Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

Day
Night

Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

Chapter 11 निर्माणों के पावन युग में

Textbook Questions and Answers

संभाषणीय

प्रश्न 1.


उत्तरः

आजादी के बाद का भारत अपनी आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए बहुत ही संघर्षरत और उत्साह से भरा था। कृषि, शिक्षाउद्योग आदि के क्षेत्र में वह दिनोंदिन प्रगति के राह पर आगे बढ़ रहा था। अक्टूबर 1952 में चीन ने भारत के ऊपर हमला कर दिया। भारत इस लड़ाई से उबर ही पाया था कि 1935 में दूसरे पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत के ऊपर हमला किया, भारत ने इसका मुँहतोड़ जवाब दिया। 1971 में पुन: पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया परंतु इस बार पाकिस्तान की करारी हार हुई और बांग्लादेश का उदय हुआ। 1955 में भारत की बागडोर प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के हाँथ में आ गई।

उन्होंने हरित क्रांति की शुरूआत की। भारत ने कृषि के क्षेत्र में संतोषजनक प्रगति की । बैंको का राष्ट्रीकरण किया गया। 1974 को पोखरन में परमाणु परीक्षण कर भारत विश्व का छठवाँ परमाणु ताकत बन गया। प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने 1975 में अपातकाल की घोषणा कर दी। देश के बड़े-बड़े विपक्षी नेता गिरफ्तार कर लिए गए। प्रेस की आज़ादी पर प्रतिबंध लगा दिया गया।

खेल के क्षेत्र में भी भारत प्रगति कर रहा था। 1882 में भारत ने नवें एशियाई खेलों का सफल आयोजन किया। भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्ट इंडीज को हराकर पहली बार विश्व कप जीता। विज्ञान के क्षेत्र में 1982 में रंगीन टेलीविज़न की शुरूआत हुई। भारत का अपना बहुउद्देशीय संचार और मौसम उपग्रह इंसेट-1बी प्रक्षेपित किया गया। 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई। 31 अक्टूबर 1984 को राजीव गांधी भारत के प्रधान मंत्री बने।

उनके कार्यकाल में सतह से सतह पर मार करनेवाले पृथ्वी प्रक्षेपास्त का सफल परीक्षण हुआ। 1992 में धार्मिक राजनीति चरण सीमा पर थी। जिसके चलते अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद का ढाँचा ध्वस्त कर दिया गया जिससे भारत में हिंसा भड़क गई और मुंबई में श्रृंखलाबद्ध विस्फोट किए गए। इस विस्फोट में सैकड़ों लोग मारे गए। 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल का युद्ध लड़ा गया। इस बार भी पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी।

2001 में संसद भवन पर आतंकी हमला हुआ इस हमले में सम्मिलित आतंकवादी मारे गए। यह देश की सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ी सेंध थी। 2004 में डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने। वह एक बड़े अर्थशास्त्री भी थे। उन्होंने देश के गरीबों के लिए फूड्स बिल संसद में लाया। अब गरीबों को 2 रुपए प्रति किलो गेंहू तथा 3 रुपए प्रति किलो चावल उपलब्ध होने लगा। 2014 में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हुआ। इस बार व्यक्ति विशेष के नाम पर जनता ने मतदान किया और नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनाया इनसे भारत के लोगों को बड़ी उम्मीद है।

उन्होंने कई नई योजना की शुरूवात की। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ऐतिहासिक फैसला लेते हुए नोटबंदी किया, सफाई अभियान की शुरूआत की, देश के हर व्यक्ति को बैंक से जोड़ने का कार्य किया। इस समय भारत अपने विदेश नीति में भी महत्त्वपूर्ण स्थान पर पहुँच गया है। विदेश के बहुत सारे देशों से भारत इनके मधुर संबंध हो गए हैं। व्यापारिक समझौते हुए हैं। इस समय भारत को विश्व की महाशक्तियों में गिना जाने लगा है। सामाजिक दृष्टि से भी वह शक्तिशाली देशों की श्रेणी में पहुँच गया है। इस समय शिक्षा, व्यापार उद्योग आदि क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

पठनीय:

‘पर्यावरण और मानव’ पर आधारित पथनाट्य (नुक्कड़ नाट्य) पढ़कर प्रस्तुत कीजिए।

लेखनीय:

प्रश्न 1.
देश हित के लिए आप क्या करते हैं? अपने विचार स्पष्ट व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

देशहित एक पवित्र कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वहित की अपेक्षा देशहित के बारे में सोचना चाहिए।
‘जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

यदि मैं स्वयं का विचार करूँ तो मेरे लिए निजी हित की अपेक्षा देशहित सर्वोपरि है। देशहित के लिए मैं सभी नियमों का पालन करने के साथ ही विनम्र और देश के प्रति जिम्मेदारियों के लिए वफादार हूँ। मैं अपने चारों ओर साफ-सफाई रखने के लिए स्वच्छता अभियान में भाग लेता हूँ। सभी को बेकार वस्तुओं को कड़ेदान में डालना और सार्वजनिक वस्तुओं की देखभाल करना सिखाता हूँ।

मैं एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना रखता हूँ। देश के कल्याण के लिए बनाई गई सामाजिक व आर्थिक नीतियों का भी सम्मान करता हूँ। मैं अपने देश को दुनिया में सबसे अच्छा देश बनाने के लिए प्रयास करता रहता हूँ।

आसपास:

प्रश्न 1.
अपने आसपास/परिवेश में घटित होने वाली समाज आसपास विघातक घटनाओं की रोकथाम से संबंधित अपना मत प्रस्तुत कीजिए।
उत्तरः

भ्रष्टाचार, आरक्षण, भ्रूण-हत्या, दहेज प्रथा, आदि समाज विघातक घटनाएँ हैं। भ्रष्टाचार भारतीय समाज में सबसे तेजी से उभरने वाला मुद्दा है। मनुष्य अपने निजी स्वार्थों की खातिर देश को खोखला कर रहा है। अतः मनुष्य को सदाचार को अपनाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार अपने-आप समाप्त हो जाएगा। भ्रूण हत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस विषय पर स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। लोग कन्या जन्म चाहते ही नहीं है। सबको पुत्र चाहिए। इस पर रोक लगाने के लिए चिकित्सा के लिए मजबूत नीति सबंधी नियमावली होनी चाहिए। सभी महिलाओं के लिए तुरंत शिकायत रजिस्ट्रेशन प्रणाली होनी चाहिए।

आम लोगों को जागरुक करने के लिए कन्या भ्रूण हत्या जागरुकता कार्यक्रम होना चाहिए। दहेज जैसी कुप्रथा के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव लाया जाना चाहिए। अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन देना चाहिए। आरक्षण वास्तव में समाज के उन्हीं लोगों के लिए हितकर हो सकता है जो अपंग हैं, शिक्षा और गुण होते हुए भी अन्य लोगों से जीवन में पीछे रह जाते हैं। उन गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण आवश्यक है, जो गुणी होते हुए भी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं। आज यदि हम देश को उन्नति की ओर ले जाना चाहते हैं और देश की एकता बनाए रखना चाहते हैं. तो जरूरी है कि आरक्षण को हटाकर हम सबको समान रूप से शिक्षा दे और उन्नति का अवसर पाने का मौका दें।

पाठ के आँगन में…

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न (क)
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

उत्तर:

2. कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न (ख)
कृति पूर्ण कीजिए।

उत्तर:

पाठ से आगे:

प्रश्न 1.
स्वामी विवेकानंद जी की जीवनी का अंश पढ़कर टिप्पणी लिखिए।

भाषा बिंदु

प्रश्न 1.
निम्न शब्दों के अर्थ शब्दकोश की सहायता से ढूंढ़िए तथा उचित शब्द रिक्त स्थानों में लिखिए।

  1. आर्यभट्ट ने शून्य की …………….. की। (खोज, अनुसंधान, आविष्कार)
  2. प्रगति के लिए आपसी ……………….. आवश्यक है। (ईर्ष्या, भागदौड़, स्पर्धा)
  3. कार्यक्रम को शुरू करने के लिए अध्यक्ष महोदय की ………… चाहिए। (अनुमति, आज्ञा, आदेश)
  4. काले बादलों को देखकर बारिश की …………. है। (आशंका, संभावना, अवसर)
  5. सड़क-योजना में सैकड़ों मजदूरों को …………. रोजगार मिला। (निर्माण, निर्मिति, सृजन)

उत्तरः

  1. खोज
  2. स्पर्धा
  3. अनुमति
  4. संभावना
  5. निर्माण

Additional Important Questions and Answers

(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
उत्तर:

सही पर्याय चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
चरित्र निर्माण से आप समझते हैं कि
(क) नए-नए अविष्कार करना।
(ख) महापुरुषों के चरित्र (जीवनियाँ) पढ़ना।
(ग) स्वयं के चरित्र को उज्ज्वल बनाना।
उत्तर:

चरित्र निर्माण से आप समझते हैं कि स्वयं के चरित्र को उज्ज्वल बनाना।

उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
साहस को क्या स्वीकार नहीं है?
उत्तर:

मँझधारों में डूबना साहस को स्वीकार नहीं है।

कृति (2) आकलन कृति

समझकर लिखिए।

प्रश्न 1.
काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त आँधी शब्द का कविता से संबंधित अर्थ है।
(क) मुसलाधार बारिश के कारण आनेवाला तूफान।
(ख) प्रत्येक व्यक्ति के निजी स्वार्थ के कारण आनेवाला तूफान।
उत्तरः

प्रत्येक व्यक्ति के निजी स्वार्थ के कारण आनेवाला तूफान।

प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाइए।

सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
1. डूबना/मरना मँझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है।
2. मानो अगम अगाध सिंधु/ बिंदु में संघर्षों का पार नहीं है।
उत्तर:
1. डूबना मँझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है।
2. माना अगम अगाध सिंधु में संघर्षों का पार नहीं है।

कृति (3) भावार्थ

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।
निर्माणों के पावन युग …………….. कल्याण न भूलें!
भावार्थ:

कवि कहते हैं कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। विज्ञान और तकनीकी के इस युग में नई-नई चीजों की खोज हो रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। व्यक्ति का भौतिक विकास हो रहा है। ऐसे में, व्यक्ति को अपने चरित्र-निर्माण पर भी बल देना चाहिए। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग कर मानव जाति के कल्याण के लिए आगे बढ़ना चाहिए।

(ख) पद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
उत्तर:

निम्नलिखित कथन सत्य है या असत्य लिखिए।

प्रश्न 1.
1. नैतिक आधार के बिना शिक्षा व्यर्थ है।
2. शील, विनय, आदर्श, श्रेष्ठता चरित्र निर्माण के साधन नहीं है।
उत्तर:

1. सत्य
2. असत्य

कृति (2) आकलन कृति

एक वाक्य में उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
हमें कीर्ति कौमुदी की गरिमा में क्या नहीं भूलना चाहिए?
उत्तरः

हमें कीर्ति कौमुदी की गरिमा में संस्कृति का सम्मान नहीं भूलना चाहिए।

सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
तार बिना झंकार/ श्रृंगार नहीं है।
उत्तरः
तार बिना झंकार नहीं है।

प्रस्तुत पद्यांश को पढ़कर एक ऐसा प्रश्न बनाइए कि जिसका उत्तर निम्न शब्द हो।

प्रश्न 1.
शिक्षा
उत्तर:
नैतिक आधार के बिना कौन स्वर साध नहीं सकेगी?

कृति (3) भावार्थ

निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
शील, विनय,…………………. न भूलें!!
भावार्थ:
जिस प्रकार तार के बिना झंकार सुनाई नहीं देती। उसी प्रकार शील, विनय, आदर्श व श्रेष्ठता के बिना मनुष्य का चरित्र उज्ज्वल नहीं बन सकता। सच्ची शिक्षा वही होती है, जिसका आधार नैतिकता हो। मनुष्य को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे यश, ख्याति, प्रसिद्धि रूपी उज्ज्वल चाँदनी के गौरवमय प्रकाश में अपनी संस्कृति का सम्मान करना नहीं भूलना चाहिए।

(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
सहसंबंध लिखिए।
जैसे – मानव : प्यार
1. प्राणी: …….
2. जीवन: ……
उत्तर:

1. उपकार
2. उत्थान

कृति (2) आकलन कृति

1. समझकर लिए

प्रश्न 1.
‘जीवन-उत्थान’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जीवन की चारित्रक उन्नति

प्रश्न 2.

सही पर्याय चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि का ‘भौतिक उत्थान’ से तात्पर्य ………. है।
(क) आध्यात्मिक उन्नति
(ख) सांसारिक उन्नति
(ग) मानव की उन्नति
उत्तरः

कवि का ‘भौतिक उत्थान’ से तात्पर्य सांसारिक उन्नति है।

कृति (3): भावार्थ

निम्नलिखित पद्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न 1.
“अविष्कारों की ……………….जीवन का उत्थान।”
भावार्थः

निर्माण के इस पावन युग में मनुष्य नए-नए आविष्कार कर रहा है। भले ही मनुष्य आविष्कार कर रहा है, पर यदि उस में आविष्कार के प्रति प्रेम नहीं है, मानवता की भावना नहीं है; शांति की कामना नहीं है। प्राणी मात्र पर उपकार करने का भाव नहीं है, तो उसके द्वारा किए गए विज्ञानरूपी आविष्कार व्यर्थ हैं। ऐसे आविष्कार आविष्कृत होने के बावजूद भी सृजनहीन है। भले ही मनुष्य सांसारिक उन्नति कर रहा है। फिर भी उसे अपने जीवन की उन्नति के बारे में नहीं भूलना चाहिए। जीवन की उन्नति तभी संभव है, जब मनुष्य के हृदय में प्रेम, मानवता, सहृदयता, नैतिकता व शांति का सृजन होगा।

पद्य-विश्लेषण

  • कविता का नाम – निर्माणों के पावन युग
  • कविता की विधा – आधुनिक कविता
  • पसंदीदा पंक्ति – निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें। स्वार्थ साधना की आँधी में हम वसुधा का कल्याण न भूलें।
  • पसंदीदा होने का कारण – उपर्युक्त पंक्ति मुझे बेहद पसंद है क्योंकि उसमें चरित्र निर्माण की बात कही गई है। व्यक्ति के पास उज्ज्वल चरित्र होना चाहिए। उसे अपने चरित्र से दूसरों पर प्रभाव निर्माण करना चाहिए।
  • कविता से प्राप्त संदेश या प्रेरणा – प्रस्तुत कविता से प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति का चरित्र संपन्न एवं समृद्ध होना चाहिए।

स्वयं का चरित्र उज्ज्वल बनाने के लिए व्यक्ति को मानवीय गुणों का अपनाना चाहिए। स्वार्थ भाव का त्याग कर व्यक्ति को नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करनी चाहिए। व्यक्ति को ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का पालन करना चाहिए। नए-नए अनुसंधान में व्यस्त रहकर व्यक्ति को अपनी संस्कृति का भी सम्मान करना चाहिए।

Summary in English

कवि-परिचय:

जीवन-परिचय: अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के साथ-साथ एक प्रबुद्ध कवि, प्रखर वक्ता व पत्रकार के रूप में कार्यरत रहे हैं। राष्ट्रीय-भावना से ओत-प्रोत कई पत्रिकाओं का इन्होंने संपादन भी किया है। ब्रजभाषा व खड़ी बोली में काव्य रचना इनकी प्रमुख विशेषता रही है। ‘पद्मविभूषण’, ‘लोकमान्य तिलक पुरस्कार’ व ‘भारत रत्न पुरस्कार’ से उन्हें पुरस्कृत किया गया है।

प्रमुख कृतियाँ: कविता संग्रह – मेरी इक्यावन कविताएँ’, गद्य रचनाएँ – ‘कुछ लेख: कुछ भाषण’, ‘बिंदु-बिंदु विचार’, ‘मृत्यु या हत्या’, ‘संसद में तीन दशक’, ‘सेक्युलरवाद’ आदि।

पद्य-परिचय:

कविता: रस और अलंकार से परिपूर्ण, सुंदर अर्थ प्रकट करने वाली, हृदय की मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी से निकली
शब्द रचना कविता कहलाती है। कविता मनुष्य को स्वार्थ संबंधों के संकुचित घेरे से ऊपर उठाती है और शेष सृष्टि से सुरीला संबंध जोड़ने में सहायक होती है।

प्रस्तावना: कविता में कवि वाजपेयी जी ने वसुधैव कुटुंबकम् के नूतन अनुसंधान, संस्कृति के सम्मान, जगत का कल्याण-उत्थान करने के साथ-ही-साथ चरित्र निर्माण एवं मानवीय गुणों के महत्त्व को समग्र रूप में प्रतिपादित किया है।

सारांश:

कवि कहते हैं कि आज का युग निर्माण का पावन युग है। जीवन के हर एक क्षेत्र में प्रगति हो रही है, नव-निर्माण हो रहा है । ऐसे में क्या व्यक्तिविकास हो रहा है? व्यक्ति-विकास के लिए चरित्र का उज्ज्वल होना आवश्यक है। अत: व्यक्ति को चरित्र-निर्माण पर बल देना चाहिए। उसे व्यक्तिगत स्वार्थ से बाहर निकलकर मानवजाति के कल्याण के लिए अग्रसर होना चाहिए।

शब्दार्थ:

  1. निर्माण – सृजन
  2. पावन – पवित्र
  3. युग – समय
  4. आँधी – तूफान
  5. वसुधा – पृथ्वी
  6. अगम – अपार
  7. अगाध – अथाह
  8. सिंधु – सागर
  9. मँझधार – लहरों के बीचोंबीच
  10. जटिल – कठिन
  11. अनुसंधान – खोज, अन्वेषण
  12. कीर्ति – ख्याति, प्रसिद्धि
  13. कौमुदी – चाँदनी
  14. गरिमा – महत्त्व, गौरव
  15. सृजनहीन – निर्माण हीन
  16. भौतिकता – सांसारिकता
  17. उत्थान – उन्नति

भावार्थ:

निर्माणों के पावन युग …………………….. अनुसंधान न भूलें !!

कवि कहते हैं कि आज का युग विज्ञान एवं तकनीकी का युग है। विज्ञान और तकनीकी के इस युग में नई-नई चीजों की खोज हो रही है। नए-नए आविष्कार हो रहे हैं। व्यक्ति का भौतिक विकास हो रहा है। ऐसे में, व्यक्ति को अपने चरित्र-निर्माण पर भी बल देना चाहिए। उसे