Chapter 1 नवनिर्माण
Chapter 1 नवनिर्माण
Textbook Questions and Answers
कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर
प्रश्न 1.
(अ) कृति पूर्ण कीजिए :
बल इसके लिए होता है ↓
(a) …………………………………….
(b) …………………………………….
उत्तर :
(a)
(b)
(आ) जिसे मंजिल का पता रहता है वह :
(a) …………………………………….
(b) …………………………………….
उत्तर :
(a) सब के बल बनना – सब की मदद करना।
(b) पथ के संकट सहना – मंजिल पर पहुँचने की कोशिश में होने वाला कष्ट सहन करना।
शब्द संपदा
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्गयुक्त शब्द तैयार कर उनका अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(a) नीति – …………………………………….
(b) बल – …………………………………….
उत्तर :
(a) उपसर्गयुक्त शब्द – अनीति।
वाक्य : अनीति के मार्ग पर नहीं चलना चाहिए।
(b) उपसर्गयुक्त शब्द – आजीवन।
वाक्य : कुछ पाठक पुस्तकालयों के आजीवन सदस्य होते हैं।
अभिव्यक्ति
प्रश्न 3.
(अ) ‘धरती से जुड़ा रहकर ही मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है’, इस विषय पर अपना मत प्रकट कीजिए।
उत्तर :
लक्ष्य का अर्थ है निर्धारित उद्देश्य, जिसे प्राप्त करने के लिए गंभीरता पूर्वक नजर रखी जाए और उसे अर्जित करने के लिए यथासंभव प्रयास किया जाए। हर व्यक्ति का अपने-अपने है ढंग से लक्ष्य निर्धारण करने और उसे अर्जित करने का अपना तरीका होता है। कोई इसे हल्के-फुल्के ढंग से लेता है और बड़े से बड़ा लक्ष्य निर्धारित कर लेता है। ऐसे लक्ष्य क्षमता की कमी है और अपर्याप्त साधन के अभाव में कभी पूरे नहीं हो पाते। जो व्यक्ति अपनी क्षमता और अपने पास उपलब्ध साधनों के अनुसार लक्ष्य का निर्धारण और उसकी पूर्ति के लिए तन-मन-धन से प्रयास करता है, वह व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होता है। ऐसे दूरदर्शी व्यक्ति जमीन से जुड़े हुए होते हैं और समझ-बूझ कर अपना लक्ष्य निर्धारित करते तथा उसके निरंतर प्रयासरत रहते हैं।
(आ) ‘समाज का नवनिर्माण और विकास नर-नारी के सहयोग से ही संभव है’, इसपर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
हमारा समाज विभिन्न प्रकार की कुरीतियों और समस्याओं से भरा हुआ है। अनेक समाज सुधारकों के कठिन परिश्रम के बावजूद आज भी हमारे समाज में अनेक प्रकार की विषमताएँ व्याप्त हैं। असमानता, जातीयता, सांप्रदायिकता, प्रांतीयता, अस्पृश्यता आदि समस्याओं के कारण समाज के नर-नारी दोनों समान रूप से व्यथित हैं। जब तक हमारे समाज से ये बुराइयाँ दूर नहीं होती, तब तक समाज का नव निर्माण और विकास होना असंभव है। नर-नारी दोनों रथ के दो पहियों के समान हैं। बिना दोनों के सहयोग से आगे बढ़ना मुश्किल है। समाज की अनेक समस्याएँ ऐसी हैं, जिनके बारे में नारी को नर से अधिक जानकारियाँ होती हैं। नर-नारी दोनों कंधे से कंधा मिलाकर समाज उत्थान के कार्य में जुटेंगे, तभी समाज का . नव निर्माण और विकास संभव हो सकता है।
रसास्वादन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर चतुष्पादियों का रसास्वादन कीजिए :
(1) रचनाकार का नाम – …………………………………….
(2) पसंद की पंक्तियाँ – …………………………………….
(3) पसंद आने के कारण – …………………………………….
(4) कविता का केंद्रीय भाव – …………………………………….
उत्तर :
(1) रचना का शीर्षक : नव निर्माण।
(2) रचनाकार : त्रिलोचन (मूलनाम – वासुदेव सिंह)
(3) कविता की केंद्रीय कल्पना : प्रस्तुत कविता में संघर्ष करने, अत्याचार, विषमता तथा निर्बलता पर विजय पाने का आवाहन किया गया है तथा समाज में समानता, स्वतंत्रता एवं मानवता की स्थापना की बात कही गई है।
(4) रस-अलंकार :
(5) प्रतीक विधान : कविता में विश्वास और प्रेरणा की मात्रा दर्शाने के लिए ‘आकाश’ तथा नर-नारी द्वारा नए समाज की रचना करने का कठिन कार्य करने के लिए ‘काँटों के ताज’ लेने जैसे प्रतीकों का सुंदर प्रयोग किया गया है।
(6) कल्पना : दबे-कुचले लोगों के प्रति आशावाद एवं उत्थान के स्वर बुलंद करना।
(7) पसंद की पंक्तियाँ तथा प्रभाव : कविता की पसंद की । पंक्तियाँ इस प्रकार हैं :
जिसको मंजिल का पता रहता है,
पथ के संकट को वही सहता है,
एक दिन सिद्धि के शिखर पर बैठ
अपना इतिहास वही कहता है।
(8) कविता पसंद आने का कारण : प्रस्तुत पंक्तियों में यह बात कही गई है कि एक बार अपने लक्ष्य का निर्धारण कर लेने के बाद मनुष्य को हर समय उसको पूरा करने के काम में जी-जान से लग जाना चाहिए। फिर मार्ग में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, उन्हें सहते हुए निरंतर आगे ही बढ़ते रहना चाहिए। एक दिन ऐसे व्यक्ति को सफलता मिलकर ही रहती है। ऐसे ही व्यक्ति लोगों के आदर्श बन जाते हैं। लोग उनका गुणगान करते है और उनसे प्रेरणा लेते हैं।
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान
प्रश्न 5.
(अ) चतुष्पदी के लक्षण लिखिए।
……………………………………………
……………………………………………
उत्तर :
चतुष्पदी चौपाई की भाँति चार चरणों वाला छंद होता है। इसके प्रथम, द्वितीय तथा चतुर्थ चरण में पंक्तियों के तुक मिलते हैं। तीसरे चरण का तुक नहीं मिलता। प्रत्येक चतुष्पदी भाव और विचार की दृष्टि से अपने आप में पूर्ण होती है और कोई चतुष्पदी किसी दूसरी से संबंधित नहीं होती।
(आ) त्रिलोचन जी के दो काव्य संग्रहों के नाम
……………………………………………
उत्तर :
त्रिलोचन जी के कुल पाँच काव्य संग्रह हैं –
- धरती
- दिगंत
- गुलाब और बुलबुल
- उस जनपद का कवि हूँ
- सब का अपना आकाश।
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए :
-
अतिथि आए है, घर में सामान नहीं है।
…………………………………………… -
परंतु अम्यान भी अपराध है।
…………………………………………… -
उसके सत्य का पराजय हो जाता है।
…………………………………………… -
प्रेरणा और ताकद बनकर परस्पर विकास मे सहभागी बनें।
…………………………………………… -
दिलीप अपने माँ-बाप की इकलौती संतान थी।
…………………………………………… -
आप इस शेष लिफाफे को खोलकर पढ़ लीजिए।
…………………………………………… -
उसमें फुल बिछा दें।
…………………………………………… -
कहाँ खो गई है आप।
…………………………………………… -
एक मैं सफल सूत्र संचालक के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
…………………………………………… -
चलते-चलते हमारे बीच का अंतर कम हो गया था।
……………………………………………
उत्तर :
- अतिथि आए हैं, घर में सामान नहीं है।
- परंतु अज्ञान भी अपराध है।
- उसका सत्य पराजित हो जाता है।
- प्रेरणा और ताकत बनकर परस्पर विकास में सहभागी बनें।
- दिलीप अपने माता-पिता की इकलौती संतान था।
- शेष आप इस लिफाफे को खोल कर पढ़ लीजिए।
- उसमें फूल बिछा दें।
- कहाँ खो गई हैं आप?
- मैं एक सफल सूत्र संचालक के रूप में प्रसिद्ध हो गया।
- हमारे बीच का अंतर चलते-चलते कम हो गया था।
कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर
पद्यांश क्र. 1
कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़करदी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :
(a)
उत्तर :
(b)
उत्तर :
प्रश्न 2.
ऐसे दो प्रश्न बनाकर लिखिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों :
(a) उत्तर लिखिए :
उत्तर :
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द के अर्थ वाले दो शब्द पद्यांश से ढूँढ कर लिखिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के शब्द-युग्म बना कर लिखिए :
(1) तोड़ – ……………………………..
(2) काम – ……………………………..
(3) जाना – ……………………………..
(4) आकाश – ……………………………..
उत्तर :
(1) तोड़ – जोड़
(2) काम – काज
(3) जाना – आना
(4) आकाश – पाताल।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :
(1) विश्वास x ……………………………..
(2) अँधेरा x ……………………………..
(3) सत्य x ……………………………..
(4) सामने x ……………………………..
उत्तर :
(1) विश्वास – अविश्वास
(2) अँधेरा x उजाला
(3) सत्य x असत्य
(4) सामने x पीछे।
पद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़करदी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्गयुक्त शब्द तैयार कर उनका अर्थपूर्ण वाक्यों में प्रयोग कीजिए :
(1) बल
(2) न्याय।
उत्तर :
(1) शब्द : निर् + बल = निर्बल।
वाक्य : निर्बल को सताना नहीं चाहिए।
(2)शब्द : अ + न्याय = अन्याय।
वाक्य : किसी व्यक्ति का अपनी बात कहने का अधिकार छीनना उसके साथ अन्याय करना है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) सिद्धि – …………………….
(2) इतिहास – …………………….
(3) मंजिल – …………………….
(4) पथ – …………………….
उत्तर :
(1) सिद्धि – स्त्रीलिंग।
(2) इतिहास – पुल्लिंग।
(3) मंजिल – स्त्रीलिंग।
(4) पथ – पुल्लिंग।
कृति 3 : (अभिव्यक्ति)
प्रश्न 1.
‘मानव सेवा ही सच्ची सेवा है’ इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
सेवा करने का अर्थ है किसी को प्रसन्न करने का प्रयत्न करना। दूसरों का दुख दूर करना सेवा का उद्देश्य है। दीनदुखी हमारे समाज के अंग हैं। अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए वे समाज से ही अपेक्षा रखते हैं। उनकी सेवा-सहायता करना समाज का कर्तव्य है। मानव सेवा विविध रूपों में की जा सकती है। पीड़ित व्यक्ति को बचाया जा सकता है। जिसके साथ अन्याय हो रहा है उसे न्याय दिलाया जा सकता है। निर्धन रोगियों को उनके इलाज का खर्च दिया जा सकता है। गरीब परिवार की कन्याओं के विवाह के लिए आर्थिक मदद की जा सकती है। अनेक संतों और समाज सेवियों ने अपना जीवन ही मानव सेवा को अर्पित कर दिया। दीनदुखियों की सेवा कर हम उनके चेहरों पर खुशी ला सकते हैं। इस तरह मानव सेवा ही सच्ची सेवा है।
पद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(1) आज नर-नारी –
(i) इस तरह निकलेंगे – ………………………..
(ii) यह लेंगे – ………………………..
(iii) दोनों की विशेषताएँ – ………………………..
(iv) दोनों रचना करेंगे – ………………………..
उत्तर :
(i) इस तरह निकलेंगे – साथ-साथ।
(ii) यह लेंगे – काँटों का ताज।
(iii) दोनों की विशेषताएँ – संगी हैं, सहचर हैं।
(iv) दोनों रचना करेंगे – समाज की।
प्रश्न 3.
लिखिए –
(i) काँटों का ताज लेंगे, यानी क्या?
(ii) ‘गीत मेरा भविष्य गाएगा’ से कवि का तात्पर्य?
उत्तर :
(i) महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सँभालेंगे।
(ii) भविष्य में (जब वर्तमान अतीत हो जाएगा तब) लोग वर्तमान की प्रशंसा करेंगे।
प्रश्न 4.
वर्तमान का कथन –
(i) ………………………..
(ii) ………………………..
(iii) ………………………..
(iv) ………………………..
उत्तर :
(i) अतीत अच्छा था।
(ii) प्राण के पथ का गीत अच्छा था।
(iii) मेरा गीत भविष्य गाएगा।
(iv) अतीत का भी गीत अच्छा था।
प्रश्न 5.
दो ऐसे प्रश्न बनाकर लिखिए जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों :
(1) समाज की
(2) भविष्य।
उत्तर :
(1) नर-नारी किसकी रचना करेंगे?
(2) वर्तमान के गीत कौन गाएगा?
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के युग्म-शब्द बना कर लिखिए :
(1) ……………………………… मीत
(2) साथ – ………………………………
(3) संगी – ………………………………
(4) अच्छा – ………………………………
उत्तर :
(1) हित – मीत
(2) साथ – साथ
(3) संगी – साथी
(4) अच्छा – बुरा।
रसास्वादन मुद्दों के आधार पर
कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (इ) के लिए
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर ‘नव निर्माण’ कविता का रसास्वादन कीजिए।
रसास्वादन अर्थ के आधार पर
प्रश्न 1.
अन्याय, अत्याचार से दीन-दुखियों को मुक्ति दिलाने के लिए उनका बल बन जाना ही बलवान व्यक्तियों के बल का सही उपयोग हैं। इस कथन के आधार पर ‘नव निर्माण’ कविता का रसास्वादन कीजिए।
उत्तर :
कवि त्रिलोचन द्वारा चतुष्पदी छंद में रचित कविता ‘नव निर्माण’ का मूलतत्त्व जीवन में संघर्ष करना बताया गया है। हमारे समाज में व्याप्त अन्याय, अत्याचार, विषमता आदि का बोलबाला है। कवि इन बुराइयों पर काबू पाने के लिए लोगों को बल और साहस एकत्र करने का आवाहन करते हैं। यह सर्व विदित है कि ये सारी बुराइयाँ कुछ लोगों द्वारा अपने शारीरिक एवं आर्थिक बल का दुरुपयोग करने के कारण पनपती हैं। इसलिए इन पर विजय पाने का मार्ग भी बल का प्रयोग ही है। यहाँ बल प्रयोग से कवि का आशय किसी के विरुद्ध बल का अनावश्यक प्रयोग करने से न होकर सताए हुए, दबाए हुए बलहीन लोगों का बल बन कर दिखाने से है। बलहीन निरीह व्यक्तियों पर होने वाला अन्याय और अत्याचार तभी रुक सकता है और तभी उन्हें समाज में समानता का दर्जा मिल सकता है और वे निर्बलता पर विजय प्राप्त कर सकेंगे। इसी बात को कवि अपनी कविता में बिना किसी लाग-लपेट के सीधे-सादे सरल शब्दों में इस प्रकार कहते हैं –
बल नहीं होता सताने के लिए,
वह है पीड़ित को बचाने के लिए।
बल मिला है, तो बल बनो सबके,
उठ पड़ो न्याय दिलाने के लिए।
कवि ने इस कविता में अपनी बात कहने के लिए न कहीं रसअलंकार वाली शृंगारिक भाषा का प्रयोग किया है और न ही उन्हें अपनी बात कहने के लिए दुरुहता के मायाजाल में ही फँसना पड़ा है। कविता के शाब्दिक शरीर के रूप में सरल शब्दों की अमिघा शक्ति तथा कविता का प्रसाद गुण कविता में व्यक्त भावों को सरलतापूर्वक आत्मसात करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
व्याकरण
1. अलंकार :
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत अलंकार पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) हाय फूल-सी कोमल बच्ची। हुई राख की थी ढेरी।
(2) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।
(3) इस काल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा। मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
उत्तर :
(1) उपमा अलंकार।
(2) रूपक अलंकार।
(3) उत्प्रेक्षा अलंकार।
2. रस :
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में उद्धृत रस पहचानकर उसका नाम लिखिए :
(1) उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
उत्तर :
रौद्र रस
प्रश्न 2.
काहु न लखा सो चरित बिसेरवा। सो स्वरूप नृपकन्या देखा। मर्कट बदन भयंकर देही। देखत हृदय क्रोध भा तेही। जेहि दिसि बैठे नारद फूली। सो दिसि तेहिन विलोकी भूली। पुनि पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं। देखि दशा हर गान मुसुकाहीं।
उत्तर :
हास्य रस।
3. मुहावरे :
प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) अपना उल्लू सीधा करना।
अर्थ : अपना स्वार्थ सिद्ध करना।
वाक्य : रमेश से समाज के हित की उम्मीद करना व्यर्थ है, वह हमेशा अपना उल्लू सीधा करने में लगा रहता है।
(2) दिन दूना रात चौगुना बढ़ना।
अर्थ : दिन प्रतिदिन अधिक उन्नति करना।
वाक्य : जब से मुनीम जी की सलाह से सेठ करोड़ीमल ने काम-काज शुरू किया है, तब से उनका धंधा दिन दूना रात चौगुना बढ़ता जा रहा है।
4. काल परिवर्तन :
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों के साथ दी गई सूचना के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :
(1) तुमने मुझे विश्वास दिया है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(2) राह में अँधेरा है। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) नर-नारी साथ निकलेंगे। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(1) तुम मुझे विश्वास दे रहे हो।
(2) राह में अँधेरा होगा।
(3) नर-नारी साथ निकले थे।
नवनिर्माण Summary in Hindi
नवनिर्माण कवि का परिचय
नवनिर्माण कवि का नाम : त्रिलोचन। वास्तविक नाम वासुदेव सिंह। (जन्म 20 अगस्त, 1917; निधन 2007.)
प्रमुख कृतियाँ : धरती, दिगंत, गुलाब और बुलबुल, उस जनपद का कवि हूँ, सब का अपना आकाश (कविता संग्रह); देशकाल (कहानी संग्रह) तथा दैनंदिनी (डायरी) आदि।
विशेषता : काव्यक्षेत्र में प्रयोग धर्मिता के समर्थक। समाज के दबे-कुचले वर्ग को संबोधित करने वाले साहित्य के रचयिता।
विधा : चतुष्पदी। इस विधा में चार चरणों वाला छंद होता है। यह चौपाई की तरह होता है। इसके प्रथम, द्वितीय और चतुर्थ चरण में तुकबंदी होती है। भाव और विचार की दृष्टि से प्रत्येक चतुष्पदी अपने आप में पूर्ण होती है।
विषय प्रवेश : प्रस्तुत पद्य पाठ में कुल आठ चतुष्पदियाँ दी गई हैं। ये सभी चतुष्पदियाँ भाव एवं विचार की दृष्टि से अपने आप में पूर्ण है। इन चतुष्पदियों में आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है। कवि ने इनके माध्यम से संघर्ष करने तथा अन्याय, अत्याचार, विषमता और निर्बलता पर विजय पाने का आवाहन किया है।
नवनिर्माण चतुष्पदियों का सरल अर्थ
(1) तुमने विश्वास ……………………………….. आकाश दिया है मुझको।
मनुष्य के जीवन में किसी का विश्वास प्राप्त करने तथा किसी से प्रोत्साहन पाने का बड़ा महत्त्व होता है। इनके बल पर मनुष्य बड़े-बड़े काम कर डालता है।
कवि कहते हैं कि, तुमने मुझे जो विश्वास और प्रेरणा दी है वह मेरे लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इन्हें देकर तुमने मुझे असीम संसार दे दिया है। पर मैं इन्हें इस तरह सँभाल कर अपने पास रखूगा कि मैं आकाश में न उहूँ और मेरे पाँव हमेशा जमीन पर रहें। अर्थात मुझे अपनी मर्यादा का हमेशा ध्यान रहे।
(2) सूत्र यह तोड़ ……………………………….. छोड़ नहीं सकते।
कवि मनुष्य के बारे में कहते हैं कि वह चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, आकाश में उड़ानें भरता हो या अन्य कहीं उड़ कर चला जाए, पर अंत में उसे अपनों के बीच यानी धरती पर तो आना ही पड़ता है। कवि कहते हैं कि, यह बात शाश्वत सत्य है। इस सच्चाई को कोई नियम तोड़-मरोड़ कर झूठा साबित नहीं कर सकता। अर्थात मनुष्य कितना भी आडंबर क्यों न कर ले, पर वह अपनी वास्तविकता को छोड़ नहीं सकता।
(3) सत्य है ……………………………….. सामने अँधेरा है।
कवि संघर्ष करने का आवाहन करते हुए कहते हैं कि आपकी राह अँधेरों से भरी हुई है; भले यह बात सच हो या आपकी प्रगति के द्वार को अवरुद्ध करने के लिए तरह-तरह की कठिनाइयाँ रास्ते में आ रही हों, तब भी आपको संघर्ष के मार्ग पर रुकना नहीं है।
अँधेरे में भी आगे ही आगे बढ़ते जाना है, क्योंकि इसके अलावा आपके सामने और कोई चारा भी तो नहीं है। कवि का कहने का तात्पर्य यह है कि संघर्ष करना जारी रखना चाहिए। संघर्ष से ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।
(4) बल नहीं होता ……………………………….. “दिलाने के लिए।
कवि कहते हैं कि मनुष्य को निरर्थक कार्यों के लिए अपने बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उसका प्रयोग सार्थक कार्यों के लिए होना चाहिए। वे कहते हैं कि मनुष्य के पास बल किसी असहाय, पीड़ित व्यक्ति को सताने के लिए नहीं होता। बल्कि वह किसी असहाय या पीड़ित व्यक्ति की रक्षा करने के लिए होता है। कवि बलवान व्यक्तियों को संबोधित करते हुए कहते हैं, यदि ईश्वर ने तुम्हें शक्ति प्रदान की है, तो तुम सभी कमजोर लोगों के बल बन ३ कर उनको न्याय दिलाने के काम में लग जाओ। तभी तुम्हारे बल की सार्थकता है।
(5) जिसको मंजिल ……………………………….. वही कहता है।
कवि कहते हैं कि जिस व्यक्ति को अपनी सफलता की मंजिल की जानकारी हो जाती है, वह व्यक्ति अपने मार्ग में आने वाली परेशानियों से नहीं डरता। वह हँसते-हँसते इन परेशानियों को झेल लेता है। ऐसे व्यक्तियों को ही जीवन में सफलता मिलती है। इस तरह सफलता के शिखर पर पहुँचने वाले व्यक्ति समाज के लिए इतिहास बन जाते हैं और लोग उससे प्रेरणा लेते हैं।
(6) प्रीति की राह ……………………………….. चले आओ।
कवि प्यार-मोहब्बत और अच्छे आचार-व्यवहार को अपनाने की बात करते हुए लोगों का आवाहन करते हैं कि वे सब के साथ प्यार-मोहब्बत से रहें और सब के साथ अच्छा व्यवहार करें। यही सब के लिए अपनाने वाला सही मार्ग है। वे कहते हैं कि सब को हँसते-गाते जीवन जीने का मार्ग अपनाना चाहिए।
(7) साथ निकलेंगे ……………………………….. “समाज नर-नारी।
कवि स्त्री-पुरुष समानता की बात करते हुए कहते हैं कि स्त्री पुरुष दोनों एक साथ मिल कर विकट समस्याओं को सुलझाने का कार्य करेंगे। दोनों इस दिशा में कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे और नए समाज की रचना करेंगे, जिसमें सब को समानता का अधिकार मिले।
(8) वर्तमान बोला……………………………….. गीत अच्छा था।
कवि वर्तमान और अतीत की बात करते हुए कहते हैं कि वर्तमान के अनुसार बीता हुआ समय अच्छा था। उस समय जीवन पथ में साथ निभाने वाले अच्छे मित्र थे। वर्तमान कहता है कि भविष्य में (जब हम अतीत हो जाएँगे और) लोग हमारा भी गुणगान करेंगे। वैसे अतीत भी गुणगान करने लायक था।
नवनिर्माण शब्दार्थ
- व्योम = आकाश
- सहचर = साथ-साथ चलने वाला, मित्र
- सिद्धि = सफलता
- मीत = मित्र, दोस्त