ स्थित है और उसकी उपयोगिता क्या है ? इसका विघटन क्यों और कैसे हो रहा है ? ओजोन विघटन के खतरे क्या-क्या हैं ? और यदि ये खतरे एक हकीकत है तो इस दिशा में हम कितने गंभीर हैं और इससे निपटने के लिए क्या कुछ एहतियाती कदम उठा रहे हैं ?
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(i) दुनिया में किस बात की होड़ मची है?
(ii) अगला विश्व युद्ध किसके लिए होने की आशंका है ?
(iii) पर्यावरणविदों के अनुसार अगले पच्चीस सालों में दुनिया को किस संकट का सामना करना पड़ सकता है ?
(iv) पर्यावरणीय प्रदूषण में लोगों में किस पहलू पर चर्चा हो रही है?
- कृदंत बनाइए।
(i) कहना
(ii) छीजना
(iii) बैठना
(iv) लगना - निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए।
‘बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के उपाय’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
(ग) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 60 से 80 शब्दों में लिखिए। (तीन में से दो)
(i) मौसी की स्वभावगत विशेषताएँ लिखिए।
(ii) ‘पाप के चार हथियार’ पाठ का संदेश लिखिए।
(iii) ‘उड़ो बेटी उड़ो! इस धरती पर निगाह रखकर’ इस पंक्ति में निहित सुगंधा की माँ के विचार स्पष्ट कीजिए।
(घ) निम्नलिखित प्रश्नों के एक वाक्य में उत्तर लिखिए। (चार में से दो)
(i) सुदर्शनजी का वास्तविक नाम लिखिए।
(ii) लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी की भाषाशैली क्या है ?
(iii) आशारानी व्होरा की एक रचना का नाम लिखिए।
(iv) गजल इस भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है।
विभाग – 2 पद्य (अंक-20)
(क) निम्नलिखित पठित काव्यांश को पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए। प्रीति की राह पर चले आओ, नीति की राह पर चले आओ। वह तुम्हारी ही नहीं, सबकी है, गीति की राह पर चले आओ। साथ निकलेंगे आज नर-नारी, लेंगे काँटों का ताज नर-नारी दोनों संगी हैं और सहचर हैं, अब रचेंगे समाज नर-नारी। वर्तमान बोला, अतीत अच्छा था, प्राण के पथ का मीत अच्छा था। गीत मेरा भविष्य गाएगा, यों अतीत का भी गीत अच्छा था।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:(2)
(i) वर्तमान के गीत कौन गाएगा ?
(ii) उपर्युक्त काव्यांश में कवि किसका आवाहन करते है ?
(iii) ‘काँटों का ताज लेंगें’ से कवि का तात्पर्य क्या है ?
(iv) आज के नर-नारी किसकी रचना करेंगे ?
- निम्नलिखित शब्दों में युग्म-शब्द बनाकर लिखिए:
(i) संगी
(ii) अच्छा
(iii) मीत
(iv) साथ - निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए। ‘समाज का नवनिर्माण और विकास नर-नारी के सहयोग से ही संभव है।’ इस पर अपने विचार लिखिए।
(ख) निम्नलिखित पठित काव्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
जड्र, तना, शाखा, पत्ती, पुष्प, फल और बीज
हमारे लिए ही तो है पेड़ की हर एक चीज।
किसी ने उसे पूजा,
किसी ने उस पर कुल्हाड़ी चलाई
पर कोई बताए
क्या पेड़ ने एक बूँद भी आँसू की गिराई ?
हमारी साँसों के लिए शुद्ध हवा
बीमारी के लिए दवा
शवयात्रा, शगुन या बारात
सभी के लिए देता है पुष्पों की सौगात
आदिकाल से आज तक
(2)
सुबह-शाम, दिन-रात
हमेशा देता आया है मनुष्य का साथ
कवि को मिला कागज, कलम, स्याही
वैद, हकीम को दवाई
शासन या प्रशासन
सभी के बैठने के लिए
कुर्सी, मेज, आसन
जो हम उपयोग नहीं करें
वृक्ष के पास ऐसी एक भी नहीं चीज है
जी हाँ, सच तो यह है कि
पेड़ संत है, दधीचि है।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:(2)
(i) पेड़ सभी को क्या देता है ?
(ii) पेड़ दवाई किसको देता है ?
(iii) पेड़ ने कवि को क्या दिया है ?
(iv) पेड़ प्रशासन को क्या देता है ?
- निम्नलिखित शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए:
(2)
(i) जड़
(ii) तना
(iii) फल
(iv) पूजा
- निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए: ‘पेड़ मनुष्य का परम हितैषी’ इस विषय पर अपना मत व्यक्त कीजिए।
(ग) निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर रसास्वादन कीजिए:
(दो में से एक)
- ‘वृंद के दोहे’
मुद्दे:
(i) रचनाकार का नाम
(ii) कविता की केंद्रीय कल्पना
(iii) प्रतीक विधान
(iv) कविता पसंद आने के कारण
(v) पसंद की पंक्तियाँ
(vi) कल्पना
- कवि की भावुकता और संवेदनशीलता को समझाते हुए ‘चुनिंदा शेर’ का रसास्वादन कीजिए।
(घ) निम्नलिखित प्रश्नों के एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
(चार में से दो)
(i) गुरु नानक की रचनाओं के नाम लिखिए।
(ii) कवि डॉ. जगदीश गुप्त की प्रमुख साहित्यिक कृतियों में उनके काव्य संग्रह के नाम बताइए ?
(iii) त्रिलोचन जी के दो काव्य संग्रहों के नाम लिखिए।
(iv) गज़ल किस भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है ?
विभाग – 3 विशेष अध्ययन (अंक-10)
(क) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
अपनी जमुना में
जहाँ घंटों अपने को निहारा करती थी मैं
वहाँ अब शस्त्रों से लदी हुई
अगणित नौकाओं की पंक्ति रोज-रोज कहाँ जाती है ?
धारा में बह-बहकर आते हुए टूटे रथ
जर्जर पताकाएँ किसकी हैं ?
हारी हुई सेनाएँ, जीती हुई सेनाएँ
नभ को कँपाते हुए युद्ध घोष, क्रंदन-स्वर,
भागे हुए सैनिकों से सुनी हुई
अकल्पनीय अमानुषिक घटनाएँ युद्ध की
क्या ये सब सार्थक हैं ?
चारों दिशाओं से
उत्तर को उड्-उड़कर जाते हुए
गृद्धों को क्या तुम बुलाते हो
(जैसे बुलाते थे भटकी हुई गायों को)
जितनी समझ तुमसे अब तक पाई है कनु,
उतनी बटोरकर भी
कितना कुछ है जिसका
कोई भी अर्थ मुझे समझ नहीं आता है
अर्जुन की तरह कभी
मुझे भी समझा दो
सार्थकता है क्या बंधु ?
मान लो कि मेरी तन्मयता के गहरे क्षण
रँंगे हुए, अर्थहीन, आकर्षक शब्द थे-
तो सार्थक फिर क्या है कनु ?
पर इस सार्थकता को तुम मुझे
कैसे समझाओगे कनु ?
शब्द : अर्थहीन
शब्द, शब्द, शब्द
मेरे लिए सब अर्थहीन हैं
यदि वे मेरे पास बैठकर
तुम्हारे काँपते अधरों से नहीं निकलते
शब्द, शब्द, शब्द
कर्म, स्वधर्म, निर्णय, दायित्व
मैंने भी गली-गली सुने हैं ये शब्द
अर्जुन ने इनमें चाहे कुछ भी पाया हो
मैं इन्हें सुनकर कुछ भी नहीं पाती प्रिय,
सिर्फ राह में ठिठककर
तुम्हारे उन अधरों की कल्पना करती हूँ
जिनसे तुमने ये शब्द पहली बार कहे होंगे
- कृति पूर्ण कीजिए:
कनुप्रिया के अनुसार यही युद्ध का सत्य स्वरूप हैं :
(i)
(ii)
(iii)
(iv)
- कृति पूर्ण कीजिए:
(i) कनुप्रिया कनु से इनकी तरह सब कुछ समझना चाहती है सार्थकता
(ii) कनुप्रिया की तन्मयता के गहरे क्षण-
(iii) कनुप्रिया के लिए अर्थहीन शब्द जो गली-गली सुनाई देते हैं-
(iv) कनुप्रिया के लिए वे सारे शब्द तब अर्थहीन है-
- निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए:
‘युद्ध से विनाश एवं शांति से विकास होता है’-इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
(ख) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 80 से 100 शब्दों में लिखिए:
(दो में से एक)
(i) राधा की दृष्टि से जीवन की सार्थकता बताइए।
(ii) “कवि ने राधा के माध्यम से आधुनिक मानव की व्यथा को शब्दबद्ध किया है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
विभाग – 4 व्यावहारिक हिंदी अपठित गद्यांश और पारिभाषिक शब्दावली (अंक-20)
(क) निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 100 से 120 शब्दों में लिखिए: (6) फीचर लेखन की विशेषताएँ लिखिए।
अथवा
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
‘ब्लॉग’ अपना विचार, अपना मत व्यक्त करने का एक डिजिटल माध्यम है। ब्लॉग के माध्यम से हमें जो कहना है; उसके लिए किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती। ब्लॉग लेखन में शब्दसंख्या का बंधन नहीं होता। अतः हम अपनी बात को विस्तार से रख सकते हैं। ब्लॉग, वेबसाइट, पोर्टल आदि डिजिटल माध्यम हैं। अखबार पत्रिका या पुस्तक हाथ में लेकर पढ़ने की बजाय उसे कम्प्यूटर, टैब या सेलफोन से परदे पर पढ़ना डिजिटल माध्यम कहलाता है। इस प्रकार का वाचन करने वाली पीढ़ी इंटरनेट के महाजाल के कारण निर्माण हुई है। इसके कारण लेखक और पत्रकार भी ग्लोबल हो गए हैं। नवीन वाचकों की संख्या मुद्रित माध्यम के वाचकों से बहुत अधिक है। इस वर्ग में युवा वर्ग अधिक संख्या में है। दुनिया की कोई भी जानकारी एक क्षण में ही परदे पर उपलब्ध हो जाती है।
ब्लॉग की खोज:
ब्लॉग की खोज के संदर्भ में निश्चित रूप से कोई डॉक्युमेंटेशन उपलब्ध नहीं है पर जो जानकारी उपलब्ध है।
उनके अनुसार जस्टीन हॉल ने सन् 1994 में सबसे पहले इस शब्द का प्रयोग किया। जॉन बर्गर ने इसके लिए वेब्लॉग (Weblog) शब्द का प्रयोग किया था। माना जाता है कि सन् 1999 में पीटर मेरहोल्स ने ‘ब्लॉग’ शब्द को प्रस्थापित कर उसे व्यवहार में लाया। भारत में 2002 के बाद ‘ब्लॉग लेखन’ आरंभ हुआ और देखते-देखते यह माध्यम लोकप्रिय हुआ तथा इसे अभिव्यक्ति के नये माध्यम के रूप में मान्यता भी प्राप्त हुई।
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
(i) ब्लॉग क्या है?
(ii) डिजिटल माध्यम के उदाहरण बताइए ?
(iii) ब्लॉग की खोज के संदर्भ में लेखक ने क्या कहा है ?
(iv) सन् 1999 में कौन ‘ब्लॉग’ शब्द को प्रस्थापित कर उसे व्यवहार में लाया ?
- निम्नलिखित शब्दों के कृदंत बनाकर लिखिए:
(i) लगना
(iii) कहना
(ii) बैठना
(iv) छाजना - निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर 40 से 50 शब्दों में लिखिए:
ब्लॉग लेखन से तात्पर्य क्या है ?
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 80 से 100 शब्दों में लिखिए: (4)
(दो में से एक)
- प्रकाश उत्पन्न करने वाले किसी एक जीव की खोज कीजिए।
- “ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होइ” भाव पल्लवन कीजिए।
अथवा
सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए:
- भारत में ब्लॉग लेखन आरंभ हुआ :
(i) 1999 के पूर्व
(ii) 2002 के पूर्व
(iii) 2002 के बाद
(iv) 1994 के बाद - फीचर लेखन के मुख्य तीन अंगों में से एक है:
(i) उपसंहार
(ii) फीचर योजना
(iii) विवरण
(iv) फीचर कलेवर - कार्यक्रम में चार चाँद लगने का कारण :
(i) सूत्र संचालक का सुचारू संचालन
(ii) स्टेज डेकोरेशन
(iii) लाउडस्पीकर
(iv) कार्यक्रम के अतिथि
- समुद्र का सबसे बड़ा जीव ह्रेल की लम्बाई है।
(i) 30 मीटर
(ii) 20 मीटर
(iii) 40 मीटर
(iv) 25 मीटर
(ग) निम्नलिखित अपठित परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के बाद शनि ग्रह की कक्षा है। शनि सौरमंडल का दूसरा बड़ा ग्रह है। यह हमारी पृथ्वी के करीब 750 गुना बड़ा है। शनि के गोले का व्यास 116 हज़ार किलोमीटर है; अर्थात्, पृथ्वी के व्यास से करीब नौ गुना अधिक। सूर्य से शनिग्रह की औसत दूरी 143 करोड़ किलोमीटर है। यह ग्रह प्रति सेकंड 9.6 किलोमीटर की औसत गति से करीब 30 वर्षों में सूर्य का एक चक्कर लगाता है। अतः 90 साल का कोई बूढ़ा आदमी यदि शनि ग्रह पर पहुँचेगा, तो उस ग्रह के अनुसार उसकी उम्र होगी सिर्फ तीन साल!
(iii) राधा-वन्दन चंद सो सुंदर।
(iv) उदित उदय गिरि मंच पर। रघुबर बाल पतंग।
(ग) निम्नलिखित उदाहरणों के रस पहचानकर लिखिए।
(2)
(चार में से दो)
(i) माटी कहै कुम्हार से तू क्यों रॉंदे मोय। एक दिन ऐसा आएगा, में रोदूँगी तोय॥
(ii) एक अचंभा देखा रे भाई, ठाढ़ा सिंह चरावै गाई। पहले पूत पाछो भाई, चेला कें गुरू लागे पाई॥
(iii) दुख में सुमिरण सब करै, सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरण करे, ताको काहे दुःख होय॥
(iv) सिर पर बैठ्यो काग, आँख दोऊ खात निकारत। खींचत जीभहिं स्यार अतिहिं आनंद उर धारत।
गिद्ध जाँघ को खोदि-खोदि कै माँस उपारत, स्वान आँगुरिन काटि-काटि कै, खात विदारत।
(घ) निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए।
(चार में से दो) (2)
(i) चार चाँद लगना
(ii) आँखों में धूल झोंकना
(iii) उल्टी गंगा बहाना
(iv) तलवे चाटना
(ङ) निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए।
(चार में से दो)
(i) परन्तु अग्यान भी अपराध है।
(ii) सत्य की मारग सरल हैं।
(iii) पाप के पास चार शस्त्रे है।
(iv) मैने फिर चुप रहना ही उचित समजा।
Answer Key
विभाग – 1 गद्य
(क)
- (i) पत्ते-पत्तियाँ
(ii) स्वामी-स्वामिनी
(iii) राग-रागिनी
(iv) आदमी-औरत।
- साधु-संत दीन-दुनिया से विरक्त ईश्वर आराधना में लीन रहने वाले लोग होते हैं। वे अपने साथी साधु-संतों से सुने-सुनाए भजन-कीर्तन अपने ढंग से गाते हैं। उन्हें राग छंद और संगीत का समुचित ज्ञान नहीं होता। भजन भी वे अपनी आत्म-संतुष्टि और ईश्वर आराधना के लिए गाते हैं। उनका उद्देश्य उसे राग में गाकर किसी को प्रसन्न करना नहीं होता। आगरा शहर में बिना सुर-ताल की परवाह किए हुए और बादशाह के कानून से अनभिज्ञ से साधु गाते हुए जा रहे थे। इन्हें इस जुर्म में पकड़ लिया गया था कि वे आगरा की सीमा में गाते हुए जा रहे हैं। अकबर के मशहूर रागी तानसेन ने यह नियम बनवा दिया था कि जो आदमी राग विद्या में उसकी बराबरी न कर सके वह आगरा की सीमा में न गए। यदि गाए तो उसे मौत की सजा दी जाए। अतः इन्हें मौत की सजा दे दी गई। इस तरह साधुओं को मौत की सजा देना उनके साथ बिलकुल अन्याय है। इस तरह के कानून से तानसेन के अभिमान की बू आती है।
(ख)
- (i) दुनिया में भौतिक विकास हासिल कर लेने की होड़ मची है।
(ii) अगला विश्व युद्ध पानी के लिए होने की आशंका है।
(iii) पर्यावरणविदों के अनुसार अगले पच्चीस सालों में दुनिया को पेयजल के घनघोर संकट का सामना करना पड़ सकता है।
(iv) पर्यावरणीय प्रदूषण में लोगों में ओजोन विघटन के बारे में चर्चा हो रही है।
2. (i) कहावत
(ii) छीजन
(iii) बिठाना
(iv) लगाई
- मानव प्रकृति में प्रदूषण जहर की तरह धीमे गति से फैल रहा है। यह प्रदूषण पानी, हवा, धूल के माध्यम से मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और वनस्पतियों को भी नष्ट कर देता हैं। प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण जैसे – ध्वनि, वायु, जल प्रदूषण इन खतरनाक प्रदूषण से बचने के लिए हम धीरे-धीरे कोई उपाय करें, तो हमारी पृथ्वी की सुंदरता जो की पर्यावरण है, उसे बचाया जा सकता है।
प्रदूषण से बचने के लिए हमें उद्योग-धन्धों, कारखानों की स्थापना मनुष्य बस्तियों से दूर करनी चाहिए। चिमनियों की ऊँचाई अधिक और उनमें फिल्टर का प्रयोग करना चाहिए, जिससे अनावश्यक गैसें या पदार्थ शुद्ध हवा में न मिल पाएँ। साथ ही हमें अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। पेड़-पौधे प्रदूषण नियंत्रक का काम करते हैं। पीने के पानी ‘नदी’ तालाब में कपड़े या जानवर नहीं धोने चाहिए। जंगलों की कटाई पर निर्बंध लगाया जाए।
प्लास्टिक के स्थान पर कागज व कपड़े की थैली का प्रयोग होना चाहिए। सार्वजनिक उत्सव, शादी-ब्याह में लाउडस्पीकर, पटाखे, बड़े-बाजार पर कुछ नियम लगाए जाने चाहिए। प्रदूषण संबंधी सभी नियमों का पालन करके हम प्रदूषण पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
(ग)
- ‘कोखजाया’ इस कहानी में लेखक ने वर्तमान मानव समाज, धन, विलासिता, सुख-सुविधाओं को अपने माता-पिता से अधिक बढ़कर महत्त्व दे रहा है, इस बात को स्पष्ट करते हुए इसमें परिवर्तन करने की बात को समझाया है।
मौसी सरल हृदया और बड़ी स्वाभिमानी थीं। साथ ही स्नेही स्वभाव की थी। लेखक की पढ़ाई में मौसी का योगदान था। मौसी ने अपने पिता से मिली सम्पत्ति को जबरन अपनी छोटी बहन को साँप दिया था। एक बार उनके नैहर के गाँव में भयंकर अकाल पड़ा था। तब मौसी ने उन लोगों की हालत देखकर अपने ससुराल से सारा जमा अन्न मँगवाया इतना ही नहीं बाजार से भी आवश्यकतानुसार क्रय करवाया और तीसरे ही दिन से पूरे गाँव के लिए भंडारा खुलवा दिया बहुत ही भावुक हृदय वाली थीं।
मौसी के पति प्रसिद्ध आई.ए.एस. अधिकारी थे। वे बड़े पदों पर आसीन रहे। अंत में वे भारत सरकार के वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए थे। परन्तु मौसी को कभी भी अपने पति के पद या पावर का घमंड नहीं हुआ।
मौसी दयालु, जरूरतमंद को मदद करने वाली सहुदया थी। परन्तु उसी के साथ ही धोखा हुआ। अपने खुद के बेटे ने उनसे विश्वासघात करके वृद्धाश्रम में रहने को मजूबूर किया था। वह अंतिम समय तक स्वाभिमानी रहीं। अपने दाह-संस्कार का अधिकार अपने बहन के बेटे रघुनाथन को देकर श्राद्ध का पूरे खर्चें के लिए उसे चेक दे दिया। वह किसी पर भी बोझ नहीं बनना चाहती थीं। वह स्वाभिमानी थीं।
- ‘पाप के चार हथियार’ इस निबंध में लेखक ने कन्हैया लाल मिश्र जी ने प्रत्येक युग में समाज में होने वाली ज्वलंत समस्या और उसे दूर करने वाले समाज सुधारकों का वर्णन विचारात्मक रूप से किया है। हर युग में समाज में व्याप्त समस्याओं से समाज को बचाने के लिए दार्शनिक, विचारक, संत, महापुरुष जैसे- सुधारक जन्म लेते हैं। परन्तु समाज से यह विडंबना पूरी तरह समाप्त नहीं होती। क्योंकि लोग उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते। लोग उसकी अवहेलना, निंदा करते हैं। कई सुधारकों को अपनी जान तक गँवानी पड़ती हैं। मृत्यु के पश्चात् उसके विचारों और कार्यों का गुणगान करके उसके स्मरण में स्मारक और मंदिर बनाते हैं।
परन्तु पाप के चार हथियार इन विडंबनाओं को पूरी तरह मुक्त नहीं कर पातें। वे हथियार है-उपेक्षा, निंदा, हत्या और श्रद्धा। इसी कारण समाज वैसे ही चलता जा रहा है। महान सुधारकों के कार्य में सक्रिय न होते हुए मृत्यु पश्चात् स्मारक बनवाने वाले उनके विचार आत्मसात नहीं करते। उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए तभी समाज में अच्छा परिवर्तन होगा। यही संदेश लेखक कन्हैयालाल मिश्र यहाँ
देना चाहते हैं और तभी समाज में व्याप्त विडंबनाओं से समाज मुक्त होगा।
- सुगंधा के विचारों का सुगंधा की माँ आदर करती हैं। सपने देखना, उन्हें पूरा करने का प्रयास करना, प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है। सुगंधा अपने जीवन रूपी आकाश में अपने छोटे-छोटे पंखों के द्वारा ऊँचा उठने के लिए ऊँचे सपने देखती है। उसकी माँ उसके इस विचार का समर्थन करती हैं। परन्तु साथ ही अपनी बेटी को वास्तविकता का एहसास भी दिलाना चाहती है। वह कहती है कि धरती से बहुत ऊँचे फैले इन पंखों को वास्तविकता से, सच्चाई से दूर समझकर वह काटना नहीं है, क्योंकि ऊँची उड़ान लेते समय वह लड्खड़ा न जाए। और उसके पंख टूट न जाए और घायल न हो जाए।
सुगंधा की माँ अपनी बेटी को मजबूत बनाना चाहती हैं। इतना ही नहीं सुगंधा की माँ अपनी बेटी को उसके जीवन में, समाज में अपने सपनों को पूरा करते समय वास्तविकता को ध्यान में रखकर समझदारी से कदम उठाने की सलाह देती है। वह जानती है कि उनकी बेटी समझदार लड़की है, परन्तु उसे सावधान करने के लिए उसे फिर से समझाना अपेक्षित है। अपने परिवेश, संस्कार, सांस्कृतिक परंपरा, सामर्थ्य का उसे सहारा लेकर आगे बढ़ना है।
(घ)
- सुदर्शनजी का वास्तविक नाम बदरीनाथ हैं।
- लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी की भाषाशैली सहज और मुहावरेदार हैं।
- आशारानी व्होरा की एक रचना का नाम हैं-‘भारत की प्रथम महिलाएँ।’
- गजल उर्दू भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है।
विभाग – 2 पद्य
(क)
- (i) वर्तमान के गीत भविष्य गाएगा।
(ii) उपर्युक्त काव्यांश में कवि प्रीति, नीति और गीति की राह पर चलने का आवाहन करते हैं।
(iii) ‘काँटों का ताज लेंगें’ से कवि का तात्पर्य यह है कि, आज की युवक-युवतियाँ समाज में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सँभालेंगे।
(iv) आज के नर-नारी समाज की रचना करेंगे।
2. (i) संगी-साथी
(ii) अच्छा-बुरा
(iii) हित-मीत
(iv) साथ-साथ
- ‘नवनिर्माण’ कवि चतुष्पदी में कवि त्रिलोचन जी द्वारा लिखित प्रभावशाली कविता है। प्रस्तुत कविता में कवि ने समाज के उत्थान की बात की है। नर-नारियों से निर्मित समाज है और उसका विकास या उत्थान नर-नारियों के प्रयत्नों से ही होता है। आधुनिक युग में कंधे-से-कंधा लगाकर नर-नारी आगे बढ़ते हैं। एक-दूसरे के सहयोग से ही समाज का नवनिर्माण और विकास संभव है। जिस प्रकार गाड़ियों के दोनों पहिए सक्षम होंगे तभी गाड़ी बनी रहती है। उसी प्रकार समाज में नर-नारी दोनों समाज में, समान रूप से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ संभालेंगे, तभी समाज की उन्नति होगी। इतना ही नहीं दोनों सहचर भी हैं। वे समाज में फैले पुराने विचारों, रूढ़ियों, परंपराओं को समाज से त्यागकर नया विचारों का निर्माण करना चाहते हैं।
नर-नारी केवल समाज का उत्थान ही नहीं बल्कि नया ज्ञान का प्रचार-प्रसार करेंगे। स्त्री-पुरुष समानता का तत्व दृष्टिगोचर होता
है अर्थात् नर-नारियों के बल पर ही हम समाज का नवनिर्माण और विकास संभव हैं।
(ख)
- (i) पेड़ सभी को पुष्पों की सौगात देता है।
(ii) पेड़ दवाई वैद्य को देता है।
(iii) पेड़ ने कवि को कागज दिया है।
(iv) पेड़ प्रशासन को कुर्सी देता है।
- (i) जड़-वृक्ष अपनी जड़ के द्वारा धरती से पोषक तत्त्व ग्रहण करता है।
(ii) तना-तने के कारण ही पेड़ खड़ा रहता है।
(iii) फल-भोजन में हमें मौसमी फलों का समावेश करना चाहिए।
(iv) पूजा- मेरी माँ नियमपूर्वक रोज पूजा करती है।
- मनुष्य को अपने जीवन में पेड़ प्रकृति की ओर से धरती को मिला हुआ अनमोल उपहार हैं। पेड़ और मनुष्य की दोस्ती बड़ी पुरानी हैं। पेड़ धरती की शोभा है। भारतीय संस्कृति में मनुष्य और पेड़ का अनन्य साधारण महत्व हैं।
वृक्ष मनुष्य की हर प्रकार से सहायता करते हैं। वे मनुष्य को फल-फूल, पत्ते देते हैं। पेड़ वर्षा लाने में सहायक होते हैं, और वर्षा आने से हमें फसलें मिलती हैं, अनाज पैदा होता है, जिस प्रकार पेड़ मनुष्य के लिए लाभदायक होते हैं, वैसे पशु-पक्षियों और जानवरों के लिए भी पेड़ उपयोगी होते हैं।
परन्तु आजकल हम देखते हैं कि मनुष्य वन, जंगलों की कटाई बड़ी मात्रा से कर रहा है। इस कारण जंगल उजड़ रहे हैं। पर्यावरण का
असंतुलन हो रहा है। हम कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, वृक्ष उसे ग्रहण करके हमें उपयुक्त ऑक्सीजन वायु प्रदान करते हैं। हमें जीवन देते हैं। तुलसी का पौधा, बेल के पेड़ वातावरण की शुद्धता के लिए आवश्यक हैं।
पेड़ और मनुष्य का संबंध बड़ा गहरा होता है। इसी कारण मनुष्य को चाहिए कि वह पेड़ लगाए और उसका संरक्षण करें। इसमें मनुष्य का हित है।
(ग)
- (i) वृंद। (वृंदावनदास)
(ii) प्रस्तुत दोहे में नीतिपरक बातों की सीख दी गई है।
(iii) दोहों को समझाने के लिए कवि वृंद ने कई प्रतीकों का सुंदर उपयोग किया है। जैसे-नयना, सौर (चादर), काठ की हाँडी, वायस, गरूड़, गागरि, पाथर, कोकिल, अंबा, निबौली, कुल्हाड़ी, विखान आदि कविता में प्रयुक्त प्रतीकों का समावेश हुआ है।
(iv) कविता पसंद आने के कारण : संसार की कोई वस्तु किसी को देने से कम नहीं होती है। ज्ञान का भंडार निराला है। ज्ञान भी जीतना हो तो उतना अधिक बढ़ता है। इतना ही नहीं ज्ञान दूसरों को न देकर अपने ही पास रखने से वह नष्ट हो जाता हैं। ज्ञानभंडार की विपुलता, उसके विशेष गुण की महत्ता की जानकारी कविता में दी गई है, इस कारण कविता पसंद आयी।
(v) पसंद की पंक्तियाँ :
सुरसति के भंडार की, बड़ी अपूरब बात ज्यों खरचै त्याँ-त्याँ बढ़े, बिन खरचे घटिजात।
(vi) कल्पना : अनेक नीति-परक उपयोगी बातें दोहों का विषय।
- कवि कैलाश सेंगर रचित ‘चुनिंदा शेर’ कविता का लोकप्रिय प्रकार गज़ल है। प्रस्तुत गज शेरों में कवि अपने जीवन में आयी परेशानियों से इस प्रकार सामना करते हैं, कि मानों उजाले फूट पड़े हैं। सारी परेशानियों का हल उन्होंने ऐसे निकाला, जैसे कभी परेशानियाँ ही नहीं आयी थीं। प्रस्तुत कविता में जो विचार रखे हैं, वे भावुक और संवेदनशील हैं।
सामाजिक अव्यवस्था और विडंबना के विभिन्न चित्र शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया है। इस सामाजिक अव्यवस्था में आम
आदमी की अनसुनी कराहें शेरों के माध्यम से कवि ने हम तक पहुँचाने का प्रयास किया हैं। आम मनुष्य की भावुकता को विवशता को समाप्त करने के प्रयासों को कवि ने वाणी प्रदान की है। इसलिए कहते है, ‘ हहमें चट्टानों पर फूल’ खिलाना आता है।
मानवी दुख है, जो मनुष्य को भुगतना पड़ रहा है। जैसे-अनाज के दाने तो दिए जा रहे हैं लेकिन उन दानों को कीड़ों ने खाकर खोखला बना दिया हैं। अर्थात् परिदें भी इन दानों को खा नहीं सकते। मनुष्य दुखी होने पर झूठी हँसी हँसता है, हँसी और आँसु जीवन की दो भावनाएँ हैं। मनुष्य आँखों से आँसुओं को छिपाकर झूँठी हँसी मुख पर लाता है। वह नया मुखौौा धारण नहीं कर सकता।
नदी की वास्तविकता यहाँ दर्शायी है। कुछ लोग नदी को पवित्र मानकर उसकी पूजा अर्चना करते हैं, दिए पानी में छोड़ते है, आरती उतारते हैं। ऐसी पवित्र नदी में लाशें, मुर्दे लाकर डाले जाते हैं। वह नदी में बहते हुए दिखायी देते हैं। जैसे नदी की पूजा करने वालों को नदी के पानी की साफ-सफाई करने की हिदायत दी जाती है। नदी के पानी के प्रति देखने की भावना संवेदनशील हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों, असफलताओं और अन्याय को सहन करने की शक्ति जिस दिन समाप्त हो जाएगी उस व्यक्ति का विवेक उसका साथ छोड़ देगा। वह दिन बस विद्रोह का दिन होगा। प्रस्तुत शेरों में साहूकारी पर भी प्रकाश डाला है, जो समाज के कीड़े हैं। प्रस्तुत शेरों में नीतिपरक बातों को भी स्थान दिया है जो मानवीय मूल्यों को प्रदर्शित करता हैं। जितनी चादर है उतने ही पैर फैलाने है। इस प्रकार ‘चुनिंदा शेर’ में भावुकता एवं संवेदनशीलता को स्थान दिया है।
(घ)
- गुरु नानक की रचना का नाम गुरु ग्रंथ साहिब आदि।
- कवि डॉ. जगदीश गुप्त की प्रमुख साहित्यिक कृतियों में उनके काव्य संग्रह में ‘नाँव के पाँव, शब्द दंश, हिम विद्ध, गोपा गौतम’ आदि प्रमुख हैं।
- त्रिलोचन जी के दो काव्य संग्रहों के नाम हैं-
(1) धरती और (2) दिगंत।
- गज़ल उर्दू भाषा का लोकप्रिय काव्य प्रकार है।
विभाग – 3 विशेष अध्ययन
(क)
- (i) टूटे रथ, जर्जर पताकाएँ।
(ii) हारी हुई सेनाएँ, जीती हुई सेनाएँ।
(iii) नभ को कँपाते हुए युद्ध घोष, क्रंदन स्वर।
(iv) भागे हुए सैनिकों से सुनी हुई अकल्पनीय, अमानुषिक घटनाएँ।
- (i) अर्जुन की तरह
(ii) रँंगे हुए अर्थहीन आकर्षक शब्द।
(iii) कर्म, स्वधर्म, निर्णय, दायित्व।
(iv) जब वे कनु के काँपते अधरों से नहीं निकलते।
- युद्ध का परिणाम दोनों पक्षों को भुगतना पड़ता हैं। दोनों पक्षों का इसमें नुकसान होता है। परन्तु आने वाली स्थिति युद्ध करने के कारण होती है। युद्ध के परिणाम भयानक होते हैं, इस कारण युद्ध कोई नहीं चाहता। युद्ध में दोनों पक्षों को लड़ाई के उपकरण और अस्त्रों-शस्त्रों की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसमें आर्थिक क्षति का सामना दोनों पक्षों को झेलना पड़ता है। अनेक सैनिक मृत्युमुखी पड़ते हैं, उनके घर-परिवार उजड्ड जाते हैं। आर्थिक क्षति के कारण देश का आर्थिक
नुकसान होता है। आने वाली पीढ़ी को भी इस आर्थिक क्षति और युद्ध के परिणाम अनेक वर्षों तक भोगने पड्ते हैं।
शांति सभी के लिए महत्वपूर्ण है। देश, समाज, प्रत्येक व्यक्ति के लिए शांति का समय विकास का समय होता है। युद्ध में होने वाला अनावश्यक खर्च अगर देश के विकास में लग जाए तो इससे अच्छी बात दूसरी नहीं है। इस देश की जनता को इस लाभ से फायदा मिलता है। उन्हें रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं। लोग सम्पन्न होते हैं। शासक और शासित दोनों खुशहाल होते हैं। शांति से विकास की ओर कदम पड़ते हैं तो युद्ध से विनाश और क्षति, अधोगति होती है। इस प्रकार शांति और युद्ध परस्पर विरोधी हैं।
(ख)
- ‘कनुप्रिया’ डॉ. धर्मवीर भारती रचित नायिका प्रधान काव्य हैं। जिसमें राधा के मन में श्रीकृष्ण और महाभारत के पात्रों को लेकर चलनेवाला पात्र है। राधा के लिए प्रेम जीवन में सर्वोपरि है। युद्ध उसके मतानुसार निरर्थक है। श्रीकृष्ण महाभारत के युद्ध का अवलंब करते हैं। फिर भी राधा-श्रीकृष्ण का साथ देती हैं। वह जीवन की
घटनाओं को और व्यक्तियों को केवल प्यार की कसौटी पर ही कसती हैं।
राधा ने कान्हा के साथ सदैव तन्मयता के क्षणों को जिया है। कृष्ण के कर्म, स्वधर्म, निर्णय तथा दायित्व जैसे शब्दों को राधा समझ नहीं पाती है। श्रीकृष्ण से उसने सिर्फ प्रणय के ही शब्द सुने थे। राधा का प्रेम कनु के कारण व्यथित और दुखी हुआ है फिर भी कनु को चाहिए कि वह अपना दुख छिपाए। राधा महाभारत के युद्ध महानायक कृष्ण को संबोधित करते हुए कहती है कि, ‘ मैं तो तुम्हारी वही बावरी सखी हूँ, तुम्हारी मित्र हूँ। मैंने तुमसे सदा स्नेह ही पाया है, और मैं स्नेह की ही भाषा समझती हूँ।’
इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से यही ज्ञात होता है कि, राधा की दृष्टि से जीवन की सार्थकता ‘प्रेम की पराकाष्ठा में है’।
- डॉ. धर्मवीर भारती जी लिखित ‘कनुप्रिया’ काव्य एक बेजोड़, अनूठी और अद्भुत कृति है। इस काव्य में राधा अपने प्रियतम ‘महाभारत’ के युद्ध महानायक के रूप में अपने से दूर चले जाने से व्यथित हैं,
दुखी हैं। इस बात को लेकर वह अनेक कल्पनाएँ करती हैं। राधा का मानसिक संघर्ष यहाँ पर व्यक्त हुआ है। वह कभी अपने दुख व्यक्त करती है, तो कभी अपने प्रिय की उपलब्धि पर गर्व करके समाधान मानती है।
यह दुख, यह व्यथा राधा की ही नहीं हैं, बल्कि उन बेटों की भी हैं, जो नौकरी-व्यवसाय के सिलसिले में अपनी गृहस्थी के प्रति अपना दायित्व निभाने के लिए अपने माता-पिता से दूर रहते हैं। माता-पिता को उनसे बिछड़ने की व्यथा का दुख भोगना पड़ता है। सालों-साल तक माता-पिता अपने बेटों को देख नहीं पाते हैं। तब माता-पिता को, कभी व्यथा भी होती है, तो कभी आनंद और गर्व भी होता है कि, बेटा बड़े पद पर है, अगर उनके साथ होता तो वह बड़े ओहदे पर नहीं होता।
‘कनुप्रिया’ मानवजाति के नज़दीक का काव्य है। आधुनिक मानव के मन में उत्पन्न होने वाली भावनाओं में भी राधा के माध्यम से आधुनिक मानव की व्यथा व्यक्त होती है।
विभाग – 4 व्यावहारिक हिंदी अपठित गद्यांश और पारिभाषिक शब्दावली
(क)
फीचर लेखन की परिभाषा
जेम्स डेविस-“फीचर समाचारों को नया आयाम देते हैं उनका परीक्षण करता है, विश्लेषण करता है तथा उन पर नया प्रकाश डालता है।”
पी.डी. टंडन-” फीचर किसी गद्य गीत की भाँति होता है; जो बहुत लंबा, नीरस और गंभीर नहीं होना चाहिए। अर्थात् फीचर किसी विषय का मनोरंजक शैली में विस्तृत विवेचन हैं।”
विशेषताएँ-फीचर लेखन में शब्द चयन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अच्छा फीचर नवीनतम जानकारी से परिपूर्ण होता है। किसी घटना की सत्यता तन्यता फीचर का मुख्य तत्व होता हैं।
पाठक की मानसिकता और शैक्षिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर फीचर लेखन होना चाहिए। फीचर का विषय समसामयिक होना चाहिए। राष्ट्रीय स्तर के तथा अन्य महत्वपूर्ण विषयों का समावेश फीचर लेखन में होना चाहिए।
फीचर लेखन में विषय की नवीनता का होना आवश्यक होता है। उसमें भावप्रधानता होनी चाहिए। फीचर के विषय से संबंधित तथ्यों का आधार दिया जाना चाहिए। विश्वसनीयता के लिए फीचर में विषय की तार्किकता को देना आवश्यक होता है। फीचर लेखन में किसी व्यक्ति अथवा घटना विशेष का उदाहरण दिया गया। तो उसकी संक्षिप्त जानकारी भी देनी चाहिए। फीचर को प्रभावी बनाने के लिए प्रसिद्ध व्यक्तियों के कथन, उदाहरण लोकोक्तियों और मुहावरों का प्रयोग फीचर में चार चाँद लगा देते हैं।
फीचर लेखन की भाषा सहज, संप्रेषणीयता से पूर्ण होनी चाहिए। फीचर लेखन में विषयानुकूल फोटो, चित्रों और कार्टुनों का उपयोग किया जाय, तो फिचर अंधिक परिणामकारक बनता है। फीचर लेखक को निष्पक्ष रूप से अपना मत व्यक्त करना चाहिए। जिससे पाठक उसके विचारों से सहमत हो सके।
अथवा
- (i) ‘ब्लॉग’ अपना विचार’ अपना मत व्यक्त करने का एक डिजिटल माध्यम है।
(ii) ब्लॉग, वेबसाइट, पोर्टल आदि डिजिटल माध्यम हैं।
(iii) ब्लॉग की खोज के संदर्भ में लेखक ने कहा है कि, इसके निश्चित रूप से कोई डॉक्युमेंटेशन उपलब्ध नहीं हैं। (iv) सन् 1999 में पीटर मेरहोलस ने ‘ब्लॉग’ शब्द को प्रस्थापित कर उसे व्यवहार में लाया।
2. (i) लगाव
(ii) बैठक
(iii) कथन
(iv) छीजना
- ब्लॉग लेखन में लेखक ने ब्लॉग लेखन के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए ब्लॉग लिखने के नियम, स्वरूप और उसके वैज्ञानिक पक्ष की चर्चा की है।
ब्लॉग लेखन द्वारा हम अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। ब्लॉग के माध्यम से हमें जो कहना है, व्यक्त करना है, उसके लिए किसी की अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती। इसमें शब्द संख्या के बंधन के बिना हम अपनी बात विस्तार से रख सकते हैं। आज ब्लॉग, वेबसाइट, पोर्टल आदि डिजिटल माध्यम उपलब्ध हैं। अखबार पुस्तक या पत्रिका हाथ में लेकर पढ़ने के बजाय उसे टैब, कम्प्यूटर या सेलफोन से परदे पर पढ़ना डिजिटल माध्यम कहलाता है। इस कारण लेखक और पत्रकार भी ग्लोबल हो गए हैं।
आज नवीन वाचकों की संख्या मुद्रित माध्यम के वाचकों से बहुत अधिक है। युवा वर्ग अधिक संख्या में हैं। लेखकों के लिए ब्लॉग लेखन एक अच्छा प्लेटफॉर्म हैं। दुनिया की कोई भी जानकारी एक ही क्षण में पर्दे पर उपलब्ध हो जाती है।
(ख)
- प्रकाश उत्पन्न करने वाले अनेक जीव हमारे संसार में उपलब्ध हैं। इन जीवों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है। एक जल में प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव दूसरे जमीन पर प्रकाश उत्पन्न करने वाले जीव।
जुगनू एक ऐसा जीव है, जो जमीन पर प्रकाश उत्पन्न करने वाला है। इसकी जानकारी हम प्राप्त करेंगें। जुगनू रात के अँधेरे में आकाश की ओर रुक-रुक के प्रकाश दिखाते हुए उड़ने वाला सामान्य कीड़ा है। यह कीड़ा ग्रामीण भागों में अधिकतर पाया जाता है। इस जीव में या कीड़ों से जो प्रकाश उत्पन्न होता है उसमें उष्मा नहीं होती है, यह प्रकाश ठंडा होता है। बच्चे जुगनू को मुट्ठी में पकड़कर खेलते हैं। जुगनू रासायनिक पदार्थों की पारस्परिक क्रिया द्वारा प्रकाश उत्पन्न
करते हैं। वह जब रात में आकाश की ओर उड़ते हुए रुक-रुक के प्रकाश छोड्ता है, तब उसके शरीर के पिछले हिस्से में चमकता हुआ दिखाई देता है। वह अपने छोटे-छोटे परों से उड्ता हैं। जुगनू दिन में चिड़ियों या अन्य जीवों द्वारा खाए जाने के डर से झाड़ियों में छिपता है। इस कारण रात में आकाश में उड़ने का उसे अवसर मिल जाता है। एक प्रकार से उड्ते समय रात में वह अपने साथी की प्रकाश के द्वारा खोज करता है। और उसका दूसरा मकसद अपने शिकार की खोज करना भी होता है।
परन्तु कभी-कभी जुगनू प्रकाश उत्पन्न करते हुए जब उडता है, तब अपने शत्रु कीट-पतंगे की नजर में आ जाता है और आसानी से शिकार बन जाता है। जुगनू को प्रकाश उत्पन्न करने के पीछे वैज्ञानिक कारण हो सकता है, परन्तु उसे प्रकाश उत्पन्न करते हुए उड़ते देखना बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको अच्छा लगता है।
- संत कबीरदासजी के छोटे-से दोहे में जीवन का ज्ञान है, वे कहते हैं ढाई अक्षर का शब्द ‘प्रेम’ है जिसने उसे पढ़ लिया है अर्थात् परमात्मा से जिन्हें प्रेम हुआ है वहीं वास्तव में पंडित है। वास्तविक ज्ञान ही प्रेम है, इस प्रेम का प्याला जिसने चखा है उसने परम ज्ञान को प्राप्त किया है, उसकी हर प्रकार की क्षुधा शांत हो गई है। तभी वह भगवान के दर्शन करता है। वेद या ज्ञान हृदय में उतर जाता है, जब भगवान दर्शन देते हैं।
प्रेम जीवन के सुंदरतम् रूप की अभिव्यक्ति है। प्रेम आत्मा की अनंत शक्तियों को जागृत कर उसे पूर्णता के लक्ष्य तक पहुँचाने वाला रचनात्मक भाव है। प्रेम ईश्वर की सच्ची अभिव्यक्ति है। जीवन ज्ञान प्रेम, परमात्मा की भक्ति में है, इसी कारण प्रेम भावना का विकास करके ही मानव परमात्मा को प्राप्त करता है।
अथवा
- (iii) भारत में ब्लॉग लेखन 2002 के बाद आरंभ हुआ।
- (ii) फीचर लेखन के मुख्य तीन अंगों में से एक है फीचर योजना।
- (i) कार्यक्रम में चार चाँद लगने का कारण सूत्र संचालक का सुचारु रूप से संचालन।
- (iv) समुद्र का सबसे बड़ा जीव ह्वेल की लम्बाई 25 मीटर है।
(ग)
2. (i) आकाश गगन
(ii) कथा कहानी
(iii) सूर्य = रवि
(iv) आँख नयन
- सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं और अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को सौरमंडल कहते हैं। सौरमंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मिलित हैं, जो इस मंडल में एक-दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हुए उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कह जाता है जो अन्य तारे न हों जैसे की ग्रह बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा ‘सौर मण्डल’ बनता है। सौर मण्डल में 8 ग्रह हैबुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेपच्यून/ग्रहों के उपग्रह भी होते हैं। जो अपने ग्रहों की परिक्रमा करते हैं। सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है। सूर्य अपने अक्ष पर पूरब से पश्चिम की ओर घूमता है। सूर्य आकाश गंगा के चारों ओर 250 किमी प्रति सेंकेंड की गति से परिक्रमा कर रहा है। सूर्य आकाशगंगा से लगभग 30,000 प्रकाश वर्ष दूरी पर स्थित हैं। सूर्य सौरमंडल का सबसे बड़ा पिंड है।
(घ)
- अधिप्रमाणित
- अग्रिम
- विशेषज्ञ
- अवैध
- शेष राशि
- अदायगी आदेश
- निकास
- चुकता
विभाग – 5 व्याकरण
(क)
- कौन बहिन हम जैसे भुक्खड़ को भाई बनाती है।
- वृद्धाश्रम के प्रबंधक का फोन सुनकर मैं अवाक रह जाऊँगा।
- चट्टानों पर फूल खिलाना हमें आया था।
- मैं अपनी खिड़की के पास बैठकर निहारा करता हूँ।
(ख)
- अतिशयोक्ति अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
(ग)
- भक्ति रस
- वीभत्स रस
(घ)
- चार चाँद लगना-शोभा बढ़ाना।
वाक्य-इंद्रधनुष बनने पर नीले आसमान में चार चाँद लग जाते हैं।
2. आँखों में धूल झोंकना-धोखा देना।
वाक्य-परिक्षक की आँखों में धूल झोंककर कुछ विद्यार्थी अच्छे अंक तो प्राप्त करते हैं, परन्तु जीवन में सफल नहीं हो पाते।
- उल्टी गंगा बहाना-उल्टा काम करना। वाक्य-अध्यापक होकर आप विद्यार्थियों को किताबों की अपेक्षा गाइड से पढ़ने की सलाह देकर उल्टी गंगा बहा रहे हो।
- तलवे चाटना-खुशामद करना।
वाक्य-जब तक राजनीति में तलवे नहीं चाटे जाते वे ऊपर की पोस्ट पर नहीं पहुँच पाते हैं।
(ङ)
- परन्तु अज्ञान भी अपराध है।
- सत्य का मार्ग सरल है।
- पाप के पास चार शस्त्र हैं।
- मैंने फिर चुप रहना ही उचित समझा।