Chapter 1 मातृभूमि
Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय :
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
1. कृति पूर्ण कीजिए।
प्रश्न 1.
फूलों की विशेषताएँ
उत्तर:
प्रश्न 2.
जन्मभूमि की विशेषताएँ
उत्तर:
2. इन शब्द – शब्द समूहों के लिए कविता में प्रयुक्त शब्द लिखिए।
प्रश्न 1.
इन शब्द – शब्द समूहों के लिए कविता में प्रयुक्त शब्द लिखिए।
उत्तर:
शब्द समूह | शब्द |
पक्षियों के समूह | खग वंद |
शेषनाग के फन | सिंहासन |
समुद्र | रत्नाकर |
सूरज और चाँद | युग मुकुट |
3. कृति पूर्ण कीजिए।
प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
4. संजाल पूर्ण कीजिए।
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
5. एक शब्द के लिए शब्द समूह लिखिए।
प्रश्न 1.
एक शब्द के लिए शब्द समूह लिखिए।
i. विश्वपालिनी = ……………………
ii. भयनिवारिणी = ………………….
उत्तर:
i. विश्व का पालन करने वाली
ii. भय का निवारण करने वाली
6. चौखट में प्रयुक्त शब्दों को सूचना के अनुसार परिवर्तन करके लिखिए।
प्रश्न 1.
चौखट में प्रयुक्त शब्दों को सूचना के अनुसार परिवर्तन करके लिखिए।
उत्तर:
6. ‘हे शरणदायिनी देवी तू, करती सबका त्राण है।’ पंक्ति से प्रकट होने वाला भाव लिखिए।
प्रश्न 2.
‘हे शरणदायिनी देवी तू, करती सबका त्राण है।’ पंक्ति से प्रकट होने वाला भाव लिखिए।
उत्तरः
इस पंक्ति से कृतज्ञता का भाव व्यक्त होता है। मातृभूमि ने हमें सब कुछ दिया है। इसके बदले में उसने हमसे कुछ भी नहीं लिया है। अत: उसके अनंत उपकारों के प्रति कृतज्ञ होकर कवि ने उसकी प्रार्थना करते हुए कहा है कि वह शरणदायिनी देवी है और जो उसकी शरण में आता है; वह उसकी रक्षा करती है।
उपयोजित लेखन :
प्रश्न 1.
‘मैं पंछी बोल रहा हूँ…’ इस विषय पर निबंध लिखिए।
उत्तर:
“मैं हूँ एक पंछी… प्रकृति का एक अंश…। इस धरती पर चारों ओर स्वच्छंद विचरण करने का अधिकार ईश्वर ने मुझे भी प्रदान किया है। अब तो बूढ़ा हो गया हूँ। मुझे आज भी याद है, मेरा जन्म आम के पेड़ पर बने घोंसले में हुआ था। जब मेरा जन्म हुआ था; तब मेरे माता-पिता बहुत खुश थे। मेरे साथ मेरे और दो भाई भी थे, लेकिन अब वे जीवित नहीं है। वे काल के गाल में समा गए हैं। आहिस्ता-आहिस्ता मैं बड़ा हुआ। बड़ा होने के बाद मेरे पंखों में शक्ति आ गई और मैं स्वच्छंद होकर खुले आसमान में उड़ने लगा।
समुद्र के ऊपरी हिस्से पर उड़ते समय मुझे बहुत खुशी होती थी। समुद्र से ऊपर उड़ने वाली लहरों के साथ मैं भी नर्तन करता था। कितना अच्छा लगता था मुझे उस समय! मैंने अन्य पक्षियों के साथ आम के पेड़ पर अपना घोंसला बनाया व बड़े ही प्यार से वहाँ पर रहने लगा। पेड़ की सुखद हरियाली में मुझे बेहद मजा आता था। अन्य पक्षियों के साथ मौज-मस्ती करते समय मैं फूला न समाता था। मेरी यह खुशी अधिक दिन तक नहीं रही। भाग्य को कुछ और ही मंजूर था।
एक दिन सरकारी अधिकारी आम के पेड़ के पास छान-बीन करने आए। न जाने उनकी आपस में क्या बातें हुई? उनके चले जाने के चार-पाँच दिन के बाद आम के पेड़ की कटाई करने के लिए कर्मचारी आए। उन्होंने बड़ी ही निर्दयता से पेड़ को जड़ से अलग कर दिया। इस कारण आम के पेड़ पर रहने वाले मेरे जैसे कई पक्षी बेघर हो गए। हम सब पंछी निराश एवं दुखी हो गए। कई पक्षियों ने घोंसले में शिशुओं को जन्म दिया था। पेड़ के गिरने के साथ उन्होंने भी इस संसार से विदा लिया।
अपने दोस्त एवं परिजनों की बुरी अवस्था देखकर मैं भी व्यथित हो गया हूँ। अब मैं अपने जीवन की अंतिम साँसें गिन रहा हूँ। मेरे जैसे कई खग-बूंद काल के गाल में समा गए हैं। हमारी कई प्रजातियाँ नामशेष रह गई हैं। इंसान को प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा ही होता रहा, तो एक दिन पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा और समस्त जीवन खतरे में पड़ जाएगा। इसलिए पर्यावरण की रक्षा करना प्रत्येक मानव का कर्तव्य होना चाहिए। यही मेरा सबके लिए संदेश है।”
(अ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के का अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति अ (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
पद्यांश में प्रयुक्त प्राकृतिक घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अंबर, सूर्य, चंद्र, रत्नाकर, नदियाँ, फूल, तारे, खग, पयोद
कृति अ (2) : शब्द संपदा
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
- अंबर
- हरित
- मेखला
- सर्वेश
- मुकुट
उत्तर:
- आसमान
- हरा
- करधनी
- ईश्वर
- ताज
प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
- प्रेम ×………….
- सगुण × ………..
- सत्य × ………..
उत्तर:
- द्वेष
- निर्गुण
- असत्य
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
- धागे आदि की करधनी
- जिसमें मूल्यवान रत्नों का संचय है –
- राजा के सिंहासनारोहण का अनुष्ठान –
उत्तर:
- मेखला
- रत्नाकर
- अभिषेक
प्रश्न 4.
निम्नलिखित तत्सम शब्द का तद्भव शब्द लिखिए।
i. हरित
ii. काम
उत्तर:
i. हरा
ii. कार्य
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. फन
ii. शेष
उत्तर:
i. फन: साँप का फन, हुनर
ii. शेष : बचा हुआ, छोड़ा हुआ
कृति अ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
हम अपने देश को ‘मातृभूमि’ कहते हैं। अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
हम भारतवासी संस्कृति से जुड़े लोग हैं। हम अपने देश को माता कहकर पुकारते हैं। हमारी मातृभूमि हमें जीवन देती है। वह हमें प्राकृतिक संसाधनों का भंडार उपलब्ध कराती है। सबकुछ देने वाली मातृभूमि हमारी जननी है। वहीं हमारी माता है। आमतौर पर एक बच्चे को अपने पिता की अपेक्षा माता से अधिक लगाव होता है। उसी प्रकार का लगाव हमें अपनी धरती से होता है। उसमें हम अपनापन एवं ममत्व ढूँढ़ते हैं। हमारा अपनी देश की धरती से अटूट नाता होता है। हमारे वेदों में भी ‘नमो मातृ भूम्यै’ ऐसा कहा गया है। अपनी मातृभूमि के प्रति अपनी भावना व्यक्त करते हुए भगवान कृष्ण ने भी कहा है: ‘ऊधौ मोहिं ब्रज विसरत नाहिं।’
(आ) निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति आ (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
गलत विधान सही करके लिखिए।
i. मातृभूमि पर प्रकृति के एक के बाद एक अदभुत दृश्य देखने को मिलते हैं।
उत्तरः
मातृभूमि पर छ: ऋतुओं के एक-के-बाद एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलते हैं।
ii. मातृभूमि का धरातल बंजर है। जो किसी रोएँदार मखमल के कपड़े से कम नहीं है।
उत्तर:
मातृभूमि का धरातल हरियाली से भरा है; जो किसी रोएँदार मखमल के कपड़े से कम नहीं है।
कृति आ (2) : शब्द संपदा
प्रश्न 1.
कविता में इस अर्थ में आए शब्द लिखिए।
- शुद्ध
- पानी
- श्रेष्ठ
- हवा
- अंधकार
- सूर्य
उत्तर:
- निर्मल
- नीर
- उत्तम
- पवन
- तम
- तरणि
प्रश्न 2.
उपसर्ग व प्रत्यय लगाकर नए शब्द तैयार कीजिए।
i. गंध
उत्तर:
उपसर्गयुक्त शब्द : सुगंध
प्रत्यययुक्त शब्द : सुगंधित
प्रश्न 3.
पाश में से ऐसे दो शब्द ढूँढकर लिखिए कि जिनके वचन में परिवर्तन नहीं होता हो ।
उत्तर:
i. दिन
ii. पवन
प्रश्न 4.
विलोम शब्द लिखिए।
i. शीतल × ………
ii. सुगंध × ……….
उत्तर:
i. उष्ण
ii. दुर्गध
प्रश्न 5.
पद्यांश में प्रयुक्त विलोम शब्दों की जोड़ियाँ लिखिए।
उत्तर :
i. दिन × रात
i. तम × प्रकाश
प्रश्न 6.
नीचे दिए हुए शब्द का श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द लिखिए।
i. कम
ii. दिन
उत्तर:
i. क्रम
ii. दीन
कति आ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘छ: ऋतुओं ने भारत भूमि अर्थात हमारी मातृभूमि के सौंदर्य में चार चाँद लगा दिए हैं।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
भारत भूमि पर प्रकृति की विशेष कृपा है। विश्व में हमारी ही मातृभूमि ऐसी है जहाँ पर छः ऋतुओं का नियमित रूप से आगमन होता है। सभी ऋतुओं में अनोखी छटा देखने को मिलती है। वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत व शिशिर इन छ: ऋतुओं के एक-के-बाद एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलते हैं। वसंत में फूलों का खिलना व पौधों का हरा-भरा होना आदि दृश्यों से मातृभूमि की शोभा देखने लायक होती है। ग्रीष्म ऋतु में फल व मेवे पकते हैं। बागों में आमों के फल लगते हैं।
वर्षा ऋतु में बारिश होती है। फसलों के लिए पानी मिलता है। पेड़ पौधे खुश और हरे-भरे हो जाते हैं। शरद ऋतु में कास के फूलों से धरती सज उठती है। मौसम सुहावना हो जाता है। हेमंत में बीज अंकुरित होते हैं। ओस की बूंदें गिरने लगती हैं। शिशिर में कड़ाके की ठंड पड़ती है। घना कोहरा छा जाता है। इस प्रकार मातृभूमि पर छ: ऋतुएँ सदैव अपना-अपना सौंदर्य बिखेरती रहती हैं।
(इ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति इ (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों –
i. औषधियाँ
ii. वसुधा-धरा
उत्तर:
i. एक-से-एक निराली क्या प्राप्त हैं?
ii. पद्यांश में मातृभूमि के लिए प्रयुक्त नाम लिखिए।
प्रश्न 2.
सत्य-असत्य लिखिए।
i. मनुष्य को आवश्यक सभी पदार्थ मातृभूमि से मिलते हैं।
ii. भारत भूमि में धातुओं की खानें नहीं हैं।
उत्तर:
i. सत्य
i. असत्य
कृति इ. (2) : शब्द संपदा
प्रश्न 1.
पद्यांश में से उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढकर लिखिए।
उत्तर:
- सुखद
- सुमन
- सरस
प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्सम शब्द ढूंढकर लिखिए।
उत्तर:
- सुमन
- सरस
- वसुधा
- धातु
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए।
- खान
- निराली
- सुरभित
उत्तर:
- खदान
- अनोखी
- सुगंधित
प्रश्न 4.
नीचे दिए हुए शब्दों के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. खान
ii. फल
उत्तर:
i. खान : खदान, खजाना
ii. फल : परिणाम, आम या अन्य फल
प्रश्न 5.
विलोम शब्द लिखिए।
i. आवश्यक × ………
i. सरस × ……
उत्तर:
i. अनावश्यक
ii. नीरस
प्रश्न 6.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए।
i. सुख देने वाला –
ii. सब कुछ धारण करने वाली –
उत्तर:
i. सुखद
ii. धरा
कृति इ (3) : स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘धरती पर उपलब्ध संसाधनों का हमें उचित ध्यान रखना चाहिए।’ विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
प्रकृति से प्राप्त संसाधनों को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। हवा, पानी, खनिज, लकड़ी, मिट्टी, तेल, वनस्पति, जीवाश्म ईंधन व ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधनों के उदाहरण है। हमें प्राकृतिक का इस्तेमाल सोच-समझकर ही करना चाहिए। उन्हें व्यर्थ में बरबाद करने से आगे चलकर मनुष्य जीवन ही खतरे में पड़ सकता है। सभ्यता के इस युग में लोगों ने अपनी आँखे बंद करके प्राकृतिक संसाधनों का अमर्यादित दोहन करना शुरू कर दिया है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। पेड़ों की कटाई के विपरीत प्रभाव के कारण प्रदूषण एवं वर्षा की कमी हो रही है। इसलिए जीवन को संभव बनाना है, तो हमें धरती पर उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग करना होगा।
(ई) पद्यांश पड़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ई (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:
कृति ई (2) : शब्द संपदा
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए।
- विभव
- जननी
- विश्व
- प्रेम
उत्तर:
- संपन्न
- माता
- संसार
- प्यार
प्रश्न 2.
विलोम शब्द लिखिए।
i. भय × …………
ii. दया ×……
उत्तर:
i. साहस
ii. निर्दयता
प्रश्न 3.
एक शब्द के लिए शब्द समूह लिखिए।
i. क्षमामयी
ii. शांतिकारिणी
उत्तर:
i. क्षमा करने वाली
ii. शांति निर्माण करने वाली
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द के अनेकार्थी शब्द लिखिए।
i. क्षेम
उत्तर:
i. क्षेम : कुशल मंगल, सुख
कृति ई (3): स्वमत अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
‘हमारी मातृभूमि के प्रति जिम्मेदारी है।’ अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
मातृभूमि हमारी सर्वस्व है। उस पर सब कुछ अर्पण करने की भावना हमारे पास होनी चाहिए। मातृभूमि के प्रति प्रेम व सम्मान की भावना होनी चाहिए। हमें मन, वचन व कर्म से राष्ट्रहित के लिए कार्य करते रहना चाहिए। मातृभूमि की रक्षा के लिए हमें सदैव तैयार रहना चाहिए। यदि कोई हमारी मातृभूमि की ओर आँख उठाकर देखने की कोशिश करें, तो हमें सजग होकर उसका प्रतिकार करना चाहिए।
जब हम मातृभूमि के प्रति दायित्व एवं जिम्मेदारियों को ध्यान में रखेंगे, तो शीघ्र ही हमारा देश प्रगति के पथ पर बढ़ेगा और विश्व में हमारी मातृभूमि की कीर्ती फैलेगी। हमें अपने कर्तव्य पालन के साथ-साथ दूसरे लोगों को भी मातृभूमि के प्रति कर्तव्यनिष्ठ एवं जिम्मेदार बनाने हेतु प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार मातृभूमि की शान बढ़ाने हेतु हमें उसके प्रति जिम्मेदार होना चाहिए।
मातृभूमि Summary in Hindi
कवि-परिचय :
जीवन-परिचय : मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म झाँसी जिले के चिरगाँव में हुआ था। गुप्त जी खड़ी बोली हिंदी में काव्य रचना करने वाले, प्रथम कवि थे। अपने साहित्य में उपेक्षित नारी जीवन की व्यथा एवं वेदना को अभिव्यक्त करने का महान कार्य इन्होंने किया। यह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य थे। इनकी रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना, भारत का गौरवशाली इतिहास व संस्कृति प्रतिबिंबित होती हैं। महात्मा गांधी द्वारा इन्हें राष्ट्रकवि’ की पदवी से सम्मानित किया गया है।
प्रमुख कृतियाँ : ‘साकेत’ (महाकाव्य), ‘यशोधरा’, ‘जयद्रथ वध’, ‘पंचवटी’, ‘भारत-भारती’, (खंडकाव्य), ‘रंग में भंग’, ‘राजा प्रजा’ (नाटक) आदि।
पद्य-परिचय :
खड़ी बोली। ब्रज भाषा के स्थान पर खड़ी बोली को अपनी कविताओं की काव्य भाषा बनाकर कवियों ने उसकी क्षमता से सभी को परिचित कराने का कार्य किया। देशभक्ति, राष्ट्रीयता, बंधुत्व भावना, गांधीवाद, मानवता आदि मूल्यों को अभिव्यक्त करने का कार्य खड़ी बोली काव्य ने किया। प्रस्तावना । ‘मातृभूमि’ इस कविता में राष्ट्रकवि गुप्त जी ने भारतभूमि का गौरवगान किया है। हम भारतीय भारतभूमि को ‘मातृभूमि’ कहकर संबोधित करते हैं। हमें मातृभूमि के प्रति कृतज्ञ भाव रखकर उस पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने का संदेश कविता के माध्यम से दिया गया है।
सारांश :
‘मातृभूमि’ कविता के द्वारा भारत की धरती का सुंदर और मनोहारी चित्रण करते हुए गुणगान किया गया है। भारत की भूमि हरियाली, नदियों, सागरों, फूलों और फलों, सुगंधित व शीतल पवन, चाँदनी के प्रकाश आदि से सुशोभित है। मातृभूमि सत्य का स्वरूप है और वह सर्वशक्तिमान ईश्वर की सगुण मूर्ति है। मातृभूमि पर उपलब्ध प्राकृतिक स्रोतों से जो जल मिल रहा है; वह अमृत के समान उत्तम है। यहाँ पर छ: अतुओं के एक के बाद एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलते हैं।
भारत की भूमि विविध खाद्ययान्नों, धन-धान्य व प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। इसलिए मातृभूमि का ‘वसुधा’ एवं ‘धरा’ कहा जाता है। मातृभूमि क्षमामयी, दयामयी व सुखदायिनी है। वह अमृत, वात्सल्य व प्रेम की मूर्ति स्वरूप है। वह सबका दुख हरने वाली है। वह सबके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देती है। इस प्रकार मातृभूमि के हम पर अनंत उपकार हैं। वह हमारी जननी है और हम उसकी संतान हैं।
भावार्थ :
नीलांबर परिधान …………………………………… मूर्ति सर्वेश की।
मातृभूमि भारतमाता के सुंदर रूप का वर्णन करते हुए राष्ट्रकवि गुप्त जी कहते हैं, “मात्रभूमि ने हरे रंग का परिधान धारण किया है और उनके सिर पर नीला अंबर शोभायमान है। आसमान में उदित होने वाले सूर्य व चंद्र उसके युग मुकुट है व सागर करधनी के रूप में उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं। प्रेम रूपी प्रवाह के साथ नदियाँ बह रही हैं और चारों और सुंदर फूल खिले हैं; आसमान में रात्रि के समय प्रकाशित होने वाले तारों से मातृभूमि का सुंदर रूप और भी खिल रहा है।
मातृभूमि की महिमा का गुणगान कलरव के रूप में तरह-तरह के पक्षी कर रहे हैं। मातृभूमि का सिंहासन शेषनाग का फन है। बारिश के रूप में बादल इस मातृभूमि का अभिषेक कर रहे हैं। ऐसी भारतभूमि पर हमारा सब कुछ न्योछावर है। सचमुच, ऐसी गौरवमयी मातृभूमि सत्य का स्वरूप है और वह सर्वशक्तिमान ईश्वर की सगुण मूर्ति है।
ति निर्मल तेरा ……………………………… तम का नाश है।
मातृभूमि पर उपलब्ध प्राकृतिक स्रोतों से तो जल मिल रहा है। वह अमृत के समान उत्तम है। इस मातृभूमि पर बहने वाली शीतल-मंद व सुंगधित पवन मनुष्य के सारे कष्टों को दूर भगाती है। वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत व शिशिर इन छ: अतुओं के एक के बाद एक अदभुत दृश्य देखने को मिलते हैं। मातृभूमि का धरातल हरियाली से भरा हुआ है; जो किसी रोएँदार मखमल के कपड़े से कम नहीं है। रात में चंद्र का प्रकाश मातृभूमि को पवित्र ओस रूपी जलकणों से सींचता रहता है और दिन में सूर्य उदय होकर अंधकार को मिटा देता है।
सुरभित, सुंदर ………………………………………. नाम यथार्थ हैं।
मातृभूमि पर सुगंधित, सुंदर व सुखद सुमन खिलते हैं और अलग-अलग प्रकार के रसीले व अमृत के समान मीठे फल उगते हैं। यहाँ पर एक से एक निराली व अदभुत औषधियाँ उपलब्ध हैं। मातृभूमि पर धातु एवं श्रेष्ठ रत्नों की खानें हैं। सभी भारतवासियों को जिन-जिन पदार्थों एवं वस्तुओं की आवश्यकता होती है वे सारे पदार्थ एवं वस्तुएँ यहाँ पर विपुल मात्रा में उपलब्ध हैं। इसलिए मातृभूमि को वंसुधा-धरा’ कहा गया है। ये नाम उसके लिए पूरी तरह से उपयुक्त और सत्य भी है।
क्षमामयी …………………………………. तू प्राण है।
मातृभूमि क्षमामयी, दयामयी व सुखदायिनी है। वह अमृत, वात्सल्य व प्रेम से भरी हुई है। वह ऐश्वर्य देने वाली शक्ति हैं; वह विश्व का पालन करने वाली देवी है और सबका दुख हरने वाली दुखहर्ती है। वह भय का निवारण करती है शांति निर्माण करती है और सबके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देती है। मातृभूमि शरणदायिनी देवी है अर्थात वह सभी को शरण देती है। वह सबको संकटों से मुक्ति दिलाती है सबकी रक्षा करने वाली हैं। हम सब इस मातृभूमि की संतान है। यह हम सबकी जननी है; यह हमारी नवचेतना है; यह हमारा प्राण है।
शब्दार्थ :
- अंबर – आसमान
- हरित – हरा
- पट – वस्व
- निशा मेखला – करधनी
- सगुण – गुणयुक्त
- सर्वेश – ईश्वरी
- मुकुट – ताज
- निर्मल – पवित्र, शुद्ध
- खग – पक्षी
- परिधान – वस्त्र, कपड़ा
- रत्नाकर – सागर
- पयोद – बादल, मेघ
- सुचि – पवित्र, शुद्ध
- सुधा शक – अमृत, जल
- नीर – पानी
- उत्तम – श्रेष्ठ
- पवन – हवा
- फर्श – धरातल
- तम – अंधकार, अंधेरा
- तरणि – सूर्य
- खान – खदान
- निराली – अनोखी
- सुरभित – सुगंधित, सौरभित
- वैभव – संपन्नता, बहुतायत
- जननी – माता
- विश्व – संसार