Chapter 3 निज भाषा (पठनार्थ)
Chapter 3 निज भाषा (पठनार्थ)
Textbook Questions and Answers
1. भाषा बिंदु:
प्रश्न 1.
शब्द-युग्म पूरे करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तरः
- घर-घर – स्वतंत्रता सेनानी घर-घर जाकर लोगों को देश के प्रति जागरूक करते थे।
- ज्ञान-विज्ञान – हमें अपनी भाषा में ज्ञान-विज्ञान का प्रचार करनाचाहिए।
- भला-बुरा – इतनी-सी बात के लिए किसी को भला बुरा कहना ठीक नहीं।
- प्रचार-प्रसार – हमें अपनी भाषा का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
- भूख-प्यास – लंबी यात्रा में यात्री भूख-प्यास से परेशान
- भोला-भाला – मोहन भोला-भाला व्यक्ति है।
2. मौलिक सृजन :
प्रश्न 1.
‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल’ इस कश्चन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
i. निज भाषा ……………………….. हिय को सूल।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा अर्थात मातृभाषा की उन्नति के द्वारा ही प्रगति संभव है, क्योंकि सारी उन्नतियों का आधार यही है। अपनी भाषा के ज्ञान बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं हैं।
ii. अंग्रेजी पढ़ि………………….. हीन के हीन।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि यद्यपि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने से व्यक्ति सभी गुणों में कुशल हो जाता है। परंतु मातृभाषा के ज्ञान के बिना उसकी अज्ञानता नहीं मिट पाती और वह हीन ही रह जाता
3. संभाषणीय :
प्रश्न 1.
हिंदी दिवस’ समारोह के अवसर पर अपने वक्तृत्व में हिंदी भाषा का महत्त्व प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :
मानवीय सभापति महोदय, प्रधानाचार्य जी, मंच उपस्थित अतिथि गण, गुरुजन व मेरे प्यारे साथियों, आज हम सभी यहाँ हिंदी समारोह मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इस शुभ अवसर पर मैं हिंदी भाषा के महत्त्व के विषय में कुछ कहना चाहूँगा। हिंदी हमारी राजभाषा है। स्वतंत्र भारत के संविधान में हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया है। हिंदी बहुत पहले से देश की संपर्क भाषा रही है। प्रत्येक राष्ट्र अपनी राष्ट्रभाषा के विषय में सजग, सतर्क और संवेदनशील होते हैं, क्योंकि राष्ट्रभाषा देश की एकता, अखंडता उसकी संस्कृति की पहचान होती है।
देश की आजादी की लड़ाई में हिंदी भी एक हथियार बन गई थी। देश के नेता हिंदी में भाषण देते थे और लोगों में अद्भुत जागृति पैदा करते थे। महात्मा गांधी देश के गाँव-गाँव में जाकर हिंदी में ही जनता को संबोधित करते थे। आज देश के हर भाग में हिंदी बोली जाती है। हिंदी अखबार और पत्र-पत्रिकाओं का भी देश में चारों तरफ बहुत प्रचार-प्रसार है। हिंदी एक समृद्ध भाषा है। इस भाषा में देश की मिट्टी की महक है। इसका साहित्य बहुत ऊँचे दर्जे का है।
हिंदी आज विश्व के लगभग ७५ देशों के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है। हिंदी को विश्व में सर्वाधिक फिल्में बनती हैं। सैटलाईट के विदेशी चैनल भी हिंदी माध्यम को अनवरत अपनाते चले जा रहे हैं। हमारे अहिंदी भाषी प्रांतों में भी हिंदी द्वितीय भाषा के रूप में पढ़ाई जा रही है। प्रथम भाषा के रूप में जब उसे संपूर्ण देश में मान्यता प्राप्त होगी, तभी हमारी हिंदी के प्रति सच्ची श्रद्धा मानी जाएगी।
4. लेखनीय :
प्रश्न 1.
‘अपने विद्यालय में मनाए गए ‘बाल दिवस’ का वर्णन लिखिए।
उत्तर:
चाचा नेहरू के जन्मदिन पर मनाया जाने वाला ‘बाल-दिवस’ समारोह आज प्रात: ठीक 9 बजे हमारे विद्यालय में मनाया गया। इस समारोह में कक्षा 10 तक के छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर अध्यक्ष थे, सुप्रसिद्ध भजन गायक ‘अनूप जलोटाजी’। उनके आते ही विद्यार्थियों की करतल ध्वनि से सारा हाल गूंज उठा। अध्यक्ष ने मंच पर आते ही सरस्वती जी के फोटो को हार पहनाया व तत्पश्चात पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा को हार पहनाया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. विजय-प्रताप सिंह ने मुख्य अतिथी का स्वागत किया एवं उपस्थित लोगों से उनका परिचय कराया। छात्र-छात्राओं ने इस शुभ अवसर पर चाचा नेहरू के जीवन की प्रमुख घटनाओं पर एक लघु नाटक प्रस्तुत किया। बाद में मुख्य अतिथि का भाषण हुआ। अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने विद्यार्थियों को उच्च लक्ष्य की ओर प्रेरित किया। अंततोगत्वा प्रधानाचार्य डॉ. विजय-प्रताप सिंह ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। राष्ट्रगीत के समूहगान के साथ ही सगरोह की समाप्ति हुई।
Additional Important Questions and Answers
(क) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति क (1) : आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
प्रश्न 2.
संजाल पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
i. निज भाषा “अहै, सब उन्नति को मूल।
ii. पै निज भाषा ….बिन, रहत हीन के हीन ।।
उत्तर:
i. उन्नति
ii. ज्ञान
(ख) पद्यांश पड़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ख (1): आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर
प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर विधान पूर्ण कीजिए।
i. लाख उपाय अनेक यो,
ii. इक भाषा हक जीव, इक मति
उत्तर:
i. लाख उपाय अनेक यों, भले करे किन कोय।
ii. इक भाषा इक जीव, इक मति सब घर के लोग।
कृति ख (2) : सरल अर्थ
प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. उन्नति पूरी है ………….. मूढ़ सब कोय।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि किसी देश या समाज की संपूर्ण प्रगति तभी होती जब उसके घर की प्रगति होती है अर्थात घर की भाषा (मातृभाषा) की उन्नति होती है। सिर्फ अपने शरीर की अर्थात स्वयं की उन्नति करने से सब लोग अज्ञानी ही बने रहते हैं।
ii. निज भाषा ………………… करे किन कोय।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा की उन्नति के बिना कभी भी उन्नति नहीं हो सकती। भले ही कोई लाख उपाय करें अथवा अनेकों प्रकार से प्रयास करें लेकिन उसकी प्रगति संभव नहीं है।
(ग) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति ग (1) : आकलन कृति
प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए ।
उत्तर:
प्रश्न 2.
पद्यांश के आधार पर विधान पूर्ण कीजिए।
i. निजभाषा में कीजिए,
ii. यह गुन भाषा और मह, ……….
उत्तर:
i. निजभाषा में कीजिए, जो विद्या की बात।
ii. यह गुन भाषा और मह, कबहूँ नाहीं होय।
कृति ग (2) : सरल अर्थ
प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. और एक ………………………. कबहूँ नाहीं होय ।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि यदि ज्ञान की बात अपनी भाषा में करते हैं तो एक और भी लाभ स्पष्ट दिखाई देता है जो भी कोई अपनी भाषा की बात को सुनता है, वह लाभान्वित होता है। यह गुण अर्थात यह विशेषता किसी अन्य भाषा में कभी भी नहीं हो सकती। अन्य भाषा में की गई बात को हम पूरी तरह नहीं समझ पाते इसलिए उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं।
(घ) पद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।
कृति घ (1) : आकलन कृति
प्रश्न 1.
चौखट पूर्ण कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
उचित पर्याय चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए।
i. विविध कला शिक्षा अमित
(क) भाषा विविध लखात
(ख) ज्ञान अनेक प्रकार
उत्तर :
(ख) ज्ञान अनेक प्रकार
ii. भारत में सब भिन्न अति ………..
(क) भाषा माँहि प्रचार
(ख) ताही सों उत्पात
उत्तर :
(ख) ताही सों उत्पात
कृति घ (2) : सरल अर्थ
प्रश्न 1.
नीचे दी हुई पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए।
i. विविध कला …………………… भाषा माँहि प्रचार।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि अनेक प्रकार की कलाएं, असीमित शिक्षा तथा विभिन्न प्रकार का ज्ञान सभी देशों से अवश्य लेना चाहिए। लेकिन उस कला, शिक्षा तथा ज्ञान का प्रचार-प्रसार अपनी मातृभाषा में ही करना चाहिए क्योंकि इसके फलस्वरूप अधिक से-अधिक लोग इन विषयों द्वारा लाभ उठा सकेंगे।
ii. भारत में सब ……………….. भाषा विविध लखात।।
उत्तर:
कवि कहते हैं कि भारत के सभी लोगों में विविधतापूर्ण भिन्नता है यहाँ अनेक देश, अनेक विचार और अनेक भाषाएँ दिखाई देती हैं। जिसके कारण यहाँ उपद्रव भी अधिक होते हैं और समाज में शांति नहीं रह पाती है। अर्थात कवि इस कविता से यह संदेश देते हैं कि अपनी मातृ भाषा की उन्नति करो जिससे देश में एकता स्थापित हो और देश उन्नति करें।
Summary in Hindi
कवि-परिचय :
जीवन-परिचय : भारतेंदु हरिश्चंद्र साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। ये बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इन्हें ‘खड़ी बोली का जनक’ कहा जाता है। इन्होंने कविता, नाटक, निबंध, व्याख्यान आदि का लेखन किया।
प्रमुख कृतियाँ : काव्य संग्रहः ‘भारत वीरत्व’, “विजय वैजयंती’, ‘सुमनांजलि’, ‘मधुमकुल’, ‘वर्षा-विनोद’, ‘राग-संग्रह’, हास्य काव्य कतियाँ : ‘बंदर-सभा’, ‘बकरी का विलाप’, हास्य-व्यंग्यप्रधान नाटक ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’
पद्य-परिचय :
गीत : यह अर्थ सम मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते है। सम चरणों के अंत में एक गुरू और एक लघु मात्रा होती है।
प्रस्तावना : प्रस्तुत कविता निज भाषा के माध्यम से कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने अपनी भाषा के प्रति गौरव अनुभव करने, उससे प्रेम करने तथा मिल-जुलकर उन्नति करने का संदेश दिया है।
सारांश :
कवि कहते है कि अपनी भाषा की उन्नति से ही सभी प्रकार की उन्नति संभव है। अपनी भाषा के संपूर्ण ज्ञान के अभाव में व्यक्ति हीन हो जाता है। अपनी भाषा के उन्नति के बिना लाख उपाय करने पर भी व्यक्ति उन्नति नहीं कर पाता। जिस घर में सबकी भाषा एक हो, सबके विचार एक हो तथा आपस में कोई भेदभाव न हो उस घर से दुःख हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। हमें विभिन्न देशों से उनकी कला, शिक्षा तथा ज्ञान अवश्य लेना चाहिए परंतु उसका प्रचार-प्रसार अपनी भाषा में करना चाहिए। क्योंकि इससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। देश में भाषा की भिन्नता के कारण ही आपसी दंगे-फसाद होते हैं। अतः हमें अपनी भाषा की उन्नति करनी चाहिए।
सरल अर्थ :
निज भाषा …………………. हिय को सूल।।
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा अर्थात मातृभाषा की उन्नति के द्वारा ही प्रगति संभव है, क्योंकि सारी उन्नतियों का आधार यही है। अपनी भाषा के ज्ञान बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं हैं।
अंग्रेजी पढ़ि ………………………हीन के हीन।।
कवि कहते है कि यद्यपि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त करने से व्यक्ति सभी गुणों में कुशल हो जाता है। परंतु मातृभाषा के ज्ञान के बिना उसकी अज्ञानता नहीं मिट पाती और वह हीन ही रह जाता है।
उन्नति पूरी है ……………………….. मूढ सब कोय।।
कवि कहते हैं कि किसी देश या समाज की संपूर्ण प्रगति तभी होती जब उसके घर की प्रगति होती है अर्थात पर की भाषा (मातृभाषा) की उन्नति होती है। सिर्फ अपने शरीर की अर्थात स्वयं की उन्नति करने से सब लोग अज्ञानी ही बने रहते हैं।
निज भाषा …………………………… करे किन कोय।।।
कवि कहते हैं कि अपनी भाषा की उन्नति के बिना कभी भी उन्नति नहीं हो सकती। भले ही कोई लाख उपाय करें अथवा अनेक प्रकार से प्रयास करें लेकिन उसकी प्रगति संभव नहीं है।
इक भाषा ………………………… मूड़ता सोग।।
कवि कहते है कि जब घर में सबकी भाषा एक हो, सब एक भाषा में बातचीत करते हों, सब एक प्राण हों यानि कोई किसी से भेदभाव न करता हो तथा सब एक मत हो अर्थात सभी के विचार एक जैसे हो तभी उस घर में सभी लोगों की एक दूसरे से बनती है तथा आपसी संबंध मधुर होते हैं। ऐसे घर से अज्ञानता और दुख हमेशा के लिए मिट जाता है।
और एक …………………………….. कबहूँ नाहीं होय।।
कवि कहते है कि यदि ज्ञान की बात अपनी भाषा में करते हैं तो एक और भी लाभ स्पष्ट दिखाई देता है जो भी कोई अपनी भाषा की बात को सुनता है, वह लाभान्वित होता है। यह गुण अर्थात यह विशेषता किसी अन्य भाषा में कभी भी नहीं हो सकती। अन्य भाषा में की गई बात को हम पूरी तरह नहीं समझ पाते इसलिए उसका लाभ नहीं उठा पाते हैं।
विविध कला …………………………… भाषा माहि प्रचार।।
कवि कहते हैं कि अनेक प्रकार की कलाएँ, असीमित शिक्षा तथा विभिन्न प्रकार का ज्ञान सभी देशों से अवश्य लेना चाहिए। लेकिन उस कला, शिक्षा तथा ज्ञान का प्रचार-प्रसार अपनी मातृभाषा में ही करना चाहिए क्योंकि इसके फलस्वरूप अधिक-से-अधिक लोग इन विषयों द्वारा लाभ उठा सकेंगे।
भारत में सब ………………….. भाषा विविध लखात।।
कवि कहते हैं कि भारत के सभी लोगों में विविधतापूर्ण भिन्नता है यहाँ अनेक देश, अनेक विचार और अनेक भाषाएं दिखाई देती है। जिसके कारण यहाँ उपद्रव भी अधिक होते हैं और समाज में शांति नहीं रह पाती है। अर्थात कवि इस कविता से यह संदेश देते हैं कि अपनी मातृभाषा की उन्नति करो जिससे देश में एकता स्थापित हे और देश उन्नति करें।
शब्दार्थ :
- निज – अपनी
- अहै – है
- मूल – जड़ (आधार)
- मिटत न – नहीं मिटती
- सूल – शूल (पीड़ा)
- जदपि – यद्यपि
- प्रवीन – कुशल
- पै – परंतु
- बिन – बिना
- हीन – तुच्छ
- उन्नति – प्रगति
- पूरी – संपूर्ण
- मूढ़ – मूर्ख
- कोय – कोई
- सोय – वह (उन्नति)
- इक – एक
- जीव – प्राण/आत्मा
- इक मति – एक बुद्धि
- तबै – तभी
- सबन सौ – सबके साथ
- मूढ़ता – अज्ञानता
- सोग – दुख
- प्रगट – स्पष्ट
- लखात – विद्या
- तेहि – उसे
- सुनी – सुनकर
- पावे – पाता है
- जो कोय – जो कोई
- और – दूसरे
- कबहूँ – कभी-भी
- होय – होता है
- विविध – अनेक
- अमित – असीमित
- देसन – देश
- लै – लेकर
- करहू – कीजिए
- दिखाई – अनेक
- माँहि – में
- विविध – अनेक
- देस – देश
- मतहू – विचार