Chapter 11 कोखजाया
Chapter 11 कोखजाया
Textbook Questions and Answers
कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर
आकलन
प्रश्न 1.
(अ) परिणाम लिखिए :
(a) मौसा अचानक चल बसे – …………………………………
(b) दिलीप उच्च शिक्षा के लिए लंदन चला गया – …………………………………
उत्तर :
(a) मौसा अचानक चल बसे – मौसी का जीवन एकाएक ठहर सा गया।
(b) दिलीप उच्च शिक्षा के लिए लंदन चला गया – तो वहीं का होकर रह गया।
(आ) कृति पूर्ण कीजिए :
(a) बोर्ड पर लिखा वृद्धाश्रम का नाम – …………………………………
(b) दिलीप और रघुनाथ का रिश्ता – …………………………………
उत्तर :
(a) बोर्ड पर लिखा वृद्धाश्रम का नाम – मातेश्वरी महिला वृद्धाश्रम
(b) दिलीप और रघुनाथ का रिश्ता – मौसेरे भाई
शब्द संपदा
प्रश्न 2.
तद्धित शब्द लिखिए :
(१) बूढ़ा – …………………………………
(२) मानव – …………………………………
(३) माता – …………………………………
(४) अपना – …………………………………
उत्तर :
(1) बूढ़ा – बुढ़ापा
(2) मानव – मानवता
(3) माता – मातृत्व
(4) अपना – अपनापन
अभिव्यक्ति
प्रश्न 3.
(अ) ‘कोखजाया’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वर्तमान भारतीय समाज में पारिवारिक व्यवस्था में बड़ी तेजी से बदलाव आ रहे हैं। निकटस्थ रिश्ते भी भावनाओं से दूर निरर्थक होते जा रहे हैं। परिवार छोटे हो गए हैं। केवल ‘मैं और मेरे बच्चे’ ही परिवार का हिस्सा रह गए। इस भावना के फलने – फूलने में स्त्रियों का योगदान भी कम नहीं रहा।
‘मेरे पति की आमदनी पर सिर्फ मेरा और मेरे बच्चों का ही अधिकार है’ वाली भावना जोर पकड़ने लगी। ‘कोखजाया’ कहानी का उद्देश्य आज समाज में फैलती जा रही रिश्तों की निरर्थकता को चित्रित करते हुए यह दर्शाना भी है कि प्रत्येक रिश्ते में प्यार होना जरूरी है।
आज के समाज के केंद्र में धन, विलासिता सुख – सुविधाओं का स्थान सर्वोपरि हो गया है। आज की भौतिकवादी पीढ़ी में युवक विवाहोपरांत निजी स्वार्थ में इस तरह लिप्त हो जाते हैं कि वूद्ध माता – पिता की सेवा करना तो दूर, उनकी उपेक्षा करने लगते हैं। कहानी हमें यह भी संदेश देती है कि मनुष्य की इस प्रवृत्ति को बदलना होगा और रिश्तों को सार्थकता प्रदान करनी होगी वरना हमारी महान भारतीय संस्कृति रसातल में चली जाएगी।
का आधार हैं। संस्कारों की कमी, निहित स्वार्थ और भौतिकवादी सोच व्यक्ति को क्रूर बना रहे हैं। पैसों की होड़, मनुष्य के निजी स्वार्थ के कारण पारिवारिक रिश्तों में काफी गिरावट आई है। दो लोगों के बीच में पारस्परिक हितों का होना, बनना और बढ़ना रिश्तों को न केवल जन्म देता है, बल्कि एक मजबूत नींव भी प्रदान करता है। जैसे ही पारस्परिक हित निजी हित या स्वार्थ में बदल जाता है रिश्तों में ग्रहण लगना शुरू हो जाता है।
पारस्परिक हित में अपने हित के साथ – साथ दूसरे के हित का भी समान रूप से ध्यान रखा जाता है।
(आ) ‘माँ के चरणों में स्वर्ग होता है’, इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
कहा जाता है कि माता के चरणों में स्वर्ग होता है। संसार का सुंदरतम व प्यारा शब्द है ‘माँ’। इसमें कितनी मिठास भरी है। माँ का दर्जा देवताओं से भी बढ़कर है। हमने परमात्मा को नहीं देखा, भगवान को नहीं देखा। हमारी माँ हमारे लिए भगवान का ही रूप है। परमात्मा इस सृष्टि का पालन करता है, यह हम सभी जानते हैं। माता के चरणों का स्पर्श करने से बल, बुद्धि, विद्या और आयु प्राप्त होती है। कितने कष्टों को सहकर माँ बच्चे को जन्म देती है, उसके पश्चात अपने स्नेहरूपी अमृत से सींचकर उसे बड़ा करती है। मातापिता के चरणों में स्वर्ग होता है, उनके आशीर्वाद से हमें हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
हर कष्ट से मुक्ति मिलती है। उनका आदर और सम्मान करना हमारा सबसे पहला धर्म है। आज संसार में हमारा जो भी अस्तित्व है, जो भी पहचान है, उसका संपूर्ण श्रेय हमारे मातापिता को ही जाता है। विवेकी सुपुत्र अपने माता – पिता की आज्ञा की अवहेलना करके एक कदम भी नहीं चलते।
साथ ही लालच के कारण, धन के लिए माता – पिता की आज्ञा का उल्लंघन करने वालों की भी समाज में कमी नहीं है। आज आवश्यकता है मातृदेवो भव वाली वैदिक अवधारणा को एक बार पुनःप्रतिष्ठित करने की। तभी भारतीय समाज अपनी प्राचीन गरिमा को प्राप्त कर सकेगा।
पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न
प्रश्न 4.
(अ) मौसी की स्वभावगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
स्नेही : मौसी बड़ी स्नेही थीं। उन्होंने अपने पिता से मिली संपत्ति जबरन अपनी छोटी बहन को सौंप दी। लेखक की पढ़ाई – लिखाई में भी मौसी का योगदान था।
निरभिमानी : मौसी के पति प्रसिद्ध आई ए एस अधिकारी थे। वे हमेशा बड़े – बड़े पदों पर आसीन रहे। गुजरात में जिलाधिकारी रहे। अंत में भारत सरकार के वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए थे। परंतु मौसी को कभी भी अपने पति के पद या पावर का घमंड नहीं हुआ।
भावुक हृदया : मौसी बहुत भावुक हृदय की स्वामिनी थीं। एक बार उनके नैहर के गाँव में भयंकर अकाल पड़ा। लोगों के हाहाकार और दुर्दशा से द्रवित होकर उन्होंने अपनी ससुराल से सारा जमा अन्न मँगवाया। आवश्यकतानुसार खरीदवाया भी। और पूरे गाँव के लिए भंडारा खुलवा दिया।
स्वाभिमानी : मौसी सरल हृदया थीं परंतु बड़ी स्वाभिमानी थीं। उनके एकमात्र पुत्र ने धोखे से उनकी सारी संपत्ति औने – पौने दामों में बेच दी। मौसी ने भारी हृदय से उस धोखे को भी आत्मसात कर लिया। परंतु वही पुत्र उन्हें एअरपोर्ट पर अकेले, निराश्रित छोड़कर चला गया। उसने एक बार भी यह नहीं सोचा कि माँ का क्या होगा, वह कहाँ जाएगी? तब मौसी ने वृद्धाश्रम में रहना उचित समझा। लोकलाज के भय से बेटा परिवार के साथ आया अवश्य, पर उनके छटपटाने, गिड़गिड़ाने के बावजूद मौसी ने मिलने से मना कर दिया, उनका मुँह तक नहीं देखा।
(आ) ‘मनुष्य के स्वार्थ के कारण रिश्तों में आई दूरी’, इसपर अपना मंतव्य लिखिए।
उत्तर :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। रिश्ते सामाजिक संबंधों का आधार हैं। संस्कारों की कमी, निहित स्वार्थ और भौतिकवादी सोच व्यक्ति को क्रूर बना रहे हैं। पैसों की होड़, मनुष्य के निजी स्वार्थ के कारण पारिवारिक रिश्तों में काफी गिरावट आई है। दो लोगों के बीच में पारस्परिक हितों का होना, बनना और बढ़ना रिश्तों को न केवल जन्म देता है, बल्कि एक मजबूत नींव भी प्रदान करता है। जैसे ही पारस्परिक हित निजी हित या स्वार्थ में बदल जाता है रिश्तों में ग्रहण लगना शुरू हो जाता है। पारस्परिक हित में अपने हित के साथ – साथ दूसरे के हित का भी समान रूप से ध्यान रखा जाता है।
साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान जानकारी लिखिए :
प्रश्न 5.
(अ) ‘कोखजाया’ कहानी के हिंदी अनुवादक का नाम –
उत्तर :
बैद्यनाथ झा।
(आ) कहानी विधा की विशेषता –
उत्तर :
कहानी विधा में जीवन में किसी एक अंश अथवा प्रसंग का वर्णन मिलता है। कहानियाँ अपने प्रारंभिक काल से ही सामाजिक बोध को व्यक्त करती है। समाज के बदलते मूल्यों, विचारों और दर्शन ने सदैव कहानियों को प्रभावित किया है। कहानियों के द्वारा हम किसी भी काल की सामाजिक, राजनीतिक दशा का परिचय आसानी से पा सकते हैं।
प्रश्न 6.
(अ) निम्न उपसर्गों से प्रत्येक के तीन शब्द लिखिए :
- अति – क्रमण : अतिक्रमण …………………. ………………….
- नि – कृष्ट : निकृष्ट …………………. ………………….
- परा – काष्ठा : पराकाष्ठा …………………. ………………….
- वि – संगति : विसंगति …………………. ………………….
- अभि – भावक: अभिभावक …………………. ………………….
- प्र – स्थान : प्रस्थान …………………. ………………….
- अ – विवेक : अविवेक …………………. ………………….
- अध – पका : अधपका …………………. ………………….
- भर – पूर : भरपूर …………………. ………………….
- कु – पात्र : कुपात्र …………………. ………………….
उत्तर :
- अति – क्रमण : अतिक्रमण, अतिरिक्त, अतिशय।
- नि – कृष्ट : निकृष्ट, निवास, निषेध।
- परा – काष्ठा : पराकाष्ठा, पराजय, परास्त।
- वि – संगति : विसंगति, विदेश, विवाद।
- अभि – भावक : अभिभावक, अभिनव, अभिमान।
- प्र – स्थान : प्रस्थान, प्रगति, प्रबल।
- अ – विवेक : अविवेक, अधर्म, असत्य।
- अध – पका : अधपका, अधबना, अधजला।
- भर – पूर : भरपूर, भरपेट, भरसक।
- कु – पात्र : कुपात्र, कुसंगति, कुप्रथा।
(आ) निम्न प्रत्ययों से प्रत्येक के तीन शब्द लिखिए :
- आ – प्यास : प्यासा …………………. ………………….
- इया – पूरब : पुरबिया …………………. ………………….
- ई – ज्ञान : ज्ञानी …………………. ………………….
- ईय – भारत : भारतीय …………………. ………………….
- ईला – भड़क : भड़कीला …………………. ………………….
- ऊ – ढाल : ढालू …………………. ………………….
- मय – जल : जलमय …………………. ………………….
- वान – गुण : गुणवान …………………. ………………….
- वर – नाम : नामवर …………………. ………………….
- दार – धार : धारदार …………………. ………………….
उत्तर :
- आ – प्यास : प्यासा, प्यारा, दुलारा।
- इया – पूरब : पुरबिया, घटिया, जड़िया।
- ई – ज्ञान : ज्ञानी, विदेशी, गुजराती।
- ईय – भारत : भारतीय, शासकीय, राजकीय।
- ईला – भड़क : भड़कीला, रसीला, रंगीला।
- ऊ – ढाल : ढालू, चालू, रटू।
- जल : जलमय, ज्ञानमय, संगीतमय।
- वान – गुण : गुणवान, भाग्यवान, दयावान।
- वर – नाम : नामवर, ताकतवर, प्रियवर।
- दार – धार : धारदार, जमींदार, दुकानदार।
कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (अ) तथा प्रश्न 1 (आ) के लिए
गद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए:
(a) मौसी का नाम – …………………………………
उत्तर :
(a) मौसी का नाम – मिसेज गंगा मिश्र
प्रश्न 2.
वाक्य सही करके लिखिए :
(1) रघुनाथ चौधरी की बुआ प्रतिभावान और प्रसिद्ध आई पी एस अधिकारी की पत्नी थीं।
(2) मामी को कभी अपने पति के पद और पावर का संतोष नहीं हुआ।
उत्तर :
(1) रघुनाथ चौधरी की मौसी प्रतिभावान और प्रसिद्ध आई ए एस अधिकारी की पत्नी थीं।
(2) मौसी को कभी अपने पति के पद और पावर का घमंड नहीं हुआ।
प्रश्न 3.
कारण लिखिए :
(1) बड़े लोग ही अपने माता – पिता को अंतिम समय में वृद्धाश्रम भेजने लगे हैं।
(2) रघुनाथ चौधरी मौसी को देख अति दुखी हो गया।
उत्तर :
(1) बड़े लोगों के पास समय ही नहीं होता अपने माता – पिता के लिए।
(2) हमेशा बुलंदी पर रहने वाली मौसी एकदम लस्त – पस्त लग रही थी।
प्रश्न 4.
कोष्ठक में से सही शब्द चुनकर वाक्य फिर से लिखिए :
(1) मौसी को इस कमरे/परिस्थिति/वृद्धाश्रम में देखकर रघुनाथ चौधरी सिर झुकाकर रोने लगा।
(2) वृद्धाश्रम के प्रबंधक/संचालक/मैनेजर का फोन कॉल सुनकर रघुनाथ चौधरी अवाक रह गया।
उत्तर :
(1) मौसी को इस परिस्थिति में देखकर रघुनाथ चौधरी सिर झुकाकर रोने लगा।
(2) वृद्धाश्रम के प्रबंधक का फोन कॉल सुनकर रघुनाथ चौधरी अवाक रह गया।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द समूहों के लिए एक शब्द परिच्छेद में से ढूँढ़कर लिखिए।
(1) वृद्ध लोगों के रहने का स्थान – ……………………………..
(2) साथ में काम करने वाला – ……………………………..
(3) प्रश्न के उत्तर में प्रश्न – ……………………………..
(4) जिसे जानते न हों – ……………………………..
उत्तर :
(1) वृद्धाश्रम
(2) सहकर्मी
(3) प्रतिप्रश्न
(4) अनजान।
कृति 3 : (अभिव्यक्ति)
प्रश्न 1.
‘वृद्धाश्रमों का जीवन’ विषय पर अपने विचार 40 से 50 शब्दों में लिखिए :
उत्तर :
कहा जाता है कि माता – पिता के चरणों में स्वर्ग होता है है। उनकी सेवा से साक्षात ईश्वर की प्राप्ति होती है। हमारे जिस देश में, जहाँ श्रवण कुमार जैसे पुत्र ने जन्म लिया हो, उसी देश में ऐसे भी अनेक पुत्र हैं, जो संपन्न और समृद्ध होते हुए भी वृद्ध माता – पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं।
शारीरिक रूप से सर्वथा अशक्त और असहाय हो चुके वृद्धों को जिस समय अपनों के अपनेपन की अधिक आवश्यकता होती है, उस समय वे निराश, हताश, अपने प्रियजनों से दूर वृद्धाश्रम में नितांत अजनबियों के , बीच एकाकी जीवन व्यतीत करने को बाध्य दिखाई देते हैं।
उस अपरिचित वातावरण में न तो उन्हें किसी प्रकार की भावात्मक सुरक्षा , मिल पाती है, न ही किसी की आत्मीयता या स्नेह। उन वृद्धों की मानसिक वेदना उनकी शारीरिक व्याधियों से कहीं अधिक पीड़ादायी और कष्टप्रद होती है। अनेक अवसरों पर तो वृद्धाश्रम के कर्मचारी भी उन्हें डाँटते – डपटते देखे जाते हैं। वे भली – भाँति जानते हैं कि इन असहाय वृद्धों की खोज – खबर लेने वाला कोई नहीं है।
गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए:
(a) मौसा इस प्रांत में जिलाधिकारी थे – ……………………………..
उत्तर :
(b) मौसा इस प्रांत में जिलाधिकारी थे – गुजरात।
प्रश्न 3.
विधानों के सामने सत्य/असत्य लिखिए :
उत्तर :
(1) मौसाजी जब बिहार में जिलाधिकारी थे तो नाना का देहांत हुआ था। – असत्य।
(2) मौसी भी कभी – कभी लंदन आती – जाती रहती थीं। – सत्य
(3) दिलीप ने धोखे से उस मकान का सौदा आठ करोड़ रुपये में है कर दिया था। – सत्य।
(4) मौसी का श्राद्ध उनके गाँव में जाकर संपन्न किया गया। – असत्य।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
परिच्छेद में से आई रिश्तों की जोड़ियाँ ढूँढ़कर लिखिए :
(1) – ………………………………
(2) – ………………………………
(3) – ………………………………
(4) – ………………………………
उत्तर :
(1) मौसी – मौसा
(2) नाना – नानी
(3) माँ – पिताजी
(4) मौसी – भांजा।
प्रश्न 2.
परिच्छेद से शब्द चुनकर उनमें प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाइए:
(1) – ………………………………
(2) – ………………………………
(3) – ………………………………
(4) – ………………………………
उत्तर :
(1) संबंध + इत = संबंधित
(2) साहस + इक = साहसिक
(3) संदेह + पूर्ण = संदेहपूर्ण
(4) रंग + ईन = रंगीन।
कृति 3 : (अभिव्यक्ति)
प्रश्न 1.
‘वृद्धाश्रम : घटते जीवन मूल्यों का प्रतीक’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
जिस भारतीय संस्कृति में माता – पिता को भगवान का दर्जा दिया जाता था, आज वहीं गली – गली में वृद्धाश्रम खुल गए हैं।
आज का युवा स्वार्थी बनकर रह गया है। स्व के अलावा उसे कुछ दिखाई ही नहीं देता। नई पीढ़ी अपने नैतिक मूल्यों को भूलती जा रही है। जिन माता – पिता ने हमारा हाथ थाम हमें चलना सिखाया, कंधे पर बिठाकर दुनिया दिखाई, जरा कदम लड़खड़ाए झट आगे बढ़कर थाम लिया।
उनके हाथ – पाँव जब डगमगाने लगे, तो उन्हें सहारा देने के स्थान पर उनसे मुख मोड़ लेते हैं। संपत्ति के लिए माता – पिता तक को नोटिस दे देते हैं। एक बार माता – पिता की संपत्ति हाथ लग जाए तो अपने जन्मदाता ही बोझस्वरूप लगने लगते हैं। ऐसे पुत्र वास्तव में कृतघ्नी होते हैं।
उनके लिए हमारा करिअर, हमारी उन्नति, हमारे बच्चे, इसके अलावा हमारा कोई नहीं। अपनेपन की भावना जाने कहाँ लुप्त हो गई है। नैतिक मूल्य निरंतर घटते जा रहे हैं। बुजुर्ग हमारी धरोहर हैं, अनुभवों का चलता – फिरता संग्रहालय हैं। हमें उन्हें आदरपूर्वक सँभालना चाहिए।
गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(1) मैडम, आपके बेटे ने आपके साथ यह किया है –
(2) यहाँ सात – आठ अफसर जमा थे –
(3) वह सिपाही इसे चलाते हुए मौसी के साथ चल पड़ा –
(4) इसमें कोई झंझट तो नहीं हो गया –
उत्तर :
(1) मैडम, आपके बेटे ने आपके साथ यह किया है – धोखा।
(2) यहाँ सात – आठ अफसर जमा थे – सिक्यूरिटी ऑफिस में।
(3) वह सिपाही इसे चलाते हुए मौसी के साथ चल – पड़ा – ट्रॉली।
(4) इसमें कोई झंझट तो नहीं हो गया – लगेज में।
प्रश्न 3.
गद्यांश से दो ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर निम्नलिखित शब्द हों :
(1) अप्रत्याशित
(2) लॉटरी।
उत्तर :
(1) सिक्यूरिटी ऑफिस में मौसी कैसा व्यवहार करने लगीं?
(2) बाप का मरना दिलीप के लिए क्या निकलने जैसा था?
प्रश्न 4.
किसने किससे कहा है, लिखिए :
(1) तुम यहीं बैठो, इमिग्रेशन के समय सब साथ हो जाएँगे –
(2) आप बैठिए, मैं पता लगाकर आता हूँ –
(3) इसका क्या अर्थ हुआ? –
(4) मैडम, मैं आपको दुख की एक बात बताने जा रहा हूँ –
उत्तर :
(1) तुम यहीं बैठो, इमिग्रेशन के समय सब साथ हो जाएँगे – दिलीप ने माँ से कहा है।
(2) आप बैठिए, मैं पता लगाकर आता हूँ – सिक्यूरिटी ने मौसी से कहा है।
(3) इसका क्या अर्थ हुआ? – मौसी ने सिक्यूरिटी अफसर से कहा है।
(4) मैडम, मैं आपको दुख की एक बात बताने जा रहा हूँ – एक – सिक्यूरिटी अफसर ने मौसी से कहा है।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
गद्यांश में प्रयुक्त शब्द – युग्म ढूँढ़कर लिखिए :
(1) – ……………………………………
(2) – ……………………………………
(3) – ……………………………………
(4) – ……………………………………
उत्तर :
(1) सात – आठ
(2) नहीं – नहीं
(3) ओने – पोने
(4) पल – पल।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का वचन बदलकर लिखिए :
(1) जरूरत – ……………………………………
(2) तिथि – ……………………………………
(3) सूचना – ……………………………………
(4) पत्नी – ……………………………………
उत्तर :
(1) जरूरत – जरूरतें
(2) तिथि – तिथियाँ
(3) सूचना – सूचनाएँ
(4) पत्नी – पत्नियाँ।
गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
कृति 1 : (आकलन)
प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :
उत्तर :
प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए :
(1) घर का मालिक/खरीददार/किरायेदार घर वापस करने को तैयार हो गया।
(2) सभी बहुएँ/पत्नियाँ/संतानें एक जैसी नहीं होती।
(3) इसका श्रेय माँ और सपूत/पत्नी/सास दोनों को है।
(4) मेरी माँ/पत्नी/चाची भी फूट – फूटकर रो पड़ी।
उत्तर :
(1) घर का खरीददार घर वापस करने को तैयार हो गया।
(2) सभी संतानें एक जैसी नहीं होती।
(3) इसका श्रेय माँ और सपूत दोनों को है।
(4) मेरी पत्नी भी फूट – फूटकर रो पड़ी।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के लिए परिच्छेद में प्रयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) सावधान – ……………………………….
(2) मृत्य – ……………………………….
(3) उदर – ……………………………….
(4) नवजात शिशु – ……………………………….
उत्तर :
(1) सावधान – सतर्क
(2) मृत्यु – अवसान
(3) उदर – कोख
(4) नवजात शिशु – होरिला
प्रश्न 4.
वाक्य पूर्ण कीजिए:
(1) दिलीप और उसके परिवार का मुँह – ……………………………….
(2) आई ए एस एसोसिएशन ने भारत से लेकर – ……………………………….
उत्तर :
(1) दिलीप और उसके परिवार का मुंह देखने के लिए मौसी कदापि तैयार नहीं हुई।
(2) आई ए एस एसोसिएशन ने भारत से लेकर इंग्लैंड तक हंगामा खड़ा कर दिया।
कृति 2 : (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द परिच्छेद में से ढूँढ़कर लिखिए :
(1) मृत x …………………………………
(2) अपकार x …………………………………
(3) उल्लंघन x …………………………………
(4) हानि x …………………………………
उत्तर :
(1) मृत x जीवित
(3) उल्लंघन x पालन
(2) अपकार x उपकार
(4) हानि x लाभ।
1. मुहावरे :
निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) खबर गर्म होना
अर्थ : चर्चा – ही – चर्चा होना।
वाक्य : सारी दुनिया में इस समय एक ही खबर गर्म है – कोरोना का प्रकोप।
(2) चिराग तले अँधेरा
अर्थ : गुणवान व्यक्ति में ही दोष होना।
वाक्य : गुप्ता जी ट्यूशन पढ़ाने के चक्कर में घर – घर घूमते है रहे और उनका बेटा दसवीं कक्षा भी पास नहीं कर पाया। इसी को कहते हैं चिराग तले अँधेरा।
(3) घर फूंक तमाशा देखना
अर्थ : अपनी ही हानि पर प्रसन्न होना।
वाक्य : उस जुआड़ी को समझाना व्यर्थ है, वह तो घर फूंक तमाशा देख रहा है।
(4) जी जान से काम करना
अर्थ : पूरी क्षमता के साथ काम करना।
वाक्य : जापान के लोगों के बारे कहा जाता है कि वे जो भी काम करते हैं जी जान से करते हैं।
(5) सितारा चमकना
अर्थ : भाग्योदय होना।
वाक्य : हमारे देश में एक से बढ़कर एक धनाढ्य व्यापारी हैं, जिनका सितारा चमक रहा है।
(6) कुएँ में बाँस डालना
अर्थ : जगह – जगह खोज करना।
वाक्य : दादाजी का चश्मा उनके लिखने की मेज से गुम हो गया था, अब वे उसे ढूँढ़ रहे हैं कुएँ में बाँस डाल कर।
2. काल परिवर्तन :
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को कोष्ठक में सूचित काल में परिवर्तन कीजिए :
(1) सभी एक – एक लोटा पानी डाल जाते हैं। (पूर्ण भूतकाल)
(2) अरे, रोते हैं आप! (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(3) बातचीत ऐसे ही प्रश्नों से जमती है। (सामान्य भविष्यकाल)
(4) मैं भिखारी को कंबल देता हूँ। (पूर्ण वर्तमानकाल)
(5) ट्रस्ट के सचिव ने मुझे एक लिफाफा दिया। (अपूर्ण भूतकाल)
उत्तर :
(1) सभी एक – एक लोटा पानी डाल गए थे।
(2) अरे, रो रहे हैं आप!
(3) बातचीत ऐसे ही प्रश्नों से जमेगी।
(4) मैंने भिखारी को कंबल दिया है।
(5) ट्रस्ट का सचिव मुझे एक लिफाफा दे रहा था।
3. वाक्य शुद्धिकरण :
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके लिखिए :
(1) गर्ग सहाब ने अपने वचन के पालन किया।
(2) आज अब उस अधयाय का अवशान हो गया है।
(3) मैं भावुख होकर बगीचे की और निकल जाता था।
(4) आफिस से अनुमति लेकर तुरंत विदा हो गया।
(5) मेने फिर चुप रहना ही उचित समजा।
उत्तर :
(1) गर्ग साहब ने अपने वचन का पालन किया।
(2) आज अब उस अध्याय का अवसान हो गया है।
(3) मैं भावुक होकर बगीचे की ओर निकल जाता था।
(4) ऑफिस से अनुमति लेकर तुरंत विदा हो गया।
(5) मैंने फिर चुप रहना ही उचित समझा।
कोखजाया Summary in Hindi
कोखजाया लेखक का परिचय
कोखजाया लेखक का नाम : श्याम दरिहरे। (जन्म 19 फरवरी, 1954.)
कोखजाया प्रमुख कृतियाँ : घुरि आउ मान्या, जगत सब सपना, न जायते म्रियते वा (उपन्यास), सरिसो में भूत, रक्त संबंध (कथा संग्रह), गंगा नहाना बाकी है, मन का तोरण द्वार सजा है (कविता संग्रह) आदि। विशेषता श्याम दरिहरे मैथिली भाषा के चर्चित रचनाकार हैं।
मैथिली भाषा में कहानी, उपन्यास तथा कविता में आपकी लेखनी की श्रेष्ठता प्रसिद्ध है। आपकी सभी रचनाएँ भारतीय संस्कृति में आधुनिक भावबोध को परिभाषित करती हैं। आपकी रचनाएँ पुरानी और नई पीढ़ी के मध्य सेतु का काम करती हैं। आपका साहित्य संप्रेषणीयता की दृष्टि से भावपूर्ण एवं बोधगम्य है।
कोखजाया विधा : अनूदित साहित्य। अनूदित कहानी विधा में जीवन में किसी एक अंश अथवा प्रसंग के चित्रण द्वारा सामाजिक बोध को व्यक्त करती है।
कोखजाया विषय प्रवेश : वर्तमान भारतीय समाज में पारिवारिक व्यवस्था में बहुत बड़ा बदलाव आ गया है। निकटस्थ रिश्ते भी भावनाओं से दूर निरर्थक होते जा रहे हैं। आज के समाज के केंद्र में धन, विलासिता सुख – सुविधाओं का स्थान सर्वोपरि हो गया है। लेखक का मानना है कि मनुष्य की इस प्रवृत्ति को बदलना होगा और रिश्तों को सार्थकता प्रदान करनी होगी वरना हमारी महान भारतीय संस्कृति रसातल में चली जाएगी।
कोखजाया पाठ का सार
रघुनाथ चौधरी की मौसी बड़ी स्नेही और सरल हृदया थीं। पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने पिता द्वारा उनकी संपत्ति से प्राप्त अपना हिस्सा भी अपनी एकमात्र बहन यानि रघुनाथ चौधरी की माँ को दे दिया। उनके पति प्रसिद्ध आई ए एस अधिकारी थे। वे हमेशा बड़ेबड़े पदों पर आसीन रहे। अंत में भारत सरकार के वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए थे। परंतु मौसी को कभी भी अपने पति के पद या पावर का घमंड नहीं हुआ।
मौसी का एक ही पुत्र था दिलीप। उसने दिल्ली स्थित एम्स से अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। उस समय रघुनाथ चौधरी के मौसा दिल्ली में ही किसी ऊँचे पद पर कार्यरत थे। जिस कारण दिलीप बड़े ऐशो आराम से पढ़ता रहा। आगे की पढ़ाई के लिए वह लंदन गया तो फिर नहीं लौटा।
एक बार मौसी के नैहर के गाँव में भयंकर अकाल पड़ा। लोगों के हाहाकार और दुर्दशा से द्रवित होकर भावुक हृदया मौसी ने अपनी ससुराल से सारा जमा अन्न मँगवाया। बाजार से भी आवश्यकतानुसार खरीदवाया और पूरे गाँव के लिए भंडारा खुलवा दिया।
इसी बीच हृदय गति रुक जाने के कारण मौसी के पति का स्वर्गवास हो गया। अंतिम संस्कार के लिए अपने परिवार के साथ
दिलीप घर आया। कई दिनों तक सरकारी कामों में उलझा रहा और अनेक कागजों पर मौसी से हस्ताक्षर करवाता रहा। मौसी से पूछे बिना, चुपके – चुपके धोखे से उनकी सारी संपत्ति औने – पौने दामों में बेच दी।
लंदन जाने का दिन आया तो सभी एअरपोर्ट पहुंचे। मौसी को है एक जगह बैठाकर सब सामान की जाँच करवाने की कहकर चले ३ गए। काफी देर प्रतीक्षा करने के बाद भी जब वे लोग नहीं लौटे ३ तो चिंतित होकर मौसी ने सिक्यूरिटी पर पूछताछ की। वहाँ से उन्हें पता चला कि उनका एकमात्र पुत्र उनका टिकट रद्द करवाकर अपने परिवार को लेकर लंदन चला गया है अपनी माँ को एअरपोर्ट पर ३ अकेले, निराश्रित छोड़कर।
उसने एक बार भी यह नहीं सोचा कि माँ का क्या होगा, वह कहाँ जाएगी? मौसी हतप्रभ रह गई। तभी आई जी गर्ग साहब आए। वे मौसा के साथ काम कर चुके थे, मौसी को पहचानते थे। मौसी ने उनसे किसी वृद्धाश्रम में रहने की इच्छा प्रकट की।
गर्ग साहब ने आई ए एस एसोसिएशन के माध्यम से भारत से लेकर इंग्लैंड तक हंगामा खड़ा कर दिया। मीडिया ने भी भारत में ३ वृद्धों और स्त्रियों की दुर्दशा पर लगातार समाचार प्रसारित करवाए, चर्चाएँ करवाई। लोकलाज के भय से दिलीप परिवार के साथ मौसी के पास आया, पर उनके छटपटाने, गिड़गिड़ाने के बावजूद मौसी ने मिलने से मना कर दिया, उनका मुँह तक नहीं देखा।
मौसी लगभग सात वर्ष उस वृद्धाश्रम में रहीं परंतु रघुनाथ चौधरी और उनकी पत्नी के अतिरिक्त कभी किसी से नहीं मिलीं। न कभी उस चहारदीवारी से बाहर निकलीं। रघुनाथ चौधरी प्रत्येक रविवार अपनी पत्नी के साथ उनसे मिलने अवश्य जाते थे। अंत में अपने पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार का अधिकार भी मौसी ने अपने कोखजाये अर्थात पुत्र से छीनकर रघुनाथ चौधरी को ही दिया।
कोखजाया मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग
(1) टस – से – मस न होना
अर्थ : अपनी बात पर अटल रहना।
वाक्य : निर्झरा को कितना ही समझाओ टस – से – मस नहीं होती।
(2) हाहाकार मचना
अर्थ : कोहराम मचना।
वाक्य : रेल दुर्घटना में घर के इकलौते होनहार इंजीनियर पुत्र के क्षत – विक्षत शव को देखकर पूरे परिवार में हाहाकार मच गया।
(3) द्रवित हो जाना
अर्थ : मन में दया/करुणा उत्पन्न होना।
वाक्य : पाठशाला जाने की आयु में छोटे – छोटे बच्चों को भीख माँगते देखकर माँ द्रवित हो जाती है।
(4) चल बसना
अर्थ : मृत्यु होना। वाक्य : कोरोना नामक महामारी के कारण न जाने कितने
लोग अल्पायु में चल बसे।
कोखजाया शब्दार्थ
- अवाक् = चुप, कुछ न बोलना
- नैहर = मायका, पीहर
- औने – पौने दामों में = कम दामों में
- अकुलाना = व्याकुल होना
- पैरवी = समर्थन में स्पष्टीकरण देना
- अभिशप्त = शापित, जिसे कोई शाप मिल गया है
- क्रय = खरीदना
- सहेजना = बटोरना, अच्छी तरह से समेटकर रखना
- अप्रत्याशित = अनपेक्षित, आशा के विरुद्ध
- होरिला = बेटा, नवजात शिशु
कोखजाया मुहावरे
- टस – से – मस न होना = अपनी बात पर अटल रहना
- द्रवित हो जाना = मन में दया/करुणा उत्पन्न होना
- हाहाकार मचना = कोहराम मचना
- चल बसना = मृत्यु होना