Chapter 10 ठेस
Textbook Questions and Answers
कृति
(कृतिपत्रिका के प्रश्न 3 (अ) के लिए)
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 3.
वाक्यों का उचित क्रम लगाकर लिखिए:
a. सातों तारे मंद पड़ गए।
b. ये मेरी ओर से हैं। सब चीजें हैं दीदी।
c. लोग उसको बेकार ही नहीं, ‘बेगार’ समझते हैं।
d. मानू दीदी काकी की सबसे छोटी बेटी है।
उत्तर:
a. सातों तारे मंद पड़ रहे हैं।
b. ये मेरी ओर से हैं। सब चीजें हैं दीदी!
c. लोग उसको बेकार ही नहीं, ‘बेगार’ समझते हैं।
d. मानू दीदी काकी की सबसे छोटी बेटी है।
(अभिव्यक्ति)
प्रश्न.
‘कला और कलाकार का सम्मान करना हमारा दायित्व है’, इस कथन पर अपने विचारों को शब्दबद्ध कीजिए।
उत्तर:
हमारे देश की संस्कृति में लोक कलाओं की सशक्त पहचान रही है। ये मूलतः ग्रामीण अंचलों में अनेक जातियों व जनजातियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी संरक्षित पारंपरिक कलाएँ हैं। लोक कला का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना कि भारतीय ग्रामीण सभ्यता का। लोक कलाओं में लोकगीत, लोकनृत्य, गायन, वादन, अभिनय, मूर्तिकला, काष्ठकला, धातुकला, चित्रकला, हस्तकला आदि का समावेश होता है। हस्तकला ऐसे कलात्मक कार्य को कहते हैं, जो उपयोगी होने के साथ-साथ सजाने के काम आता है तथा जिसे मुख्यतः हाथ से या साधारण औजारों की सहायता से ही किया जाता है।
ऐसी कलाओं का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व होता है। वर्तमान में लोक कलाओं और कलाकारों को उचित प्रश्रय न मिलने के कारण अनेक लोक कलाओं पर संकट उत्पन्न हो गया है। धीरे-धीरे समय परिवर्तन, भौतिकतावाद, पश्चिमीकरण तथा आर्थिक संपन्नता के कारण परंपरागत लोक कलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जनता व प्रशासन दोनों को ही लोक कलाओं और कलाकारों की पहचान नष्ट होने से बचाने के प्रयास करने चाहिए।
भाषा बिंदु
प्रश्न 1.
कोष्ठक की सूचना के अनुसार निम्न वाक्यों का काल परिवर्तन कीजिए:
a. अली घर से बाहर चला जाता है। (सामान्य भूतकाल)
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b. आराम हराम हो जाता है। (पूर्ण वर्तमानकाल एवं पूर्ण भविष्यकाल)
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c. सरकार एक ही टैक्स लगाती है। (सामान्य भविष्यकाल)
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d. आप इतनी देर से नाप-तौल करते हैं। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
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e. वे बाजार से नई पुस्तक खरीदते हैं। (पूर्ण भूतकाल एवं अपूर्ण भविष्यकाल)
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f. वे पुस्तक शांति से पढ़ते हैं। (अपूर्ण भूतकाल)
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g. सातों तारे मंद पड़ गए। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
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h. मैंने खिड़की से गरदन निकालकर झिड़की के स्वर में कहा। (अपूर्ण भूतकाल)
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उत्तर:
a. अली घर से बाहर चला गया।
b. (अ) आराम हराम हो गया है।
(ब) आराम हराम हो चुका होगा।
c. सरकार एक ही टैक्स लगाएगी।
d. आप इतनी देर से नाप-तौल कर रहे हैं।
e. (अ) उन्होंने बाजार से नई पुस्तक खरीदी थी।
(ब) वे बाजार से नई पुस्तक खरीदते रहेंगे।
f. वे पुस्तक शांति से पढ़ रहे थे।
g. सिरचन ने मुस्कराकर पान का बीड़ा मुँह में ले लिया।
h. मैं खिड़की से गरदन निकालकर झिड़की के स्वर में कह रहा था।
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए वाक्य का काल पहचानकर निर्देशानुसार काल परिवर्तन कीजिए:
उत्तर:
मानू को ससुराल पहुँचाने मैं ही जा रहा था – अपूर्ण भूतकाल
1. सामान्य वर्तमानकाल | मानू को ससुराल पहुँचाने में ही जाता हूँ। |
2. सामान्य भविष्यकाल | मानू को ससुराल पहुँचाने में ही जाऊँगा। |
3. अपूर्ण भविष्यकाल | मानू को ससुराल पहुँचाने में ही जाता रहँगा। |
4. पूर्ण वर्तमानकाल | मानू को ससुराल मैंने ही पहुँचाया है। |
5. सामान्य वर्तमानकाल | मानू को ससुराल पहुँचाने में ही गया। |
6. अपूर्ण वर्तमानकाल | मानू को ससुराल पहुँचाने में ही जा रहा हूँ। |
7. पूर्ण भूतकाल | मानू को ससुराल पहुँचाने में ही गया था। |
8. पूर्ण भविष्यकाल | मानू को ससुराल पहुंचाने में ही जा चुका हूँगा। |
उपयोजित लेखन
प्रश्न.
‘पुस्तक प्रदर्शनी में एक घंटा’ विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लेखन कीजिए।
उत्तर:
पुस्तकें अनमोल होती हैं। वे हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं, क्योंकि वे ज्ञान-विज्ञान का भंडार होती हैं। व्यक्ति आते हैं और चले जाते हैं परंतु उनके श्रेष्ठ विचार, ज्ञान, संस्कृति, सभ्यता, मानवीय मूल्य पुस्तकों के रूप में जीवित रहते हैं। पुस्तक प्रदर्शनी और मेले हमारे लिए वरदान हैं। ये पाठकों और लेखकों का संगम होते हैं। प्रत्येक वर्ष अगस्त में पुणे में कोरेगाँव पार्क में पुस्तक प्रदर्शनी और मेले का आयोजन किया जाता है। अनेक पुस्तक विक्रेता और प्रकाशक वहाँ आते हैं। इस बार मैं भी उस प्रदर्शनी में गया।
स्टालों पर पुस्तकें बड़े आकर्षक ढंग से सजी हुई थीं। सभी स्तर और रुचि के लोगों के लिए वहाँ यथेष्ट सामग्री थी। इतिहास, भूगोल, ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, धर्म, भाषा, यात्रा, जीवन-वृत्त आदि सभी विषयों की पुस्तकें वहाँ थीं। अनेक स्कूलों के विद्यार्थी वहाँ आए हुए थे। बच्चे-बड़े सभी पुस्तकें खरीदने में व्यस्त थे या उनको देख-पढ़ रहे थे। कुछ लोग ग्रुप में खड़े पुस्तकों पर चर्चा कर रहे थे। मेरे पास समय का अभाव था। मैंने अपने और छोटे भाई के लिए मुंशी प्रेमचंद का कहानी-संग्रह तथा हिंदी का एक शब्दकोश खरीदा।
गद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
कारण लिखिए:
गाँव के लोग अब सिरचन को खेत-खलिहान की मजदूरी के लिए इसलिए नहीं बुलाते:
उत्तर:
लोग उसको बेकार ही नहीं, बेगार’ समझते हैं। दूसरे मजदूर खेत पर पहुँचकर एक-तिहाई काम कर चुकते हैं, तब पगडंडी पर तौल-तौलकर पाँव रखता हुआ, धीरे-धीरे कहीं सिरचन राय हाथ में खुरपी डुलाता हुआ दिखाई पड़ेगा।
प्रश्न 2.
वाक्यों को उचित क्रम लगाकर लिखिए:
(i) तुम्हारी भाभी ने कहाँ से बनाना सीखी हैं?
(ii) लोग उसको बेकार ही नहीं, ‘बेगार’ समझते हैं।
(iii) मुफ्त में मजदूरी देनी हो, तो और बात है।
उत्तर:
(i) मुफ्त में मजदूरी देनी हो, तो और बात है।
(ii) मैं पहले ही पूछ लेता, भोग क्या-क्या लगेगा?
(iii) तुम्हारी भाभी ने कहाँ से बनाना सीखी है?
प्रश्न 3.
संजाल पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 4.
एक शब्द में उत्तर लिखिए:
(i) बिना मजदूरी दिए जबरदस्ती लिया गया काम – …………………………..
(ii) बाँस की तीलियों से बना परदा – …………………………..
उत्तर:
(i) बिना मजदूरी दिए जबरदस्ती लिया गया काम- बेगार।
(ii) बाँस की तीलियों से बना परदा- चिक।
कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)
प्रश्न.
‘खेत-खलिहान की मजदूरी इस विषय में 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
भारत गाँवों और खेतों का देश है। यहाँ आज भी देश की दो-तिहाई जनता खेती से जुड़ी है। खेत हैं, खेती है तो मजदूर भी जरूरी हैं। मजदूर और किसान एक-दूसरे के पूरक हैं। मजदूर के बिना किसानों का काम असंभव-सा होता है। फसल की बुआई, गुड़ाई, निराई, सिंचाई आदि के काम के लिए मजदूरों की आवश्यकता होती ही है। भूमिहीन मजदूर परिवार बहुत गरीब होते हैं। उनके पास अपनी जमीन नहीं होती। उन्हें रोजी-रोटी के लिए दूसरों के खेतों में काम करना पड़ता है। फसल की बुआई और कटाई के समय तो बड़े किसानों के खेतों में उन्हें काम और मजदूरी मिल जाती है, परंतु पूरे वर्ष काम नहीं मिल पाता। ऐसे समय इन मजदूरों को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए मजदूरी के अन्य कार्य करने पड़ते हैं। बार-बार कर्ज लेना पड़ता है।
गद्यांश क्र. 2
प्रश्न, निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 2.
गलत वाक्य सही करके लिखिए:
(i) दूध, घी, मलाई न मिले तो कोई बात नहीं किंतु बात में जरा भी झाला सिरचन नहीं बरदाश्त कर सकता।
(ii) आज तो अब अधकपाली दर्द के कारण मन ठीक नहीं है। थोड़ा-सा रह गया है, किसी दिन आकर पूरा कर दूंगा।
उत्तर:
(i) दूध में कोई मिठाई न मिले तो कोई बात नहीं किंतु बात में जरा भी झाला सिरचन नहीं बरदाश्त कर सकता।
(ii) आज तो अब अधकपाली दर्द से माथा टनटना रहा है। थोड़ा-सा रह गया है, किसी दिन आकर पूरा कर दूंगा।
प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए:
(i) सिरचन जाति का यह है – [ ]
(ii) बिना इसके पेट भर भात पर काम करने वाला कारीगर – [ ]
(iii) सिरचन को लोग यह भी समझते हैं – [ ]
(iv) ऐसे बहुत-से काम हैं जिन्हें इसके सिवा गाँव में कोई नहीं जानता – [ ]
उत्तर:
(i) सिरचन जाति का यह है – [कारीगर]
(ii) बिना इसके पेट भर भात पर काम करने वाला कारीगर – [मजदूरी]
(iii) सिरचन को लोग यह भी समझते हैं – [चटोर]
(iv) ऐसे बहुत-से काम हैं जिन्हें इसके सिवा गाँव में कोई नहीं जानता – [सिरंचन]
प्रश्न 4.
कृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
गद्यांश क्र. 3.
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 2.
वाक्यों को उचित क्रम लगाकर लिखिए:
(i) मानू दीदी काकी की सबसे छोटी बेटी है।
(ii) मँझली भाभी का मुँह लटक गया।
(iii) मॅझली भाभी से रहा नहीं गया।
उत्तर:
(i) रंगीन सुतलियों में झब्बे डालकर सिरचन चिक बुनने बैठा।
(ii) मैंझली भाभी से रहा नहीं गया।
(iii) मँझली भाभी का मुँह लटक गया।
प्रश्न 3.
कारण लिखिए:
मझली भाभी का मुँह लटक गया –
उत्तर:
मझली भाभी का प्रस्ताव सुनकर सिरचन ने कहा कि बहुरिया, मोहर छापवाली धोती के साथ रेशमी कुर्ता देने पर भी ऐसी चीज नहीं बनती। मानू दीदी का दूल्हा अफसर है। सिरचन की बात सुनकर मझली भाभी का मुँह लटक गया।
प्रश्न 4.
वाक्य पूर्ण कीजिए:
(i) मानू के दूल्हे ने पहले ही बड़ी भाभी को –
(ii) मोहर छापवाली धोती नहीं, मुंगिया लड्डू, बेटी की बिदाई के समय –
उत्तर:
(i) मानू के दूल्हे ने पहले ही बड़ी भाभी को लिखकर चेतावनी दे दी है।
(ii) मोहर छापवाली धोती नहीं, मुँगिया लड्डू, बेटी की विदाई के समय रोज मिठाई जो खाने को मिलेगी।
प्रश्न 5.
कृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)
प्रश्न.
‘मन लगाकर काम करना एक गुण है’ इस विषय में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
किसी भी काम को मन लगाकर अर्थात तन्मयता से करना एक गुण है। उसका फल भी हमें मिलता है। मन लगाकर किए गए काम के परिणाम हमेशा उत्तम होते हैं। जिस काम को करने में मन लगता है, वह कभी बोझ नहीं लगता। जो काम मन मारकर करना पड़े, वह बोझ बन जाता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो एक किनारे खड़े होकर नाव की तलाश करते हैं अर्थात उचित काम और अवसर की तलाश करते रहते हैं और वह अवसर कभी नहीं आता, वे जिंदगी भर इंतजार ही करते रहते हैं। कुछ लोग नौकरी में मन लगाकर काम ही नहीं करना चाहते। दूसरे साथी जब मेहनत और लगन से काम करके प्रोन्नति पाकर आगे बढ़ जाते हैं, तो ईष्या के वश होकर उन्हें अधिकारियों का चमचा आदि कहते हैं।
गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
ये वाक्य किसने, किससे कहे हैं? लिखिए:
(i) आज सिरचन को कलेवा किसने दिया है?
(ii) अरी मँझली, सिरचन को बुंदिया क्यों नहीं देती?
(iii) बँदिया मैं नहीं खाता, काकी!
(iv) किसी के नैहर-ससुराल की बात क्यों करेगा वह?
उत्तर:
(i) आज सिरचन को कलेवा किसने दिया है? – लेखक ने माँ से कहा है।
(ii) अरी मँझली, सिरचन को बुंदिया क्यों नहीं देती? – लेखक की माँ ने मँझली भाभी से कहा है।
(iii) बुंदिया मैं नहीं खाता, काकी- सिरचन ने लेखक की माँ से कहा है।
(iv) किसी के नैहर-ससुराल की बात क्यों करेगा वह? – चाची ने लेखक की माँ से कहा है।
प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए:
(i) सिरचन को काम में मगन होकर खाने-पीने की यह न रहती।। – [ ]
(ii) चिक में सुतली के फंदे डालकर सिरचन ने इस पर निगाह डाली। – [ ]
(iii) मानू यह सजाकर बाहर बैठकखाने में भेज रही थी। – [ ]
(iv) अरी मैंझली, सिरचन को यह क्यों नहीं देती। – [ ]
उत्तर:
(i) सिरचन को काम में मगन होकर – खाने-पीने की यह न रहती। – [सुध]
(ii) चिक में सुतली के फंदे डालकर – सिरचन ने इस पर निगाह डाली। [सूप]
(iii) मानू यह सजाकर बाहर बैठकखाने में भेज रही थी। – [पान]
(iv) अरी मँझली, सिरचन को यह क्यों नहीं देती। – [बँदियाँ]
प्रश्न 3.
संजाल पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)
प्रश्न.
‘बहू के मायके की आलोचना करना उचित नहीं है इस विषय में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।।
उत्तर:
कहा जाता है कि बेटियों का असली घर उनका ससुराल होता है। जिसे असली घर बताया जाता है, यानि कि ससुराल, वहाँ अकसर बहू को बेगाना समझा जाता है। ससुराल में बहू को कोई हक नहीं होता कि वह अपनी इच्छा से कुछ कर सके। हर छोटी-बड़ी बात के लिए उसे ससुरालवालों की आज्ञा की आवश्यकता होती है। बहू सबकी इच्छाओं का ख्याल रखती है, सबका सम्मान करती है, पर बहू का सम्मान अकसर नहीं किया जाता। स्थिति तब और भी भयंकर हो जाती है, जब ससुरालवाले समय-असमय बहू के मायके की आलोचना करने लगते हैं।
मायकेवालों ने क्या भेजा है, बहू क्या लाई है? आदि प्रश्न घरवाले ही नहीं, कभी-कभी अड़ोस-पड़ोसवालों की जुबान पर भी आने लगते हैं। लड़केवाले प्रायः समझते हैं कि उनका दर्जा लड़कीवालों से ऊँचा है। बात-बात पर बह के मायकेवालों की उपेक्षा की जाती है। उनमें मीन-मेख निकाली जाती है। परिणामस्वरूप, बहू के मन में ससुराल के प्रति विद्वेष की भावना आ जाती है। हमें बहू के मायकेवालों का सम्मान करना होगा। तभी बहू भी ससुरालवालों को सम्मान देगी। हमेशा उनसे कुछ लेने की अपेक्षा करना उचित नहीं है।
गद्यांश क्र.5
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढकर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखिए:
*(i) सिरचन ने छोटी चाची से माँगा –
(ii) सिरचन की घरवाली ने यह बुनी थी –
उत्तर:
(i) सिरचन ने छोटी चाची से माँगा – गमकौआ जर्दा।
(i) सिरचन की घरवाली ने यह बुनी थी – शीतलपाटी।
प्रश्न 2.
वाक्यों को उचित क्रम लगाकर लिखिए:
(i) सिरचन ने मुस्कराकर पान का बीड़ा मुँह में ले लिया।
(ii) चाची कई कारणों से जली-भुनी रहती थी सिरचन से।
(iii) बस, सिरचन की उँगलियों में सुतली के फंदे पड़ गए।
उत्तर:
(ii) चाची कई कारणों से जली-भुनी रहती थी सिरचन से।
(ii) बस, सिरचन की उँगलियों में सुतली के फंदे पड़ गए।
(iii) सातों तारे मंद पड़ गए।
प्रश्न 3.
कारण लिखिए:
(i) मेरा कलेजा धड़क उठा… हो गया सत्यानाश!
(ii) सातों तारे मंद पड़ गए।
उत्तर:
(i) चाची ने सिरचन को बुरी तरह डाँटा था। मैं जानता था कि सिरचन बड़ा स्वाभिमानी है। अब वह मानू की ससुराल के लिए चिक और शीतलपाटी बनाएगा भी या नहीं।
(ii) सिरचन बड़ा स्वाभिमानी था। चाची ने उसे बुरी तरह डाँटा तो वह उस चिक को, जिसे उसने बड़े मन से बनाना शुरू किया था, अधूरी छोड़कर चला गया।
कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)
प्रश्न.
‘सिरचन काम अधूरा छोड़कर चला गया। क्या यह उचित था’ इस विषय में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
लेखक की चाची के बुरा-भला कहने पर सिरचन नाराज होकर काम अधूरा छोड़कर चला गया। इसे किसी भी प्रकार उचित नहीं कहा जा सकता। सिरचन अच्छी तरह जानता था कि चिक और पटेर की शीतलपाटियाँ मानू के अफसर दूल्हे की फरमाइश पर बनवाई जा रही हैं। मानू उन्हें लेकर ही ससुराल जाएगी। फिर भी उसने काम पूरा . नहीं किया और चला गया। यह सिरचन ने ठीक नहीं किया। उसने एक बार भी नहीं सोचा कि दूल्हे की फरमाइश पूरी न होने की स्थिति में मानू को ताने सुनने पड़ सकते हैं। सास-ससुर व घर के अन्य सदस्यों की नाराजगी का शिकार होना पड़ सकता है। उस समय वह मानू, जिसके प्रति सिरचन के मन में भी स्नेह था, कितनी दुखी होगी। सिरचन का काम अधूरा छोड़कर जाना मुझे उचित नहीं लगा। (विद्यार्थी अपने ३ विचार लिखें।)
गद्यांश क्र. 6
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
ये वाक्य किसने, किससे कहे हैं? लिखिए:
(i) यह भी बेजा नहीं दिखलाई पड़ता, क्यों मानू?
(ii) चाची और मँझली भाभी की नजर न लग जाए इसमें भी!
(iii) मानू दीदी कहाँ हैं? एक बार देखू।
(iv) ये मेरी ओर से हैं। सब चीजें हैं दीदी!
उत्तर:
(i) यह भी बेजा नहीं दिखलाई पड़ता, क्यों मानू? – बड़ी भाभी ने मानू से कहा है।
(ii) चाची और मँझली भाभी की नजर न लग जाए इसमें भी! – लेखक ने बड़ी भाभी से कहा है।
(iii) मानू दीदी कहाँ हैं? एक बार देखू। – सिरचन ने लेखक से कहा है।
(iv) यह मेरी ओर से हैं। सब चीजें हैं दीदी! – सिरचन ने मानू से कहा है।
प्रश्न 2.
वाक्यों को उचित क्रम लगाकर लिखिए:
(i) मानू फूट-फूटकर रो रही थी।
(ii) मानू कुछ नहीं बोली!… बेचारी!
(iii) मानू को ससुराल पहुँचाने में ही जा रहा था।
उत्तर:
(i) मानू कुछ नहीं बोली!… बेचारी!
(ii) मानू को ससुराल पहुँचाने मैं ही जा रहा था।
(iii) मानू फूट-फूटकर रो रही थी।
प्रश्न 3.
दो ऐसे प्रश्न बनाइए, जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों:
(i) सिरचन ने
(ii) मानू।
उत्तर:
(i) किसने दाँत से जीभ को काटकर दोनों हाथ जोड़ दिए?
(ii) मोहर छापवाली धोती का दाम कौन देने लगी?
कृति 2: (स्वमत अभिव्यक्ति)
प्रश्न.
‘सिरचन भावनाओं से परिपूर्ण व्यक्ति था’ इस विषय में अपने विचार 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
सिरचन भावनाओं से परिपूर्ण व्यक्ति है। वह एक उच्चकोटि का कलाकार है। चिक, शीतलपाटी आदि बनाने में पूरे क्षेत्र में उसका कोई सानी नहीं है। लेखक का परिवार, विशेष रूप से उनकी माँ का सिरचन बहुत आदर करता है। लेखक की माँ भी सिरचन की कला का सम्मान करती है। शायद इसीलिए लेखक की चाची उससे जली-भुनी रहती है। भावुक होने के कारण सिरचन को किसी के द्वारा टोका जाना तनिक भी बर्दाश्त नहीं होता। इसीलिए चाची के बुरा-भला कहने पर वह नाराज होकर काम अधूरा छोड़कर चला जाता है।
परंतु सिरचन जानता है कि चिक, शीतलपाटी आदि सभी चीजों के लिए मानू के अफसर पति ने फरमाइश की थी। उसे मानू से स्नेह था। अतः नाराज होने के बावजूद वह मानू के लिए वे सारी चीजें बनाता है और इतनी सुंदर कि लेखक भी उसकी कारीगरी देखकर दंग रह जाता है। सिरचन स्वयं उन्हें लेकर स्टेशन आता है। मानू जब माँ द्वारा कही गई मोहर छापवाली धोती का दाम सिरचन को देना चाहती है तो वह दोनों हाथ जोड़कर मना कर देता है।
उपक्रम/कृति/परियोजना
प्रश्न.
लेखनीय
लोक कलाओं के नामों की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
- मधुबनी
- जादोपाटिया
- कलमकारी
- कांगड़ा
- गोंड
- चित्तर
- तंजावुर
- थंगक
- पातचित्र
- पिछवई
- पिथोरा
- फड़
- बाटिक
- यमुनाघाट
- वरली।
प्रश्न.
पठनीय
देश की आत्मा गाँवों में बसती है, गांधी जी के इस विचार से संबंधित लेख पदिए तथा इस पर स्वमत प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
हमारा देश कृषिप्रधान देश है। यह गाँवों का देश है। भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। सरित-सरोवर, झील-जलाशय, विविध विटप, वन-पर्वत, खेत-खलिहान और सहज-स्वाभाविक जीवन शैली सब गाँवों में ही उपलब्ध हो सकती है। आज भी भारत की 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गाँवों में बसती है। परंतु देश के आर्थिक विकास का लाभ गाँववासियों को संख्या के अनुपात में नहीं मिल पाता। आज भी असंख्य गाँव देश की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पाए हैं। गाँवों की समस्याएँ चाहे गरीबी हो, सामाजिक हो, पेयजल हो या बिजली, सड़क, शिक्षा आदि हों, इन्हें कभी भी गंभीर रूप से नहीं लिया गया। शहर के निकट बसे गाँवों में तो फिर भी विकास की संभावनाएं बनी रहती हैं, परंतु दूर-दराज के पिछड़े गाँवों के विकास के प्रति प्रशासन का ध्यान ही नहीं जाता। देखा जाए तो गाँवों की प्रगति से ही पूरे देश की प्रगति जुड़ी है, क्योंकि गाँवों से ही हमारी प्रत्येक आवश्यकता अनाज, वस्त्र, कागज, ईंधन, उद्योगों के लिए कच्चा माल आदि की पूर्ति होती है।
प्रश्न.
संभाषणीय
आपकी तथा परिवार के किसी बड़े सदस्य की दिनचर्या की तुलना कीजिए तथा समानता एवं अंतर बताइए।
उत्तर:
मैं दसवीं कक्षा की छात्रा हूँ और उसी स्कूल में पढ़ती हूँ, जहाँ मेरी माँ वाइस प्रिंसिपल हैं और हिंदी की प्राध्यापिका हैं। हम दोनों आठ बजे बस से स्कूल जाते हैं और दो बजे घर लौटते हैं। माँ सुबह जल्दी जगती हैं। नाश्ता और दोपहर का खाना बनाती हैं। मुझे जगाती हैं। स्वयं तैयार होती हैं। फिर हम स्कूल के लिए निकलते हैं। स्कूल से घर आकर मैं कपड़े बदलती हूँ, तब तक माँ खाना गरम करती हैं। खाना खाते समय हम दोनों स्कूल व मेरी पढ़ाई के विषय में बातें करते हैं। उसके बाद हम दोनों लगभग एक घंटा विश्राम करते हैं। चार बजे माँ फिर से काम पर लग जाती हैं।
विद्यार्थियों का गृहकार्य-कक्षाकार्य आदि जाँचना, कभी परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र बनाना और कभी परीक्षा की उत्तर-पुस्तिकाएँ जाँचना, हर दिन माँ के पास स्कूल से संबंधित काम होता ही है। मैं भी उनके पास बैठकर पढ़ती हूँ। छह-साढ़े छह बजे माँ रात के खाने की तैयारी के लिए रसोई में जाती हैं। इस बीच मैं अपनी सहेलियों के साथ कुछ देर खेलने चली जाती हूँ। आठ बजे पिता जी के आने के बाद हम तीनों खाना खाते हैं। उसके बाद मैं पढ़ती हूँ और ग्यारह बजे सो जाती हूँ।
प्रश्न.
श्रवणीय
महाराष्ट्र में चलाए जाने वाले लघु उद्योगों की जानकारी रेडियो/दूरदर्शन पर सुनिए और इसके मुख्य मुद्दों को लिखिए।
उत्तर:
महाराष्ट्र में चलाए जाने वाले लघु उद्योग और क्षेत्र:
- कोल्हापुरी चप्पलें (कोल्हापुर)
- वरली पेंटिंग (ठाणे)
- लकड़ी के खिलौने (सावंतवाडी)
- गंजीफा (सावंतवाडी)
- चाँदी का काम (हुपरी)
- बीदरी काम (बीदर)
- दरी (विदर्भ)
- बाँस का सामान (रायगड, ठाणे)
- पीतल के संगीत वाद्य (ताल, झाँझ, घंटे)
ठेस Summary in Hindi
विषय-प्रवेश : कलाकार किसी भी धर्म, जाति और वर्ग का हो, उसे अपनी कला पर अभिमान होता है। वह स्वाभिमान के मूल्य को समझता है और उसकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहता है। जाति या धर्म के नाम पर जब उसके स्वाभिमान पर आघात होता है तो वह उसे बरदाश्त नहीं करता।
प्रस्तुत कहानी में सिरचन नामक एक ग्रामीण कलाकार का वर्णन किया गया है। वह मोथी घास और पटेर की रंगीन शीतलपाटी (चटाई), बाँस की तीलियों की झिलमिलाती चिक, सतरंगे डोर के मोढ़े, भूसी-चुन्नी रखने के लिए पूँज की रस्सी के बड़े-बड़े जाले, ताल के सूखे पत्तों की छतरी-टोपी आदि उपयोगी वस्तुएँ बनाता है। ये वस्तुएँ बनाकर वह अपनी आजीविका कमाता है। स्वाभिमानी होने के कारण वह हर परिस्थिति में अपने स्वाभिमान की रक्षा करता है।