Chapter 11 समता की ओर
Textbook Questions and Answers
कृति
(कृतिपत्रिका के प्रश्न 2 (अ) तथा प्रश्न 2 (आ) के लिए)
सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 2.
जीवन शैली में अंतर स्पष्ट कीजिए :
धनी | दीन- दरिद्र |
……………………..
|
……………………..
|
उत्तर:
धनी | दीन- दरिद्र |
(i) रात दिन मौज, आनंद ही आनंद
|
शिशिर ऋतु के सारे दुख.
|
प्रश्न 3.
तालिका पूर्ण कीजिए:
ऋतुएँ | अंग्रेजी माह | हिंदी माह |
१. वसंत | मार्च, अप्रैल | चैत्र, बैसाख |
२. ग्रीष्म | ………………….. | ………………….. |
३. वर्ष | ………………….. | ………………….. |
४. शरद | ………………….. | ………………….. |
५. हेमंत | ………………….. | ………………….. |
६. शिशिर | ………………….. | ………………….. |
उत्तर:
ऋतुएँ | अंग्रेजी माह | हिंदी माह |
१. वसंत | मार्च, अप्रैल | चैत्र, बैसाख |
२. ग्रीष्म | मई–जून | ज्येष्ठ–आषाढ़ |
३. वर्ष | जुलाई–अगस्त | श्रावण–भाद्रपद |
४. शरद | सितंबर–अक्तूबर | आश्विन–कार्तिक |
५. हेमंत | नवंबर–दिसंबर | मार्गशीर्ष–पौष |
६. शिशिर | जनवरी–फरवरी। | माघ–फाल्गुन |
प्रश्न 4.
निम्न मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए :
1. रचनाकार
2. रचना का प्रकार
3. पसंदीदा पंक्ति
4. पसंदीदा होने का कारण
5. रचना से प्राप्त संदेश
उत्तर:
1. रचनाकार का नाम → मुकुटधर पांडेय।
2. रचना का प्रकार (विधा) → नई कविता।
3. पसंद की पंक्तियाँ →
‘हमको भाई का करना उपकार नहीं क्या होगा,
भाई पर भाई का कुछ अधिकार नहीं क्या होगा’।
4. पसंद होने का कारण → जन्म से सभी मनुष्य एक जैसे होते हैं, ऊँच-नीच, बड़ा-छोटा, धनवान-गरीब तो मनुष्य अपनी-अपनी उपलब्धियों से बनता है। मनुष्य का आपस में भाई-भाई का नाता है। प्रस्तुत पंक्तियों में कहा गया है कि मनुष्य में आपस में एक-दूसरे का उपकार करने की भावना होनी चाहिए।
5. रचना से प्राप्त संदेश → सभी मनुष्य समान होते हैं। कोई अपने को बड़ा या छोटा न समझे। मनुष्य को एक-दूसरे का उपकार करना चाहिए। (विद्यार्थी अपनी पसंद की पंक्ति लिखेंगे।)
प्रश्न 5.
अंतिम दो पंक्तियों से मिलने वाला संदेश लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि मनुष्य-मनुष्य में कोई अंतर नहीं होता। सभी का आपस में भाई-भाई का नाता है। एक भाई का दूसरे भाई पर कुछ-न-कुछ अधिकार होता है। इसलिए हमारे, मन में एक-दूसरे का उपकार करने की भावना होनी चाहिए।
उपयोजित लेखन
प्रश्न.
विश्वबंधता वर्तमान युग की माँग’ विषय पर अस्सी से सौ शब्दों में निबंध लिखिए।
उत्तर:
वैज्ञानिक प्रगति और उपलब्धियों के बल पर आज विश्व सिमटकर बहुत छोटा हो गया है। विभिन्न देशों के लोग आज एक-दूसरे के बहुत करीब आ गए हैं। किसी भी देश में कोई घटना होती है, तो उससे दूसरे देश भी प्रभावित होते हैं। आज लोगों का एक-दूसरे के देशों में आना-जाना और व्यापारव्यवहार बहुत सुलभ हो चुका है। लोगों में आपसी प्रेम-भाव भी बहुत है। पर कुछ शक्तियाँ ऐसी हैं, जिनके कारण लोगों के बीच वैसा सौमनस्य स्थापित नहीं हो पा रहा है, जैसा होना चाहिए। इसके कारण कई देशों में अशांति का वातावरण है।
आतंकवाद और युद्ध का भय उनमें से एक है। विश्व में लोगों में आपसी भाईचारे के प्रयास पहले भी होते रहे हैं और आज तो बहुत तेजी से जारी हैं। आज के युग में विश्वबंधुता की सबसे अधिक आवश्यकता है। आज विश्व विस्फोटकों के ढेर पर बैठा हुआ है। तरह-तरह के विनाशक अस्त्र-शस्त्रों का भय लोगों को सता रहा है, जिसकी चपेट में सारा विश्व आ सकता है। इसलिए आज सभी देशों के बीच आपसी प्रेम-भाव और सौहाय की अत्यधिक आवश्यकता है। इस बात को अब सभी देश समझने लगे हैं और इस दिशा में प्रयास भी शुरू हो गए हैं। विश्वबंधुता की भावना से ही विश्व में शांति और सौहाय स्थापित हो सकता है।
पद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखिए:
(i) पद्यांश में आए एक फूल का नाम –
(ii) श्वेत कणों के रूप में पृथ्वी पर गिरने वाली हवा में मिली भाप –
(iii) लंबे-चौड़े प्राकृतिक गड्ढे के लिए प्रयुक्त शब्द जिसमें बरसाती पानी जमा होता है –
(iv) शिशिर ऋतु से पहले आने वाली ऋतु –
उत्तर:
(i) पद्यांश में आए एक फूल का नाम – पद्म (कमल)।
(ii) श्वेत कणों के रूप में पृथ्वी पर गिरने वाली हवा में मिली भाप – तुषार (बर्फ)।
(iii) लंबे-चौड़े प्राकृतिक गड्ढे के लिए प्रयुक्त शब्द जिसमें बरसाती पानी जमा होता है – ताल।
(iv) शिशिर ऋतु से पहले आने वाली ऋतु – हेमंत ऋतु।
प्रश्न 2.
उचित जोड़ियाँ मिलाकर लिखिए: (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
‘अ’ – ‘आ’
(i) प्रकृति – ताल
(ii) अवनि – युतिहीन
(iii) पद्मदल – नृप
(iv) अन्यायी – कुंझटिका लोग
उत्तर:
(i) प्रकृति – युतिहीन
(ii) अवनि – कुंझटिका
(iii) पद्मदल – ताल
(iv) अन्यायी -नृप।
प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
कृति 2: (शब्द संपदा) (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
प्रश्न 1.
लिंग पहचानकर लिखिए:
(i) नृप –
(ii) प्रकृति –
(iii) अवनि –
(iv) निशा –
उत्तर:
(i) नृप – पुल्लिग
(ii) प्रकृति – स्त्रीलिंग
(iii) अवनि – स्त्रीलिंग
(iv) निशा – स्त्रीलिंग।
प्रश्न 2.
वचन परिवर्तन कीजिए:
(i) ऋतु –
(ii) घर –
उत्तर:
(i) ऋत – ऋतुएँ
(ii) घर – घर।
कृति 3: (सरल अर्थ)
प्रश्न.
प्रस्तुत पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए। (बोर्ड की नमूना कृतिपत्रिका)
उत्तर:
निशा काल में लोग घरों में निज-निज जा सोते हैं। बाहर श्वान, स्यार चिल्लाकर बार-बार रोते हैं। कवि कहते हैं कि शिशिर ऋतु के भाई हेमंत का समय बीत गया है। अब शिशिर ऋतु का आगमन हो गया है। शिशिर ऋतु की कँपा देने वाली ठंड के कार प्रकृति की आभा खत्म हो गई है और वह कांति रहित हो गई है। पृथ्वी पर धुंधलका छां गया है।
ठंड के कारण खूब बर्फ गिर रही है। इससे तालाबों में खिले हुए कमल के फूलों को बहुत कष्ट हो रहा है। कवि कहते हैं यह कष्ट कुछ उसी तरह का है, जैसे किसी निर्दयी और अन्यायी राजा के तरह-तरह के दंडों से उसके राज्य की प्रजा दुखी होती है।
पद्यांश क्र. 2
प्रश्न, निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 2.
एक शब्द में उत्तर लिखिए:
(i) रात के एक हिस्से का नाम –
(ii) घर के भीतर खुला छोड़े गए भाग का नाम –
(iii) देखने के अर्थ में आया हुआ शब्द –
(iv) सौर मंडल के एक उपग्रह का नाम –
उत्तर:
(i) रात के एक हिस्से का नाम – अर्धरात्रि।
(ii) घर के भीतर खुला छोड़े गए भाग का नाम – आँगन।
(iii) देखने के अर्थ में आया हुआ शब्द – ‘लख’।
(iv) सौर मंडल के एक उपग्रह का नाम – चंद्रमा।
प्रश्न 3.
संजाल पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
कृति 2: (शब्द संपदा)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदलकर लिखिए:
(i) रोटी
(ii) दुशाले
उत्तर:
(i) रात-दिन
(ii) दूध-मलाई।
कृति 3: (सरल अर्थ)
प्रश्न.
पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि शिशिर ऋतु की कष्टदायी ठंड में धनी वर्ग के व्यक्तियों को आनंद ही आनंद है। वे रात-दिन मौज-मजा करते हैं और प्रसन्न रहते हैं। लेकिन गरीबों और दरिद्रों के लिए शिशिर ऋतु की ठंड में दुख ही दुख है।
धनिक वर्ग के लोग हलुवा-पूड़ी और ताजी दूध-मलाई खाते हैं और ठंडक का आनंद लेते हैं। लेकिन गरीबों और दरिद्रों को सुखी रोटी और सब्जी भी नसीब नहीं होती (यानी उन्हें उपवास करना पड़ता है)।
पयांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
कृति 1: (आकलन)
प्रश्न 1.
जीवन-शैली में अंतर स्पष्ट कीजिए:
घनी – दीन-दरिद्र
(i) …………… – ………………
(ii) ………….. – ……………….
उत्तर:
धनी – दीन-दरिद्रमा
(i) वे रंगीन कीमती शाल – दुशाले ओढ़ते हैं – इनके काँपते हुए शरीर पर रोज पाला गिरता है
(ii) ये सुविधा-संपन्न मकानों में रहते हैं, – ये टूटे-फूटे घरों में रहते हैं जहाँ हमेशा उदासी छाई रहती हैं
प्रश्न 2.
आकृति पूर्ण कीजिए:
उत्तर:
प्रश्न 3.
एक शब्द में उत्तर लिखिए:
(i) पहले इन्हें इसकी चिंता नहीं सताती थी –
(ii) यह इनका माता की तरह भरण-पोषण करती थी –
उत्तर:
(i) पहले इन्हें इसकी चिंता नहीं सताती थी – उदर की।
(ii) यह इनका माता की तरह भरण-पोषण करती थी – प्रकृति।
कृति 2: (शब्द संपदा)
(1) निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए:
(i) उदर =
(ii) माता =
उत्तर:
(i) उदर = पेट
(ii) माता = माँ
(2) निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए:
(i) सुख x
(ii) उपकार x
उत्तर:
(i) सुख x दुख
(ii) उपकार x अपकार
भाषा अध्ययन (व्याकरण)
प्रश्न. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए:
1. शब्द भेद:
अधोरेखांकित शब्दों के शब्दभेद पहचानकर लिखिए:
(i) वे हलुवा-पूड़ी और ताजी दूध-मलाई खाते हैं।
(ii) वे कीमती शाल-दुशाले ओढ़ते हैं।
उत्तर:
(i) ताजी – गुणवाचक विशेषण।
(ii) वे – पुरुषवाचक सर्वनाम।
2. अव्यय:
निम्नलिखित अव्ययों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
(i) रात-दिन
(ii) उधर।
उत्तर:
(i) वह रात-दिन गरीबों की सेवा में लगा रहता है।
(ii) विधि उधर मत जाओ।
3. संधि:
कृति पूर्ण कीजिए:
संधि शब्द | संधि विच्छेद | संधि भेद |
सदैव | …………………… | …………………… |
अथवा | ||
…………………… | निः + रज | …………………… |
उत्तर:
संधि शब्द | संधि विच्छेद | संधि भेद |
सदैव | सदा + एव | स्वर संधि |
अथवा | ||
नीरज | निः + रज | विसर्ग संधि |
4. सहायक क्रिया पहचानना:
निम्नलिखित वाक्यों में से सहायक क्रियाएँ पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए:
(i) अब वह अपने नए मकान में रहने लगा।
(ii) वे शाल-दुशाले ओढ़े रहते हैं।
उत्तर:
सहायक क्रिया – मूल रूप
(i) लगा – लगना
(ii) हैं – होना
5. प्रेरणार्थक क्रिया का रूप लिखना:
निम्नलिखित क्रियाओं के प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए:
(i) गिरना
(ii) खाना।
उत्तर:
क्रिया – प्रथम प्रेरणार्थक रूप – द्वितीय प्रेरणार्थक रूप
(i) गिरना – गिराना – गिरवाना
(ii) खाना। – खिलाना – खिलवाना
6. मुहावरे:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
(i) पौ-बारह होना
(i) नाच नचाना।
उत्तर:
(i) पौ-बारह होना।
अर्थ – लाभ का अवसर मिलना।
वाक्य: आई.ए.एस. परीक्षा में यदि वह लड़का पास हो गया, तो उसके पौ-बारह हो जाएंगे।
(ii) नाच नचाना।
अर्थ: खूब परेशान करना।
वाक्य: वह शैतान लड़का अपनी माँ को रात-दिन नाच नचाता रहता है।
प्रश्न 2.
अधोरेखांकित वाक्यांशों के लिए कोष्ठक में दिए गए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए: (जाल बिछाना, राह देखना, भनक पड़ना)
(i) पुलिस ने बदमाश को गिरफ्तार करने के लिए पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी।
(ii) बोर्ड की परीक्षा हो जाने पर विद्यार्थी परिणाम की प्रतीक्षा करने लगे।
उत्तर:
(i) पुलिस ने बदमाश को गिरफ्तार करने के लिए पूरे इलाके में जाल बिछा दिया।
(ii) बोर्ड की परीक्षा हो जाने पर विद्यार्थी परिणाम की राह देखने लगे।
7. कारक:
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए:
(i) चंद्रमा ने पांडुवर्ण पाया है।
(ii) वे सुख से अपने घरों में रहते हैं।
उत्तर:
(i) चंद्रमा ने – कर्ता कारक।
(ii) सुख से – करण कारक।
8. विरामचिह्न:
निम्नलिखित वाक्यों में यथास्थान उचित विरामचिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए:
(i) वाह आपने तो कमाल कर दिया
(ii) क्रिकेट खिलाड़ी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा एक दिन तुम देश का नाम रोशन करोगे।
उत्तर:
(i) वाह! आपने तो कमाल कर दिया।
(ii) क्रिकेट खिलाड़ी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, “एक दिन तुम देश का नाम रोशन करोगे।”
9. काल परिवर्तन:
निम्नलिखित वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन कीजिए:
(i) वे सुंदर मकानों में रहते हैं। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(ii) इनके बदन पर नित पाले गिरते हैं। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर:
(i) वे सुंदर मकानों में रह रहे हैं।
(ii) इनके बदन पर नित पाले गिरेंगे।
10. वाक्य भेद:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का रचना के आधार पर भेद पहचान कर लिखिए:
(i) रात के समय लोग अपने-अपने घरों में सो जाते हैं।
(ii) हेमंत ऋतु बीत गई और शिशिर ऋतु आ गई।
उत्तर:
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों का अर्थ के आधार पर दी गई सूचना के अनुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए:
(i) उन्हें काँपते हुए रात काटनी पड़ती है। (निषेधवाचक वाक्य)
(ii) ठंड भरे मौसम में आकाश के तारे धुंधले से दिखाई देते हैं। (प्रश्नवाचक वाक्य)
उत्तर:
(i) उन्हें काँपते हुए रात नहीं काटनी पड़ती है।
(ii) क्या ठंड भरे मौसम में आकाश के तारे धुंधले दिखाई देते हैं?
11. वाक्य शुद्धिकरण:
निम्नलिखित वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए:
(i) पहले प्रक्रिति हमारे माता के समान थी।
(ii) इनकी बदन पर पाला गिरती है।
उत्तर:
(i) पहले प्रकृति हमारी माता के समान थी।
(ii) इनके बदन पर पाला गिरता है।
समता की ओर Summary in Hindi
विषय-प्रवेश : शिशिर ऋतु की ठंडक समूचे वातावरण को प्रभावित कर देती है। उसका प्रभाव प्रकृति, पृथ्वी, वनस्पतियों, जीवजंतुओं, मनुष्यों तथा आकाश में स्थित चाँद-तारों पर भी पड़ता है।
यह ऋतु धनिक वर्ग जैसे सुविधा-संपन्न लोगों के लिए जहाँ आनंददायी होती है, वहीं दीन-दरिद्र जैसे सुविधा-विहीन लोगों के लिए कष्टदायी होती है।
प्रस्तुत कविता में कवि ने शिशिर ऋतु में पड़ने वाली अत्यधिक ठंड से परेशान प्राणियों तथा साधन-संपन्न एवं अभावग्रस्त व्यक्तियों के जीवनयापन का सजीव वर्णन किया है। अंत में कवि कहता है कि धनवान और निर्धन दोनों भाई-भाई हैं। इसलिए धनी वर्ग के लोगों को अपने दीन-दरिद्र भाइयों की भलाई के लिए प्रयास करना चाहिए।
समता की ओर कविता का सरल अर्थ
1. बीत गया हेमंत ………………………….. बार-बार रोते हैं।
कवि कहते हैं कि शिशिर ऋतु के भाई हेमंत का समय बीत गया है। अब शिशिर ऋतु का आगमन हो गया है। शिशिर ऋतु की कँपा देने वाली ठंड के कारण प्रकृति की आभा खत्म हो गई है और वह कांति रहित हो गई है। पृथ्वी पर धुंधलका छा गया है।
ठंड के कारण खूब बर्फ गिर रही है। इससे तालाबों में खिले हुए कमल के फूलों को बहुत कष्ट हो रहा है। कवि कहते हैं कि यह कष्ट कुछ उसी तरह का है, जैसे किसी निर्दयी और अन्यायी राजा के तरहतरह के दंडों से उसके राज्य की प्रजा दुखी होती है।
रात्रि के समय बहुत ठंड होती है। ऐसे समय लोग अपने-अपने घरों में जाकर सो जाते हैं। पर ठंड के मारे बाहर कुत्तों और सियार जैसे जानवरों का बुरा हाल है। ये असहाय प्राणी चिल्ला-चिल्लाकर सारी रात रोते रहते हैं।
2. अर्धरात्रि को घर से ………………………….. और न भाजी।
आधी रात को यदि कोई व्यक्ति घर के आँगन में आकर निर्जन आकाश-मंडल की ओर देखता है, तो वहाँ का दृश्य देखकर उसे डर लगने लगता है।
ठंड भरे इस मौसम में आकाश के तारे भी धुंधले दिखाई देते हैं और चंद्रमा का रंग पीलापन लिए हुए सफेद हो गया है। इन्हें देखकर ऐसा लगता है, जैसे किसी राज्य पर कोई राष्ट्रीय संकट आ गया हो।
कवि कहते हैं कि शिशिर ऋतु की कष्टदायी ठंड में धनी वर्ग के व्यक्तियों को आनंद ही आनंद है। वे रात-दिन मौज-मजा करते हैं और प्रसन्न रहते हैं। लेकिन गरीबों और दरिद्रों के लिए शिशिर ऋतु की ठंड में दुख ही दुख है।
धनिक वर्ग के लोग हलवा-पूड़ी और ताजी दूध-मलाई खाते हैं और ठंडक का आनंद लेते हैं। लेकिन गरीबों और दरिद्रों को सूखी रोटी और सब्जी भी नसीब नहीं होती (यानी उन्हें उपवास करना पड़ता है)।
3. वे सुख से रंगीन ………………………….. नहीं क्या होगा।
घनिक वर्ग के लोगों पर ठंड का कोई असर नहीं होता। वे रंगीन और मूल्यवान शाल-दुशाले ओढ़ते हैं इससे उन पर जाड़े का तनिक भी असर नहीं होता। मगर ऐसे समय गरीबों की बुरी हालत होती है। उन्हें काँपते हुए दिन-रात काटनी पड़ती है और ऊपर से उन्हें ओस और पाले का भी सामना करना पड़ता है। धनिक वर्ग के पास सुख के तरह-तरह के साधन होते हैं और वे सुंदर-सुंदर घरों में रहते हैं। दूसरी ओर गरीबों और दरिद्रों के घर टूटे फूटे, झुग्गी-झोपड़ियोंवाले होते हैं और उनमें किसी तरह की कोई सुविधा नहीं होती। वहाँ सदा उदासी का माहौल होता है।
कवि कहते हैं कि पहले सब लोग प्रकृति पर निर्भर करते थे। किसी को पेट भरने यानी क्षुधा-पूर्ति की कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं थी। प्रकृति से ही सारी आवश्यकताएं पूरी हो जाती थीं। वह माता की तरह हमारा पालन-पोषण किया करती थी।
कवि कहते हैं कि मनुष्य-मनुष्य में कोई अंतर नहीं होता। सभी का आपस में भाई-भाई का नाता है। एक भाई का दूसरे भाई पर कुछ-नकुछ अधिकार होता है। इसलिए हमारे मन में एक-दूसरे का उपकार करने की भावना होनी चाहिए।