Chapter 4 आदर्श बदला

Chapter 4 आदर्श बदला

Chapter 4 आदर्श बदला

Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.

(अ) कृति पूर्ण कीजिए :
साधुओं की एक स्वाभाविक विशेषता – ………………………………
उत्तर :
एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहना और भजन तथा भक्तिगीत गाते-बजाते रहना।

(आ) लिखिए :

(a) आगरा शहर का प्रभातकालीन वातावरण –
………………………………………………………………
………………………………………………………………
उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 3

(b) साधुओं की मंडली आगरा शहर में यह गीत गा रही थी –
………………………………………………………………
………………………………………………………………
उत्तर :
सुमर-सुमर भगवान को,
मूरख मत खाली छोड़ इस मन को।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
लिंग बदलिए:

(1) साधु
(2) नवयुवक
(3) महाराज
(4) दास
उत्तर :

(1) साधु – साध्वी
(2) नवयुवक – नवयुवती
(3) महाराज – महारानी
(4) दास – दासी।

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.

(अ) ‘मनुष्य जीवन में अहिंसा का महत्त्व’, इस विषय पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर :

हिंसा क्रूरता और निर्दयता की निशानी है। इससे किसी.। का भला नहीं हो सकता। इस संसार के सभी जीव ईश्वर की संतान हैं और समान हैं। सृष्टि में सबको जीने का अधिकार है। कोई कितना भी शक्तिमान क्यों न हो, किसी को उससे उसका जीवन छीनने का अधिकार नहीं है। जब कोई किसी को जीवन दे नहीं सकता तब वह किसी का जीवन ले भी नहीं सकता। बड़े-बड़े मनीषियों और महापुरुषों ने अहिंसा को ही धर्म कहा है – अहिंसा परमोधर्मः।

अहिंसा का अस्त्र सबसे बड़ा माना जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अहिंसा के बल पर शक्तिशाली अंग्रेज सरकार को झुका दिया था और अंग्रेज सरकार देश को आजाद करने पर विवश हो गई थी। जीवन का मूलमंत्र ‘जियो और जीने दो’ है। किसी के प्रति ईर्ष्या की भावना रखना या किसी का नुकसान करना भी एक प्रकार की हिंसा है। इससे हमें बचना चाहिए।

(आ) ‘सच्चा कलाकार वह होता है जो दूसरों की कला का सम्मान करता हैं, इस कथन पर अपना मत व्यक्त कीजिए।
उत्तर :

कलाकार को कोई कला सीखने के लिए गुरु के सान्निध्य में रह कर वर्षों तक तपस्या करनी पड़ती है। कला की छोटीछोटी बारीक बातों की जानकारी करनी पड़ती है। इसके साथ ही निरंतर रियाज करना पड़ता है। गुरु से कला की जानकारियाँ प्राप्त करते-करते अपनी कला में वह प्रवीण होता है।

सच्चा कलाकार किसी कला को सीखने की प्रक्रिया में होने वाली कठिनाइयों से परिचित होता है। इसलिए उसके दिल में अन्य कलाकारों के लिए सदा सम्मान की भावना होती है। वह छोटे-बड़े हर कलाकार को समान समझता है और उनकी कला का सम्मान करता है। सच्चे कलाकार का यही धर्म है। इससे कला को प्रोत्साहन मिलता है और वह फूलती-फलती है।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

प्रश्न 4.

(अ) ‘आदर्श बदला’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :

अपने पिता को मृत्युदंड दिए जाने पर बैजू विक्षिप्त हो गया था। और अपनी कुटिया में विलाप कर रहा था। उस समय बाबा हरिदास ने उसकी कुटिया में आकर उसे ढाढ़स बंधाया था। तब बालक बैजू ने बाबा को बताया था कि उसे अब बदले की भूख है। वे उसकी इस भूख को मिटा दें। बाबा हरिदास ने उसे वचन दिया था कि वे उसे ऐसा हथियार देंगे, जिससे वह अपने पिता की मौत का बदला ले सकेगा।

बाबा हरिदास ने बारह वर्षों तक बैजू को संगीत की हर प्रकार की बारीकियाँ सिखाकर उसे पूर्ण गंधर्व के रूप में तैयार कर दिया। मगर इसके साथ ही उन्होंने उससे यह वचन भी ले लिया कि वह इस राग विद्या से किसी को हानि न पहुँचाएगा।

इसके बाद वह दिन भी आया जब बैजू आगरा की सड़कों पर गाता हुआ निकला और उसके पीछे उसकी कला के प्रशंसकों की अपार भीड़ थी। आगरा में गाने के नियम के अनुसार उसे बादशाह के समक्ष पेश किया गया और शर्त के अनुसार तानसेन से उसकी संगीत प्रतियोगिता हुई, जिसमें उसने तानसेन को बुरी तरह परास्त कर दिया। तानसेन बैजू बावरा के पैरों पर गिरकर अपनी जान की भीख माँगने लगा। इस मौके पर बैजू बावरा उससे अपने पिता की मौत का बदला लेकर उसे प्राणदंड दिलवा सकता था। पर उसने ऐसा नहीं किया। बैजू ने तानसेन की जान बख्श दी।

उसने उससे केवल इस निष्ठुर नियम को उड़वा देने के लिए कहा, जिसके अनुसार किसी को आगरे की सीमाओं में गाने और तानसेन की जोड़ का न होने पर मरवा दिया जाता था। इस तरह बैजू बावरा ने तानसेन का गर्व नष्ट कर उसे मुँह की खिलाकर उससे अनोखा बदला लेकर उसे श्रीहीन कर दिया था। यह अपनी तरह का आदर्श बदला था। समूची कहानी इस बदले के आसपास घूमती है। इसलिए ‘आदर्श बदला’ शीर्षक इस कहानी के उपयुक्त है।

(आ) ‘बैजू बावरा संगीत का सच्चा पुजारी है’, इस विचार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :

सच्चा कलाकार उसे कहते हैं, जिसे अपनी कला से सच्चा लगाव हो। वह अपने गुरु की कही हुई बातों पर अमल करे तथा गुरु से विवाद न करे। इसके अलावा उसे अपनी कला पर अहंकार न हो। बैजू बावरा ने बारह वर्ष तक बाबा हरिदास से संगीत सीखने की कठिन तपस्या की थी।

वह उनका एक आज्ञाकारी शिष्य था। उसकी संगीत शिक्षा पूरी हो जाने के बाद बाबा हरिदास ने जब उससे यह प्रतिज्ञा करवाई कि वह इस राग विद्या से किसी को हानि नहीं पहुँचाएगा, तो भी उसने रक्त का यूंट पी कर इस गुरु आदेश को स्वीकार कर लिया था, जबकि उसे मालूम था कि इससे उसके हाथ में आई हुई प्रतिहिंसा की छुरी कुंद कर दी गई थी। फिर भी गुरु के सामने उसके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला।

बैजू बावरा की संगीत कला की धाक दूर-दूर तक फैल गई थी। है उसके संगीत में जादू का असर था। बैजू बावरा को संगीत ज्ञान है पर तानसेन की तरह कोई अहंकार नही था। बल्कि इसके विपरीत उसके हृदय में दया की भावना थी। गानयुद्ध में तानसेन को पराजित करने पर भी वह अपनी जीत और संगीत का प्रदर्शन नहीं करता।

बल्कि वह तानसेन को जीवनदान दे देता है। वह उससे केवल यह माँग करता है कि वह इस नियम को खत्म करवा दे कि जो कोई आगरा की सीमा के अंदर गाए, वह अगर तानसेन की जोड़ का न हो, तो मरवा दिया जाए। उसकी इस माँग में भी गीत-संगीत की ५ रक्षा करने की भावना निहित है।

इस प्रकार इसमें कोई संदेह नहीं है कि बैजू बावरा संगीत का सच्चा पुजारी था।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.

(अ) सुदर्शन जी का मूल नाम : ……………………………………
उत्तर :
सुदर्शन जी का मूल नाम बदरीनाथ है।

(आ) सुदर्शन ने इस लेखक की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाया है : ……………………………………
उत्तर :

सुदर्शन ने मुंशी प्रेमचंद की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाया है।

रस

अद्भुत रस : जहाँ किसी के अलौकिक क्रियाकलाप, अद्भुत, आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर हृदय में विस्मय अथवा आश्चर्य का भाव जाग्रत होता है; वहाँ अद्भुत रस की व्यंजना होती है।

उदा. –

(१) एक अचंभा देखा रे भाई।
ठाढ़ा सिंह चरावै गाई।
पहले पूत पाछे माई।
चेला के गुरु लागे पाई।।

(२) बिनु-पग चलै, सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म कर, विधि नाना।
आनन रहित सकल रस भोगी।
बिनु वाणी वक्ता, बड़ जोगी।।

शृंगार रस : जहाँ नायक और नायिका अथवा स्त्री-पुरुष की प्रेमपूर्ण चेष्टाओं, क्रियाकलापों का शृंगारिक वर्णन हो; वहाँ शृंगार रस की व्यंजना होती है।

उदा. –
(१) राम के रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाही,
यातै सबै सुधि भूलि गई, कर टेकि रही पल टारत नाही।

(२) कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।
भरे भौन में करत हैं, नैननु ही सौं बात।।

शांत रस : (निर्वेद) जहाँ भक्ति, नीति, ज्ञान, वैराग्य, धर्म, दर्शन, तत्त्वज्ञान अथवा सांसारिक नश्वरता संबंधी प्रसंगों का वर्णन हो; वहाँ शांत रस उत्पन्न होता है।

उदा. –
(१) माला फेरत जुग भया, गया न मन का फेर।
कर का मनका डारि कै, मन का मनका फेर।।

(२) माटी कहै कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोहे।।

भक्ति रस : जहाँ ईश्वर अथवा अपने इष्ट देवता के प्रति श्रद्धा, अलौकिकता, स्नेह, विनयशीलता का भाव हृदय में उत्पन्न होता है; वहाँ भक्ति रस की व्यंजना होती है।

उदा. –
(१) तू दयालु दीन हौं, तू दानि हौं भिखारि।
हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंजहारि।

(२) समदरसी है नाम तिहारो, सोई पार करो,
एक नदिया इक नार कहावत, मैलो नीर भरो,
एक लोहा पूजा में राखत, एक घर बधिक परो,
सो दुविधा पारस नहीं जानत, कंचन करत खरो।

गद्यांश क्र. 1
कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (अ) तथा प्रश्न 1 (आ) के लिए।

प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 4

प्रश्न 2.
साधु इस तरह गाते थे गीत –
(1) ……………………………………..
(2) ……………………………………..
(3) ……………………………………..
(4) ……………………………………..
उत्तर :
(1) कोई ऊँचे स्वर में गाता था।
(2) कोई मुँह में गुनगुनाता था।
(3) सब अपने राग में मगन थे।
(4) उन्हें सुर-ताल की परवाह नहीं थी।

प्रश्न 3.
तानसेन द्वारा बनवाया गया कानून –
(1) ……………………………………..
(2) ……………………………………..
उत्तर :
(1)जो आदमी राग-विद्या में तानसेन की बराबरी न कर सके, है वह आगरे की सीमा में गीत न गाए।
(2) ऐसा आदमी जो आगरे की सीमा में गीत गाए, उसे मौत की सजा दी जाए।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदलकर लिखिए :
(1) पत्ते – …………………………………..
(2) स्वामी – …………………………………..
(3) राग – …………………………………..
(4) आदमी – …………………………………..
उत्तर :

(1) पत्ते – पत्तियाँ
(2) स्वामी – स्वामिनी
(3) राग – रागिनी (4) आदमी – औरत

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
साधु-संतों को राग विद्या की जानकारी न होने के कारण मौत की सजा दिया जाना क्या उचित है? इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
साधु-संत दीन-दुनिया से विरक्त ईश्वर आराधना में लीन रहने वाले लोग होते हैं। वे अपने साथी साधु-संतों से सुने-सुनाए भजन-कीर्तन अपने ढंग से गाते हैं। उन्हें राग, छंद और संगीत का समुचित ज्ञान नहीं होता। भजन भी वे अपनी आत्म-संतुष्टि और ईश्वर आराधना के लिए गाते हैं।

उनका उद्देश्य उसे राग में गा कर किसी को प्रसन्न करना नहीं होता। आगरा शहर में बिना सुर-ताल की परवाह किए हुए और बादशाह के कानून से अनभिज्ञ ये साधु गाते हुए जा रहे थे। इन्हें इस जुर्म में पकड़ लिया गया था कि वे आगरा की सीमा में गाते हुए जा रहे हैं। अकबर के मशहूर रागी तानसेन ने यह नियम बनवा दिया था कि जो आदमी राग विद्या में उसकी बराबरी न कर सके वह आगरा की सीमा में न गाए। यदि गाए तो उसे मौत की सजा दी जाए।

अतः इन्हें मौत की सजा दे दी गई। इस तरह साधुओं को मौत की सजा देना उनके साथ बिलकुल अन्याय है। इस तरह के कानून से तानसेन के अभिमान की बू आती है।

गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए :


उत्तर :

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 10


उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 11

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :

(1) बैजू ने हरिदास के चरणों में और ज्यादा लिपट कर यह कहा –
(i) ……………………………………
(ii) ……………………………………
(iii) ……………………………………
(iv) ……………………………………
उत्तर :

(i) महाराज (मेरी) शांति जा चुकी है।
(ii) अब मुझे बदले की भूख है।
(iii) अब मुझे प्रतिकार की प्यास है।
(iv) आप मेरी प्यास बुझाइए।

(2)

उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 12

(3)
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 8
उत्तर :

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 13

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए:
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 9
उत्तर :

प्रश्न 4.
बैजू ने दिया बाबा हरिदास को यह वचन –
(i) ……………………………………
(ii) ……………………………………
(iii) ……………………………………
(iv) ……………………………………
उत्तर :

(i) मैं बारह जीवन देने को तैयार हूँ।
(ii) मैं तपस्या करूँगा।
(iii) मैं दुख झेलूँगा, मैं मुसीबतें उठाऊँगा।
(iv) मैं अपने जीवन का एक-एक क्षण आपको भेंट कर दूंगा।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग बदल कर लिखिए :
(1) बेटा – ……………………………………
(2) बच्चा – ……………………………………
(3) सेवक – ……………………………………
(4) सूना – ……………………………………
उत्तर :

(1) बेटा – बेटी
(2) बच्चा – बच्ची
(3) सेवक – सेविका
(4) आखिरी = अंतिम।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए :
(1) संसार = ……………………………………
(2) तबाह = ……………………………………
(3) चरण = ……………………………………
(4) आखिरी = ……………………………………
उत्तर :

(1) संसार = दुनिया
(2) तबाह = बर्बाद
(3) चरण = पाँव
(4) सूना – सूनी।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘बिनु गुरु होय न ज्ञान’ इस कथन के बारे में 40 से 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :

मनुष्य को बचपन से लेकर अंतिम समय तक विभिन्न . कार्यों को पूर्ण करने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह ज्ञान विभिन्न रूपों में हमें किसी-न-किसी गुरु से मिलता है। बचपन में बच्चे का पालन-पोषण कर उसे बड़ा करके बोलने-चालने और बोली-भाषा सिखाने का काम माता करती है।

उस समय वह उसकी गुरु होती है। बड़े होने पर विद्यालय में शिक्षकों से बच्चे को ज्ञान की प्राप्ति होती है। तरह-तरह की कलाओं को सीखने के लिए गुरु से ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। गुरु से ज्ञान प्राप्त करके ही कलाकार नाम कमाते हैं।

प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट के क्षेत्र में महारत हासिल करने में उनके क्रिकेट गुरु रमाकांत आचरेकर का विशेष योगदान रहा है।

इसी तरह छत्रपति शिवाजी महाराज की सफलता में उनके गुरु का काफी योगदान रहा है। गुरु ही हमें सही या गलत में भेद करना सिखाते हैं। वे ही भूले-भटके हओं को सही राह दिखाते हैं। इस तरह गुरु की महिमा अपरंपार है।

गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए : जवान बैजू के संगीत की विशेषताएँ –
(1) …………………………
(2) …………………………
(3) …………………………
(4) …………………………
उत्तर :

(1) उसके स्वर में जादू था और तान में आश्चर्यमयी मोहिनी थी।
(2) गाता था तो पत्थर तक पिघल जाते थे।
(3) पशु-पंछी तक मुग्ध हो जाते थे।
(4) लोग सुनते थे और झूमते थे तथा वाह-वाह करते थे।

प्रश्न 3.
बैजू की राग विद्या की शिक्षा पूरी होने पर हरिदासजी ने यह कहा –
(1) …………………………
(2) …………………………
उत्तर :

(1) वत्स! मेरे पास जो कुछ था, वह मैंने तुझे दे डाला।
(2) अब तू पूर्ण गंधर्व हो गया है।

प्रश्न 4.
संजाल पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
(1) उजड़ना x ……………………………..
(2) बूढ़े x ……………………………..
(3) कृतज्ञता x ……………………………..
(4) उपकार x ……………………………..
उत्तर :
(1) उजड़ना – बसना
(3) कृतज्ञता – कृतघ्नता
(2) बूढ़े x जवान
(4) उपकार x अपकार।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘कृतज्ञता मनुष्य का उत्तम गुण है’ इस विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपना मत लिखिए।
उत्तर :

कृतज्ञता का अर्थ है अपने साथ किसी के द्वारा किए गए किसी अच्छे कार्य के लिए व्यक्ति का एहसान मानना। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कभी-न-कभी ऐसा समय आता है, जब उसे किसी रूप में किसी व्यक्ति से छोटी-बड़ी मदद लेनी पड़ती है अथवा किसी का एहसान लेना पड़ता है। उस समय इस प्रकार की मदद अथवा उपकार करने वाला व्यक्ति हमें किसी फरिश्ते से कम नहीं लगता।

ऐसे समय हमारे मन में उसके प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना जाग उठती है। इसे हम एहसान करने वाले के पैर छू करः अथवा उसे धन्यवाद दे कर प्रदर्शित करते हैं। इतना ही नहीं हम सदा उसके एहसान को याद रखते हैं। कृतज्ञता व्यक्त करने से एहसान करने वाले व्यक्ति को भी प्रसन्नता होती है।

गद्यांश क्र. 4
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :

(1) सिपाहियों ने साधु को इस रूप में देखा –
(i) ………………………………..
(ii) ………………………………..
(iii) ………………………………..
(iv) ………………………………..
उत्तर :
(i) साधु के मुँह से तेज की किरणें फूट रही थीं। .
(ii) उन किरणों में जादू था, मोहिनी थी और मुग्ध करने की शक्ति थी।
(iii) उसके मुँह पर सरस्वती का वास था।
(iv) उसके मुँह से संगीत की मधुर ध्वनि की धारा बह रही थी।

(2)

उत्तर :

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 23

प्रश्न 3.
लिखिए : तानसेन ने नवयुवक (साधु) से यह कहा –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
(3) ………………………………..
(4) ………………………………..
उत्तर :

(1) शायद आपके सिर पर मौत सवार है।
(2) आप नियम जानते हैं न?
(3) नियम कड़ा है और मेरे दिल में दया नहीं है।
(4) मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार हैं।

प्रश्न 4.
आकृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :
Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 24

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के वचन बदल कर लिखिए :
(1) हथकड़ियाँ – ………………………………………
(2) आँखें – ………………………………………
(3) बाजारों – ………………………………………
(4) श्रोता – ………………………………………
उत्तर :

(1) हथकड़ियाँ – हथकड़ी
(2) आँखें – आँख
(3) बाजारों – बाजार
(4) श्रोताँ – श्रोतागण।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘घमंड मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है’ इस विषय पर अपने विचार 40 से 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

मनुष्य के अंदर सद् और असद् दो प्रवृत्तियाँ होती हैं। सद् का अर्थ है अच्छा और असद् का अर्थ है जो अच्छा न हो यानी बुरा। घमंड मनुष्य की बुरी वृत्ति है। घमंडी व्यक्ति को अच्छे और बुरे का विवेक नहीं होता। वह अपने घमंड के नशे में चूर रहता है और अपना भला-बुरा भी भूल जाता है।

घमंडी व्यक्ति को अपनी गलती का अहसास तब होता है, जब उसकी की गई गलतियों का परिणाम उसके सामने आता है। घमंड का परिणाम बहुत बुरा होता है। इसके कारण बड़े-बड़े ज्ञानी पुरुषों को भी मुँह की खानी पड़ती है।

रावण जैसा महाज्ञानी पंडित भी अपने घमंड के कारण अपने कुल परिवार सहित नष्ट हो गया। घमंड मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है और उसकी मंजिल है दारुण दुख। इसलिए मनुष्य को घमंड का मार्ग त्याग कर प्रेम और सद्गुण का मार्ग अपनाना चाहिए।

गद्यांश क्र. 5
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :
(a)

उत्तर :

(b)

उत्तर :

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :
(1) बैजू बावरा ने अपने सितार के पदों को हिलाया, तो यह हुआ –
(i) …………………………….
(ii) …………………………….
(iii) …………………………….
(iv) …………………………….
उत्तर :

(i) जनता ब्रह्मानंद में लीन हो गई।
(ii) पेड़ों के पत्ते तक निःशब्द हो गए।
(iii) वायु रुक गई।
(iv) सुनने वाले मंत्रमुग्धवत सुधिहीन हुए सिर हिलाने लगे।

प्रश्न 3.
बैजू बावरा की उँगलियाँ जब सितार पर दौड़ी, तब –
(i) …………………………….
(ii) …………………………….
(iii) …………………………….
(iv) …………………………….
उत्तर :

(i) तारों पर राग विद्या निछावर हो रही थी।
(ii) लोगों के मन उछल रहे थे।
(iii) लोग झूम रहे थे, थिरक रहे थे।
(iv) जैसे सारे विश्व की मस्ती वहीं आ गई थी।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द समूहों के लिए गद्यांश में से ढूँढकर एकएक शब्द लिखिए :
(1) ब्रह्म स्वरूप के साक्षात्कार का दर्शन।
(2) जहाँ किसी प्रकार का शब्द न होता हो।
(3) जो होश से रहित हो।
(4) किसी से भी न डरने की भावना।
उत्तर :

(1) ब्रह्मानंद
(2) निःशब्द
(3) सुधिहीन
(4) निर्भयता

गद्यांश क्र. 6
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए : गानयुद्ध-स्थल पर दर्शक यह देखकर हैरान रह गए –
(1) …………………………………………
(2) …………………………………………
(3) …………………………………………
(4) …………………………………………
उत्तर :

(1) कुछ हरिण छलाँगें मारते हुए आए और बैजू बावरा के पास खड़े हो गए।
(2) हरिण संगीत सुनते रहे, सुनते रहे।
(3) हरिण मस्त और बेसुध थे।
(4) बैजू ने सितार रखकर उनके गले में फूलमालाएँ पहनाईं तब उन्हें सुध आई और भाग खड़े हुए।

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

प्रश्न 3.
लिखिए : तानसेन ने इस तरह बजाया सितार –
(1) …………………………………………
(2) …………………………………………
(3) …………………………………………
(4) …………………………………………
उत्तर :
(1) पूर्ण प्रवीणता के साथ।
(2) पूर्ण एकाग्रता के साथ।
(3) वह बजाया, जो कभी न बजाया था।
(4) वह बजाया, जो कभी न बजा सकता था।

प्रश्न 4.
आकृति पूर्ण कीजिए :

उत्तर :

Maharashtra Board Class 12 Hindi Yuvakbharati Solutions Chapter 4 आदर्श बदला 32

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित उपसर्ग जोड़कर शब्द बनाकर लिखिए :
(1) अ – …………………………….
(2) बे – …………………………….
(3) निर् – …………………………….
(4) परा – …………………………….
उत्तर

(1) अ – असाधारण
(2) बे – बेसुध
(3) निर् – निरादर
(4) परा – पराजय

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘संगीत का प्रभाव’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :
संगीत ऐसी कला है, जो श्रोताओं को अपनी स्वर लहरियों से आह्लादित कर देती है। संगीत एक गूढ़ विद्या है। संगीत-साधक इसमें जितनी गहराई तक जाता है, उसे उतने ही मोती मिलते हैं। संगीत का आनंद संगीत विशेषज्ञ तो उठाते ही हैं, जिन लोगों में संगीत कला की समझ नहीं होती, वे भी संगीत की स्वर लहरियों को सुन कर झूमने लगते हैं। संगीत की मधुर ध्वनि से लोग अपनी सुध-बुध खो बैठते हैं। संगीत सुनने से मन प्रसन्न होता है।

संगीत तनाव कम करने में सहायक होता है और उससे मानसिक शांति मिलती है।

संगीत का प्रभाव अद्भुत होता है। उससे केवल मनुष्य ही नहीं, वातावरण, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे सभी प्रभावित होते हैं। संगीत से पौधों की वृद्धि और दुधारू पशुओं के अधिक दूध देने तक की बातें कही जाती रही हैं। गुणी संगीतकार के संगीत-वादन से वर्षा होने लगती है।

मधुर संगीत से प्रभावित होकर लोगों के मन उछलने लगते हैं, उनके मन थिरकने लगते हैं। लोग मस्ती में डूब जाते हैं। संगीत में जादू-सा प्रभाव होता है। संसार में शायद ही ऐसा कोई प्राणी होगा, जो संगीत की मधुर ध्वनि की धारा में न बह जाता हो।

गद्यांश क्र. 7
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
लिखिए : हरिण बुला पाने में असमर्थ तानसेन की बौखलाहट –
(1) ………………………………..
(2) ………………………………..
(3) ………………………………..
(4) ………………………………..
उत्तर :

(1) उसकी आँखों के सामने मौत नाचने लगी।
(2) उसकी देह पसीना-पसीना हो गई।
(3) लज्जा से उसका मुँह लाल हो गया।
(4) वह खिसिया गया।

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :

(a) दुबारा बैजू बावरा ने सितार पकड़ा, तो यह हुआ –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
(iii) …………………………………
(iv) …………………………………
उत्तर :

(i) एक बार फिर संगीतलहरी वायुमंडल में लहराने लगी।
(ii) फिर सुनने वाले संगीत-सागर की तरंगों में डूबने लगे।
(iii) हरिण बैजू बावरा के पास फिर आए।
(iv) बैजू ने (उनके गले से) मालाएँ उतार लीं और हरिण छलाँग लगाते चले गए।

(b) अकबर का निर्णय सुन कर तानसेन ने यह किया –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
(iii) …………………………………
(iv) …………………………………
उत्तर :

(i) काँपता हुआ उठा।
(ii) काँपता हुआ आगे बढ़ा।
(iii) काँपता हुआ बैजू बावरा के पाँव में गिर पड़ा।
(iv) उससे गिड़गिड़ाया, ‘मेरे प्राण न लो।’

(c) बैजू बावरा ने तानसेन को यह जवाब दिया –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
उत्तर :

(i) मुझे तुम्हारे प्राण लेने की चाह नहीं।
(ii) तुम इस नियम को उड़वा दो कि यदि आगरे की सीमा में गाने वाला तानसेन की जोड़ का न हो, तो उसे मरवा दिया जाए।

(d) बैजू बावरा ने तानसेन को यह पुरानी बात बताई –
(i) …………………………………
(ii) …………………………………
उत्तर :

(i) बारह साल पहले आपने एक बच्चे की जान बचाई (बख्शी ) थी।
(ii) आज उस बच्चे ने आपकी जान बख्शी है।

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
गद्यांश में प्रयुक्त प्रत्यययुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए : .
(1) ………………………………
(2) ………………………………
(3) ………………………………
(4) ………………………………
उत्तर :

(1) संगीतलहरी – संगीतलहर + ई।
(2) मालाएँ – माला + एँ।
(3) होकर – हो + कर।
(4) दीनता – दीन + ता।

1. मुहावरे :

निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए :

(1) अगर-मगर करना।
अर्थ : टाल-मटोल करना।
वाक्य : सिपाही ने आरोपी से कहा, अगर-मगर मत करो, सीधे-सीधे मेरे साथ थाने चलो।

(2) अपना राग अलापना।
अर्थ : अपनी ही बातें करते रहना।
वाक्य : श्यामसुंदर की तो आदत है, दूसरे की बात न सुनना और अपना ही राग अलापते रहना।

(3) चाँदी काटना।
अर्थ : बहुत लाभ कमाना।
वाक्य : आजकल जब लोग कोरोना के डर से घरों में दुबके हैं, कुछ सब्जी बेचने वाले चाँदी काट रहे हैं।

(4) कान भरना।
अर्थ : चुगली करना।
वाक्य : मुनीमजी का चपरासी आफिस के अन्य लोगों के बारे में उनके कान भरता रहता है।

(5) जली-कटी सुनाना।
अर्थ : कटु बात करना।
वाक्य : रघु की माँ अकारण अपनी बहू को जली-कटी सुनाती रहती है।

2. काल परिवर्तन :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :
(1) प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा कर रही थीं। (सामान्य वर्तमानकाल)
(2) जो जवान थे उनके बाल सफेद हो गए। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार हैं। (पूर्ण भूतकाल)
(4) बैजू बावरा की उँगलियाँ सितार पर दौड़ रही थीं। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
(5) बहुत अच्छा! दोबारा बुलाकर दिखा देता हूँ। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर :
(1) प्रकाश की किरणें संसार पर नवीन जीवन की वर्षा करती हैं।
(2) जो जवान होंगे उनके बाल सफेद हो जाएंगे।
(3) मेरी आँखें दूसरों की मौत को देखने के लिए हर समय तैयार थीं।
(4) बैजू बावरा की उँगलियाँ सितार पर दौड़ रही हैं।
(5) बहुत अच्छा! दोबारा बुलाकर दिखा दूंगा।

3. वाक्य शुद्धिकरण :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :
(1) मैं तेरे को वह हथियार दूँगा, जिससे तू तेरे पिता की मौत का बदला ले सकेगा।
(2) हरिदास की धीरज की दीवार आँसुओं के बौछार न सह सकी।
(3) बैजू हाथों बाँधकर खड़े हो गया।
(4) अब मेरी पास और कुछ नहीं, जो तुजे दूँ।
(5) साधु की प्रार्थना में सर्वसाधारण को भी उसकी जीवन और मृत्यु का तमाशा देखने की आज्ञा दे दी गई थी।
उत्तर :
(1) मैं तुझे वह हथियार दूँगा, जिससे तू अपने पिता की मौत का बदला ले सकेगा।
(2) हरिदास के धीरज की दीवार आँसुओं की बौछार न सह सकी।
(3) बैजू हाथ बाँधकर खड़ा हो गया।
(4) अब मेरे पास और कुछ नहीं जो तुझे दूँ।
(5) साधु की प्रार्थना पर सर्वसाधारण को भी उसके जीवन और मृत्यु का तमाशा देखने की आज्ञा दे दी गई थी।

आदर्श बदला Summary in Hindi

आदर्श बदला लेखक का परिचय

आदर्श बदला लेखक का नाम : सुदर्शन। (मूल नाम : बदरीनाथ) (जन्म 29 मई, 1895, सियालकोट ; निधन 9 मार्च, 1967.)

प्रमुख कृतियाँ : पुष्पलता, सुदर्शन सुधा, तीर्थयात्रा, पनघट (कहानी संग्रह)। सिकंदर, भाग्यचक्र (नाटक)। भागवती (उपन्यास)। आनररी मजिस्ट्रेट (प्रहसन)।

विशेषता : आपने प्रेमचंद की लेखन-परंपरा को आगे बढ़ाया है। आपकी रचनाएँ आदर्शोन्मुख यथार्थवाद को रेखांकित करती हैं। साहित्य को लेकर आपका दृष्टिकोण सुधारवादी रहा है। आपने हिंदी फिल्मों की पटकथाएँ और गीत भी लिखे हैं। आपकी प्रथम कहानी ‘हार की जीत’ हिंदी साहित्य में विशिष्ट स्थान रखती है।

विधा : कहानी। कहानी भारतीय साहित्य की प्राचीन विद्या है। आपकी कहानियों की भाषा सरल, पात्रानुकूल तथा प्रभावोत्पादक हैं। मुहावरों का सटीक प्रयोग, प्रवाहमान शैली कहानी की प्रभावोत्पादकता में वृद्धि करती है।

विषय प्रवेश : बदला लेने वाले व्यक्ति के मन में अकसर क्रोध अथवा हिंसा की भावना प्रमुख होती है। इतना ही नहीं, मौत का बदला मौत से लेने की अनेक घटनाएँ प्रसिद्ध हैं। पर प्रस्तुत कहानी में लेखक ने बदला लेने का अनूठा आदर्श प्रस्तुत किया है। ‘बचपन में बैजू अपने पिता को भजन गाने के अपराध में तानसेन की क्रूरता का शिकार होता हुआ देखता है। परंतु वही बैजू बावरा तानसेन को संगीत-प्रतियोगिता में हरा कर उसे जीवन-दान दे देता है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से बैजू बावरा को आदर्श बदला लेते हुए दर्शाया है।

आदर्श बदला पाठ का सार

आगरा शहर में सुबह-सुबह साधुओं की एक मंडली अपने ढंग से भजन गाते-गुनगुनाते प्रवेश कर रही थी। इस मंडली में एक छोटा बच्चा भी था। साधु अपने राग में मगन थे, तभी राज्य के सिपाहियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें बादशाह अकबर के सामने पेश कर दिया गया।

अकबर के मशहूर संगीतकार तानसेन ने यह कानून बनवा दिया था कि जो आदमी राग विद्या में उसकी बराबरी न कर सके, वह आगरा की सीमा में गीत न गाए और जो गाए तो उसे मौत की सजा दी जाए। बेचारे साधुओं को इसकी जानकारी नहीं थी। साधु संगीत विद्या से अनभिज्ञ थे। अतः उन्हें मृत्युदंड की सजा हुई। पर उस बच्चे पर दया करके उसे छोड़ दिया गया।

वह बच्चा रोता-तड़पता आगरा की बाजारों से निकल कर जंगल में अपनी कुटिया में पहुँचा और विलाप करता रहा। तभी खड़ाऊँ पहने, हाथ में माला लिए हुए, राम नाम का जप करते हुए बाबा हरिदास कुटिया के अंदर आए और उन्होंने उसे शांत रहने के लिए कहा। पर उस बच्चे के मन में शांति कहाँ थी! उसका तो संसार उजड़ चुका था। तानसेन ने उसे तबाह कर दिया था।

यह बच्चा बैजू बावरा था। उसने अपने साथ हुई सारी दुर्घटना बाबा हरिदास को बताई और अपने बदले की भूख और प्रतिकार की प्यास मिटाने की उनसे प्रार्थना की। E अंत में हरिदास ने उसे आश्वस्त किया कि वे उसे ऐसा हथियार देंगे, जिससे वह अपने पिता का बदला ले सके।

इसके लिए उन्होंने बैजू से बारह वर्ष तक (संगीत की) तपस्या E करने का वचन लिया। बाबा ने बारह वर्ष में बैजू बावरा को वह सब कुछ सिखा दिया, जो उनके पास था। अब बैजू पूर्ण गंधर्व हो गया था। उसके स्वर में जादू था।

लेकिन संगीत-तपस्या पूरी होने के साथ ही बैजू बावरा को बाबा हरिदास के सामने यह प्रतिज्ञा भी करनी पड़ी कि वह इस राग विद्या से किसी को हानि नहीं पहुँचाएगा। इस प्रतिज्ञा से उसे लगा कि प्रतिहिंसा की छुरी हाथ में आई भी तो गुरु ने प्रतिज्ञा लेकर उसे कुंद कर दी।

कुछ दिनों बाद यही सुंदर युवक साधु आगरा के बाजारों में गाता हुआ जा रहा था। लोगों ने सोचा कि इसकी भी मौत आ गई है। वे उसे नगर की रीति की सूचना देने निकले। पर उसके निकट पहुँचने के पहले ही वे उससे मुग्ध होकर अपनी सुधबुध खो बैठे। सिपाही उसे पकड़ने दौड़े तो उसका गीत सुन कर उन्हें अपनी हथकड़ियों की भी सुध न रही। लोग नवयुवक के गीत पर मुग्ध थे। चलते-चलते यह जन-समूह मौत के द्वार यानी तानसेन के महल के सामने था।

तानसेन बाहर निकला और उसने फब्ती कसी, ‘तो शायद आपके सिर पर मौत सवार है।’ यह सुन कर बैजू के होठों पर मुस्कराहट आ गई। उसने कहा, “मैं आपके साथ गान-विद्या पर चर्चा करना चाहता हूँ।” तानसेन ने कहा, “जानते हैं नियम कड़ा है। मेरे दिल में दया नहीं है। मेरी आँखें दूसरों की मौत देखने के लिए हर समय तैयार हैं।” इस पर बैजू बावरा ने कहा, “और मेरे दिल में जीवन का मोह नहीं है। मैं मरने के लिए हर समय तैयार हूँ।”

दरबार की ओर से शर्ते सुनाई गई। राग-युद्ध नगर के बाहर वन में आयोजित किया गया था। लगता था वन में नगर बस गया है। बैजू ने सितार उठाया। उसने पदों को हिलाया तो जनता ब्रह्मानंद में लीन हो गई। उसकी उँगलियाँ सितार पर दौड़ने लगीं। लगा, सारे विश्व की मस्ती वहीं आ गई हो। तभी संगीत से प्रभावित होकर कुंछ हरिण छलांगें मारते हुए वहाँ आ पहुँचे। वे संगीत सुनते रहे।

बैजू ने सितार बजाना बंद किया और अपने गले से फूलमालाएँ उतार कर हरिणों को पहना दीं। हरिण चौकड़ी भरते हुए गायब हो गए। बैजू ने तानसेन से कहा, “ तानसेन, मेरी फूलमालाएँ यहाँ मँगवा दें, तब जानूँ कि आप राग-विद्या जानते हैं।”

तानसेन सितार हाथ में लेकर बजाने लगा। इतनी एकाग्रता के साथ उसने अपने जीवन में कभी सितार नहीं बजाया था। आज वह अपनी पूरी कला दिखा देना चाहता था। आज वह किसी तरह जीतना चाहता था। आज वह किसी भी तरह जिंदा रहना चाहता था। सितार बजता रहा, पर आज लोगों ने उसे पसंद नहीं किया। तानसेन का शरीर पसीना-पसीना हो गया, पर हरिण न आए। वह खिसिया गया। बोला, “वे हरिण राग की तासीर से नहीं आए थे। हिम्मत है तो दुबारा बुला कर दिखाओ।”

यह सुन कर बैजू ने फिर सितार पकड़ लिया। सितार बजने लगा। वे हरिण फिर बैजू बावरा के पास आ गए। बैजू ने उनके गले से मालाएँ उतार लीं। अकबर ने अपना निर्णय सुना दिया, “बैजू बावरा जीत गया, तानसेन हार गया।’ यह सुन कर तानसेन बैजू बावरा के पाँव में गिर पड़ा और उससे अपने प्राणों की भीख माँगने लगा। बैजू बावरा ने कहा, “मुझे तुम्हारे प्राण लेने की चाह नहीं है। तुम इस निष्ठुर नियम को खत्म करवा दो कि यदि आगरा की सीमा में गाने वाला व्यक्ति तानसेन की जोड़ का न हो, तो उसे मरवा दिया जाए।”

यह सुन कर अकबर ने उसी समय उस नियम को खत्म कर दिया। तानसेन ने बैजू बावरा के चरणों में गिर कर कहा, “मैं यह उपकार जीवन भर नहीं भूलूँगा।’ बैजू बावरा ने उसे याद दिलाया, ‘बारह बरस पहले उसने एक बच्चे की जान बख्शी थी। आज उस बच्चे ने उसकी जान बख्शी है।’

मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग

(1) तूती बोलना।
अर्थ : अधिक प्रभाव होना।
वाक्य : आज उद्योग के क्षेत्र में देश के कुछ घरानों की ही तूती बोलती है।

(2) वाह वाह करना।
अर्थ : प्रशंसा करना।
वाक्य : सितारवादक रविशंकर का सितार वादन सुन कर। श्रोता वाह वाह कर उठते थे।

(3) लहू सूखना।
अर्थ : भयभीत हो जाना।
वाक्य : कोरोना वायरस का नाम सुनते ही लहू सूखने लगता है।

(4) कंठ भर आना।
अर्थ : भावुक हो जाना।
वाक्य : बेटी की बिदाई के समय पिता का कंठ भर आया।

(5) बिलख-बिलख कर रोना।
अर्थ : विलाप करना, जोर-जोर से रोना।
वाक्य : दुर्घटना में घायल पिता की मृत्यु का समाचार सुन कर बेटा बिलख-बिलख कर रोने लगा।

(6) समाँ बँधना।
अर्थ : रंग जमना, वातावरण निर्माण होना।
वाक्य : मदारी ने बंदरों से ऐसा नृत्य करवाया कि समाँ बँध गया।

(7) ब्रह्मानंद में लीन होना।
अर्थ : अलौकिक आनंद का अनुभव करना।
वाक्य : तबलावादक सामताप्रसाद का तबला वादन सुन कर श्रोता ब्रह्मानंद में लीन हो जाते थे।

(8) जान बख्शना।
अर्थ : जीवन दान देना।
वाक्य : डाकुओं ने सेठ की संपत्ति लूट ली, पर उनकी जान बख्श दी।

(9) संसार उजड़ जाना।
अर्थ : सब कुछ व्यर्थ हो जाना।
वाक्य : पति के असामयिक निधन से बेचारी राधा का संसार उजड़ गया।

(10) खरीद लेना।
अर्थ : गुलाम बना लेना।
वाक्य : गाँवों में पहले कुछ लोग मजदूरों को थोड़ा-बहुत कर्ज देकर जैसे उन्हें खरीद ही लेते थे।

(11) रक्त का चूँट पी कर रह जाना।
अर्थ : अपना क्रोध या दुःख प्रकट न होने देना।
वाक्य : मुनीमजी ने बार-बार चपरासी को बुरा-भला कहा, पर वह रक्त का चूंट पी कर रह गया।

(12) पसीना-पसीना होना।
अर्थ : बहुत अधिक परेशान होना।
वाक्य : जंगल से जाते हुए किसान ने हिरन पर झपट्टा मारते हुए चीते को देखा तो वह पसीना-पसीना हो गया।

आदर्श बदला शब्दार्थ

  • सुमर = स्मरण करना
  • प्रतिकार = बदला, प्रतिशोध
  • अवहेलना = अनादर
  • चाँदनिया = शामियाना
  • नि:शब्द = मौन, चुप
  • तासीर = प्रभाव, परिणाम
  • खड़ाऊँ = लकड़ी की बनी खूटीदार पादुका
  • कुंद = भोथरा, बिना धार का
  • कनात = मोटे कपड़े की दीवार या परदा
  • उद्विग्नता = घबराहट, आकुलता
  • सुधिहीन = बेहोश
  • अगाध = अपार, अथाह

आदर्श बदला मुहावरे

  • तूती बोलना = अधिक प्रभाव होना
  • वाह-वाह करना = प्रशंसा करना
  • लहू सूखना = भयभीत हो जाना
  • कंठ भर आना = भावुक हो जाना
  • बिलख-बिलखकर रोना = विलाप करना/जोर-जोर से रोना
  • समाँ बँधना = रंग जमना, वातावरण निर्माण होना 
  • ब्रह्मानंद में लीन होना = अलौकिक आनंद का अनुभव करना
  • जान बख्शना = जीवन दान देना