Chapter 6 पाप के चार हथियार

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Chapter 6 पाप के चार हथियार

Chapter 6 पाप के चार हथियार

Textbook Questions and Answers

कृति-स्वाध्याय एवं उत्तर

आकलन

प्रश्न 1.
(अ) कृति पूर्ण कीजिए:

(1) पाप के चार हथियार ये हैं –
(a) …………………………………………………..
(b) …………………………………………………..
(c) …………………………………………………..
(d) …………………………………………………..
उत्तर :
पाप के चार हथियार ये हैं –
उपेक्षा
निंदा
हत्या
श्रद्धा

(2) जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का कथन – ………………………………………………………
………………………………………………………………………………
………………………………………………………………………………
उत्तर :
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का कथन – जॉर्ज बर्नार्ड शॉ कहते हैं कि लोग उनकी बातों को दिल्लगी समझकर उड़ा देते हैं। लोग उनकी उपेक्षा करते हैं और उनकी बातों पर गौर नहीं करते।

शब्द संपदा

प्रश्न 2.
शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :

(a) जिसे व्यवस्थित न गढ़ा गया हो – ………………………………….
(b) निंदा करने वाला – ………………………………….
(c) देश के लिए प्राणों का बलिदान देने वाला – ………………………………….
(d) जो जीता नहीं जाता – ………………………………….
उत्तर

(1) जिसे व्यवस्थित न गढ़ा गया हो – अनगढ़
(2) निंदा करने वाला – निंदक
(3) देश के लिए प्राणों का बलिदान देने वाला – शहीद
(4) जो जीता नहीं जाता – अजेय

अभिव्यक्ति

प्रश्न 3.
(अ) ‘समाज सुधारक समाज में व्याप्त बुराइयों को पूर्णत: समाप्त करने में विफल रहे’, इस कथन पर अपना मत प्रकट कीजिए।
उत्तर :

संसार में अनेक महान समाज सुधारक हुए हैं। वे अपने समाजसुधार के कार्यों से अपना नाम अमर कर गए हैं। हर युग में अनेक समाज सुधारक समाज को सुधारने का कार्य करते रहे हैं, पर समाज में व्याप्त बुराइयों की तुलना में उनकी संख्या नगण्य है। इसके अलावा समाज सुधारकों को जनता का पर्याप्त सहयोग भी नहीं मिल पाता। इसलिए वे अपने कार्य में पूर्णतः सफल नहीं हो पाते।

इतना ही नहीं, भिन्न-भिन्न कारणों से समाज विरोधी तत्त्व भी अपने स्वार्थ के कारण समाज सुधारकों के दुश्मन बन जाते हैं। इससे समाज सुधारकों के कार्य में केवल अड़चनें ही नहीं आतीं, बल्कि उनकी जान पर भी बन आती है।

इसलिए समाज सुधारकों के लिए समाज में व्याप्त बुराइयों को पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं हो पाया। आए दिन लोगों के प्रति होने वाले अन्याय और अत्याचार की घटनाएँ इस बात का सबूत हैं कि समाजसुधारक समाज में व्याप्त बुराइयों को पूर्णतः समाप्त करने में विफल रहे हैं।

(आ) ‘लोगों के सक्रिय सहभाग से ही समाज सुधारक का कार्य सफल हो सकता हैं’, इस विषय पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :

समाज सुधार कोई छोटा-मोटा काम नहीं है। इसका दायरा विशाल है। इस कार्य को करने का बीड़ा उठाने वाले को इस कार्य में निरंतर रत रहना पड़ता है। किसी भी अकेले व्यक्ति के वश का यह काम नहीं है। इस कार्य को सुचारु रूप से संपन्न करने के लिए समाज सुधारक को समाज के प्रतिनिधियों एवं निष्ठावान कार्यकर्ताओं का सहयोग लेना आवश्यक होता है। समाज में तरहतरह की विकृतियाँ होती हैं।

उनके बारे में जानकारी करने और उन्हें १ दूर करने के लिए समाज के लोगों का सहयोग प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त किसी भी सामाजिक बुराई के पीछे विभिन्न कारणों से कुछ लोगों का स्वार्थ भी होता है। ऐसे लोगों से निपटे बिना उसे दूर नहीं किया जा सकता।

बिना लोगों के सक्रिय सहयोग से ऐसे समाज विरोधी तत्त्वों से पार पाना संभव, नहीं हो पाता। इसलिए इन सभी बातों को ध्यान में रखकर समाज ३ सुधारक को लोगों का सक्रिय सहयोग लेना आवश्यक है। लोगों ३ के सक्रिय सहयोग से ही वह अपने कार्य में सफल हो सकता है।

पाठ पर आधारित लघूत्तरी प्रश्न –

प्रश्न 4.
(अ) ‘पाप के चार हथियार पाठ का संदेश लिखिए।
उत्तर :

‘पाप के चार हथियार’ पाठ में लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ ने एक ज्वलंत समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है। संसार में चारों ओर पाप, अन्याय और अत्याचार व्याप्त है, फिर भी कोई संत, महात्मा, अवतार, पैगंबर या सुधारक इससे मुक्ति का मार्ग बताता है, तो लोग उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते और उसकी अवहेलना करते हैं। उसकी निंदा करते हैं। इतना ही नहीं, इस प्रकार के कई सुधारकों को तो अपनी जान तक गँवा देनी पड़ी है।

लेकिन यही लोग सुधारकों, महात्माओं की मृत्यु के पश्चात उनके स्मारक और मंदिर बनाते हैं और उनके विचारों और कार्यों का गुणगान करते नहीं थकते। जो लोग सुधारक के जीवित रहते उसकी बातों को अनसुना करते रहे, उसकी निंदा करते रहे और उसकी जान के दुश्मन बने रहे, उसकी मृत्यु के पश्चात उन्हीं लोगों के मन में उसके लिए श्रद्धा की भावना उमड़ पड़ती है और वे उसके स्मारक और मंदिर बनाने लगते हैं।

इस प्रकार लेखक ने ‘पाप के चार हथियार’ के द्वारा यह संदेश दिया है कि सुधारकों और महात्माओं के जीते जी उनके विचारों पर ध्यान देने और उन पर अमल करने से ही समस्याओं का समाधान होता है, न कि स्मारक और मंदिर बनाने से।

(आ) ‘पाप के चार हथियार निबंध का उददेश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :

संसार में पाप, अत्याचार और अन्याय का बोलबाला रहा है और आज भी वह वैसा ही है। इससे लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए अनेक महापुरुषों, सुधारकों, समाज सेवकों एवं संतमहात्माओं ने अथक प्रयास किया, पर वे अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाए। उल्टे उन्हें समाज के लोगों की उपेक्षा तथा निंदा आदि का शिकार होना पड़ा और कुछ लोगों को अपनी जान भी गँवानी पड़ी।

पर देखा यह गया है कि जीते जी जिन सुधारकों और महापुरुषों को समाज का सहयोग नहीं मिला और उनकी अवहेलना होती रही, मरने के बाद उनके स्मारक और मंदिर भी बने और लोगों ने उन्हें भगवान-सुधारक कह कर वंदनीय भी बताया। यहाँ लेखक यह कहना चाहते हैं कि मरणोपरांत सुधारक का स्मारक-मंदिर बनना सुधारक और उसके प्रयासों दोनों की पराजय है।

अच्छा तो तब होता, जब लोग सुधारक के जीते जी उसके विचारों को अपनाते और पाप, अत्याचार और अन्याय जैसी बुराइयों के खिलाफ संघर्ष में उसका सहयोग करते और समाज से इन बुराइयों के दूर होने में सहायक बनते। इससे सुधारक समाज को पाप, अन्याय, भ्रष्टाचार और अत्याचार जैसी बुराइयों से मुक्ति दिलाने में सफल हो सकता था। लोगों को सुधारक की उपेक्षा, निंदा अथवा उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के बजाय उनके अभियान में अपना पूरा सहयोग देना चाहिए। तभी समाज से ये बुराइयाँ दूर हो सकती हैं। यही इस पाठ का उद्देश्य है।

साहित्य संबंधी सामान्य ज्ञान

प्रश्न 5.
(अ) कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी के निबंध संग्रहों के नाम लिखिए –
उत्तर :

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’जी के निबंध संग्रहों के नाम हैं –
(1) जिंदगी मुस्कुराई
(2) बाजे पायलिया के घूघरू
(3) जिंदगी लहलहाई
(4) महके आँगन – चहके द्वार।

(आ) लेखक कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जी की भाषाशैली –
उत्तर :

कन्हैयालाल मिश्रजी कथाकार, निबंधकार एवं पत्रकार थे। आपकी भाषा मँजी हुई, सहज-सरल और मुहावरेदार है, जो कथ्य को दृश्यमान और सजीव बना देती है। आपके लेखन में तत्सम शब्दों का प्रयोग भारतीय चिंतन-मनन को अधिक प्रभावशाली बना देता है। आप एक सफल निबंधकार थे। आप में अपने विषय को प्रखरता से प्रस्तुत करने की सामर्थ्य है।

प्रश्न 6.
रचना के आधार पर निम्न वाक्यों के भेद पहचानिए :
(1) संयोग से तभी उन्हें कहीं से तीन सौ रुपये मिल गए।
(2) यह वह समय था, जब भारत में अकबर की तूती बोलती थी।
(3) सुधारक होता है करुणाशील और उसका सत्य सरल विश्वासी।
(4) फिर भी सावधानी तो अपेक्षित है ही।
(5) यह तस्वीर निःसंदेह भयावह है लेकिन इसे किसी भी तरह अतिरंजित नहीं कहा जाना चाहिए।
(6) आप यहीं प्रतीक्षा कीजिए।
(7) निराला जी हमें उस कक्ष में ले गए, जो उनकी कठोर साधना का मूक साक्षी रहा है।
(8) लोगों ने देखा और हैरान रह गए।
(9) सामने एक बोर्ड लगा था, जिस पर अंग्रेजी में लिखा था।
(10) ओजोन एक गैस है, जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनी होती है।
उत्तर :

(1) सरल वाक्य
(2) मिश्र वाक्य
(3) संयुक्त वाक्य
(4) सरल वाक्य
(5) मिश्र वाक्य
(6) सरल वाक्य
(7) मिश्र वाक्य
(8) संयुक्त वाक्य
(9) मिश्र वाक्य
(10) मिश्र वाक्य।

कृतिपत्रिका के प्रश्न 1 (अ) तथा प्रश्न 1 (आ) के लिए
गद्यांश क्र. 1
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
शब्दों को उचित वर्ग में लिखिए :
पीड़ित वर्ग – पीड़क वर्ग

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए :

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए :
(1) नैतिक x …………………………..
(2) पाप x …………………………..
(3) सत्य x …………………………..
(4) असफल x …………………………..
उत्तर :
(1) नैतिक x अनैतिक
(3) सत्य x असत्य
(2) पाप x पुण्य
(4) असफल x सफल।

गद्यांश क्र. 2
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
आकृति पूर्ण कीजिए :

प्रश्न 2.
उत्तर लिखिए : गद्यांश में आए पाप के दो नारे –
(1) …………………………
(2) …………………………
उत्तर :
(1) अजी बेवकूफ है, लोगों को बेवकूफ बनाना चाहता है।
(2) ओह, मैं तुम्हें खिलौना समझता रहा और तुम साँप निकले। पर मैं साँप को जीता नहीं छोडूंगा – पीस डालूँगा।

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए :
(1) सुधारक के सत्य की स्थिति –
(i) उपेक्षा की रगड़ से – कुछ तेज हो जाता है।
(i) निंदा की रगड़ से –
(iii) हत्या के घर्षण से –
उत्तर :
(i) उपेक्षा की रगड़ से – कुछ तेज हो जाता है।
(ii) निंदा की रगड़ से – और भी प्रखर हो जाता है।
(iii) हत्या के घर्षण से – प्रचंड हो उठता है।

प्रश्न 4.

प्रश्न 5.

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
गद्यांश में प्रयुक्त उपसर्गयुक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) …………………………………
(2) …………………………………
(3) …………………………………
(4) …………………………………
उत्तर :
(1) विद्रोह
(2) प्रतिनिधि
(3) असह्य
(4) प्रलाप।

गद्यांश क्र. 3
प्रश्न. निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

कृति 1 : (आकलन)

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए :
(1) पाप सत्य पर यह फेंकता है – [ ]
(2) पाप का ब्रह्मास्त्र – [ ]
(3) अब पाप का नारा यह होता है – [ ]
(4) अब पाप सुधारक की यह लगता है – [ ]
उत्तर :
ब्रह्मास्त्र
श्रद्धा
सत्य की जय! सुधारक की जय
चरण वंदना

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए :

कृति 2 : (शब्द संपदा)

प्रश्न 1.
पद्यांश से ढूँढ़कर प्रत्यययुक्त शब्द लिखिए और शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए :
(1) ………………………………
(2) ………………………………
(3) ………………………………
(4) ………………………………
उत्तर :
(1) तोलकर – तोल + कर
(2) विश्वासी – विश्वास + ई
(3) वंदनीय – वंदन + ईय
(4) अजेयता – अजेय + ता।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के लिंग पहचानकर लिखिए :
(1) चरण – ………………………………
(2) सुधारक – ………………………………
(3) वाणी – ………………………………
(4) पराजय – ………………………………
उत्तर :

(1) चरण – पुल्लिंग
(2) सुधारक – पुल्लिंग
(3) वाणी – स्त्रीलिंग
(4) पराजय – स्त्रीलिंग।

कृति 3 : (अभिव्यक्ति)

प्रश्न 1.
‘स्मारकों और समाधियों का उद्देश्य’ विषय पर 40 से 50 शब्दों में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर :

स्मारक और समाधियाँ महापुरुषों, मनीषियों, विचारकों, समाज सुधारकों, राजनेताओं तथा शहीदों के अद्भुत कार्यों को ध्यान में रखकर उन्हें सम्मान देने, याद रखने तथा उनके कार्यों से प्रेरणा लेने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं। इससे आने वाली पीढ़ियाँ उन्हें याद रखती हैं और उनके कार्यों से प्रेरणा लेती हैं।

पर ऐसा बहुत कम देखा जाता है। अकसर इनके प्रति लोगों में श्रद्धा की भावना होती है। वे इनके दर्शन कर इन्हें श्रद्धांजलि भी देते हैं, पर इनके कार्यों से प्रेरणा लेने की बात उनके मन में कम ही आती है। इन महापुरुषों, मनीषियों, विचारकों, समाज सुधारकों, राजनेताओं तथा शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि उनके कार्यों से प्रेरणा लेकर समाज और देश के विकास के लिए कार्य करना है।

स्मारकों एवं समाधियों की स्थापना के पीछे यही भावना छिपी होती है और लोगों के मन में भी यही भावना होनी चाहिए।

मुहावरे

निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
(1) दाल न गलना।
अर्थ : चतुराई काम न आना।
वाक्य : आफिस के कई लोगों ने उस ईमानदार कर्मचारी को निकलवाने की बड़ी कोशिश की, पर उनकी दाल न गली।

(2) गड़े मुरदे उखाड़ना।
अर्थ : पुरानी कटु बातों को याद करना।
वाक्य : बुढ़िया अकसर अपने बेटों से गड़े मुरदे उखाड़ने की भाषा में ही बोला करती थी।

(3) फूंक फूंक कर पाँव रखना।
अर्थ : अति सावधानी बरतना।
वाक्य : सेठ मटरूमल को जब से धंधे में भारी घाटा उठाना पड़ा है, तब से वे लेन-देन में फूंक फूंक कर पाँव रखते हैं।

(4) आठ-आठ आँसू रोना।
अर्थ : बहुत अधिक रोना।
वाक्य : बुढ़िया का इकलौता बेटा जब से विदेश में नौकरी करने गया है, तब से वह उसकी याद में आठ-आठ आँसू रोती रहती है।

(5) रंग में भंग होना।
अर्थ : प्रसन्नता के वातावरण में विघ्न पड़ना।
वाक्य : कोरोना के लॉक डाउन के कारण मेरे दोस्त नलिन के विवाह समारोह के उत्सव में रंग में भंग हो गया।

काल परिवर्तन :

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों का काल परिवर्तन कर के वाक्य फिर से लिखिए :
(1) इसमें संसार का एक बहुत बड़ा सत्य कह दिया गया है। (पूर्ण भूतकाल)
(2) शॉ के इन शब्दों में अहंकार की पैनी धार है। (सामान्य भविष्यकाल)
(3) इसे वे क्यों नहीं बदल पाए? (सामान्य वर्तमानकाल)
(4) सुधारक का सत्य निंदा की रगड़ से और भी प्रखर हो जाता है। (अपूर्ण भूतकाल)
(5) इस वेग में वह पिस जाएगा। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर :

(1) इसमें संसार का एक बहुत बड़ा सत्य कह दिया गया था।
(2) शॉ के इन शब्दों में अहंकार की पैनी धार होगी।
(3) इसे वे क्यों नहीं बदल पाते?
(4) सुधारक का सत्य निंदा की रगड़ से और भी प्रखर हो रहा था।
(5) इस वेग में वह पिस गया था।

वाक्य शुद्धिकरण

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :
(1) वह स्वरग का अमरित है।
(2) समाज की पाप विवश हो जाती है।
(3) पाप के पास चार शस्त्रे है।
(4) वे मुझे बर्दास्त नई कर सकते।
(5) ये नारा ऊँचे उठता रहता है।
उत्तर :

(1) वह स्वर्ग का अमृत है।
(2) समाज का पाप विवश हो जाता है।
(3) पाप के पास चार शस्त्र हैं।
(4) वे मुझे बर्दाश्त नहीं कर सकते।
(5) यह नारा ऊँचा उठता रहता है।

पाप के चार हथियार Summary in Hindi

पाप के चार हथियार लेखक का परिचय


पाप के चार हथियार लेखक का नाम : कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’। (जन्म : 26 सितंबर, 1906; निधन : 1995.)

प्रमुख कृतियाँ : ‘धरती के फूल’ (कहानी संग्रह)। ‘जिंदगी मुस्कुराई’, ‘बाजे पायलिया के घूघरू’, ‘जिंदगी लहलहाई’, ‘महके आँगन – चहके द्वार’ (निबंध संग्रह), ‘दीप जले शंख बजे’, ‘माटी हो गई सोना’ (संस्मरण एवं रेखाचित्र) आदि।

पाप के चार हथियार विशेषता : कथाकार, निबंधकार, पत्रकार तथा स्वतंत्रता सेनानी। आपने पत्रकारिता में स्वतंत्रता के स्वर को ऊँचा उठाया। आपका संपूर्ण साहित्य मूलतः सामाजिक सरोकारों का शब्दांकन है। आप पद्मश्री सम्मान से विभूषित हैं।

पाप के चार हथियार विधा : निबंध। निबंध का अर्थ है विचारों को भाषा में व्यवस्थित रूप से बाँधना। इसमें वैचारिकता का अधिक महत्त्व होता है तथा विषय को सहजता से रखने का सामर्थ्य होता है।

पाप के चार हथियार विषय प्रवेश : संसार भर के अनेक संतों, महात्माओं, महापुरुषों, विचारकों, दार्शनिकों तथा समाज सुधारकों ने मनुष्य जाति को पाप, अपराध तथा दुष्कर्मों से मुक्त कराने के लिए अथक प्रयास किया है, पर आज तक संसार में अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार, पाप और दुष्कर्मों का अंत नहीं हो पाया है। इसका कारण यह है कि लोगों को इन संतों, महात्माओं और समाज सुधारकों के प्रति श्रद्धा तो होती है, पर वे उनके द्वारा व्यक्त विचारों को अपने आचरण में गंभीरतापूर्वक नहीं उतारते। ऐसा क्यों होता है? लेखक ने प्रस्तुत निबंध में यही बताने का प्रयास किया है।

पाप के चार हथियार पाठ का सार

संसार में सदा से पाप, अपराध, अन्याय, अत्याचार, दुष्कर्म एवं भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा है। संसार के कई महापुरुषों, विचारकों, सुधारकों एवं संतों ने मानव जाति को इनसे मुक्ति दिलाने के लिए अथक प्रयास किए हैं, पर यह समस्या आज भी पहले जैसे सर्वत्र व्याप्त है। इसका मुख्य कारण रहा है विचारकों तथा सुधारकों को लोगों का सहयोग न मिलना। इनकी कही गई बातों पर ध्यान न देना। उनके विचारों को आचरण में न उतारना। यही कारण है कि सुधारक अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाते।

लेखक कहते हैं कि बुराइयों के विरुद्ध सुधारक की बातें लोगों को किसी पागल व्यक्ति की बकवास लगती हैं, जिन्हें वे सुनना ही नहीं चाहते। यदि कभी एकाध बात सुन लेते हैं, तो उसकी निंदा करते नहीं थकते और उस पर लोगों को बेवकूफ बनाने का आरोप लगाने लगते हैं। लेखक कहते हैं कि जब सुधारक का स्वर कुछ प्रखर हो जाता है, तो सामाजिक बुराइयों के लिए यह स्थिति कठिन हो जाती है और ऐसे में सुधारक की हत्या भी हो जाती है। वे कहते हैं कि सुकरात, ईसा और दयानंद की हत्या इसी तरह हुई थी।

लेकिन इसके बाद स्थिति में एकदम बदलाव आ जाता है। सुधारक के विचारों का विरोध करने वाले लोगों के मन में उसके प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ती है। इसके बाद उसे भगवान, तीर्थकर, अवतार, पैगंबर और संत, महाप्रभु की संज्ञा दी जाने लगती है। अब वह लोगों के लिए सामान्य सुधारक न रहकर विशिष्ट व्यक्ति हो जाता है। उसके स्मारक और मंदिर बनने लगते हैं।

उसकी प्रशंसा होने लगती है। लेखक कहते हैं कि यहीं सुधारक और उसके सिद्धांत की पराजय हो जाती है। यही कारण है कि अनेक महापुरुषों, विचारकों, सुधारकों एवं संतों द्वारा इन सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए किए गए प्रयास सफल न हो पाए।

पाप के चार हथियार मुहावरे : अर्थ और वाक्य प्रयोग

(1) ढाँचा डगमगा उठना।
अर्थ : आधार हिल उठना।
वाक्य : कभी-कभी किसी व्यक्ति द्वारा कोई गलत निर्णय ले लेने के कारण किसी परिवार अथवा पूरे समाज का ढाँचा डगमगा उठता है।

(2) लहर को ऊपर से उतार देना।
अर्थ : सिर झुका कर संकट को गुजरने देना।
वाक्य : कोरोना संकट देश की अर्थव्यवस्था को डगमगा देने वाला है, पर हमारी सरकार इस लहर को ऊपर से उतार देने का सफल प्रयास कर रही है।

(3) गले के नीचे उतरना।
अर्थ : स्वीकार करना।
वाक्य : महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमा विवाद का फैसला ऐसा होना चाहिए, जो दोनों राज्यों की सरकारों और जनता के गले उतरने वाला हो।

(4) विवश होना।
अर्थ : लाचार होना।
वाक्य : कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए हर आदमी लॉक डाउन के समय अपने घर में रहने के लिए विवश है।

टिप्पणियाँ

  • जॉर्ज बर्नार्ड शॉ : आपका जन्म 26 जुलाई, 1856 को आयलैंड में हुआ। आपको साहित्य का नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। शॉ महान नाटककार, कुशल राजनीतिज्ञ तथा समीक्षक रह चुके हैं। पिग्मॅलियन, डॉक्टर्स डायलेमा, मॅन ऐंड सुपरमॅन, सीझर ऐंड क्लिओपॅट्रा आपके प्रसिद्ध नाटक हैं।
  • तीर्थंकर : जैन धर्मियों के 24 उपास्य मुनि।
  • सुकरात (सॉक्रेटिस) : युनानी दार्शनिक सुकरात का जन्म ढाई हजार वर्ष पहले एथेन्स में हुआ। वे युवकों से संवाद स्थापित कर उन्हें सोचने की दिशा में प्रवृत्त करते थे। आप प्रसिद्ध विचारक प्लेटो के गुरु थे।
  • दयानंद : आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती समाजसुधारक के रूप में जाने जाते हैं। आपको योगशास्त्र तथा वैद्यकशास्त्र का भी ज्ञान था।
  • ब्रह्मास्त्र : पुराणों के अनुसार एक प्रकार का अस्त्र जो मंत्र द्वारा चलाया जाता था।

पाप के चार हथियार शब्दार्थ

  • खूबियों का पुंज = विशेषताओं का गुच्छा
  • पीड़क = पीड़ा पहुँचाने वाला
  • एकांगी = एक पक्षीय
  • पैने = तीखे/धारदार
  • बखान = वर्णन
  • लोकोत्तर = सामान्य लोगों से ऊपर/विशिष्ट
  • अजेय = जिसे जीता न जा सके
  • अंबार = ढेर
  • विडंबना = उपहास
  • प्रलाप = निरर्थक बात, बकवास
  • शहादत = बलिदान
  • उपसंहार = सार, निष्कर्ष
  • फलितार्थ = सारांश/निचोड़/तात्पर्य
  • खंडित = भग्न, टूटा हुआ

पाप के चार हथियार मुहावरे

  • ढाँचा डगमगा उठना = आधार हिल उठना
  • लहर को ऊपर से उतार देना = सिर झुकाकर संकट को गुजरने देना
  • गले के नीचे उतरना = स्वीकार होना
  • विवश होना = लाचार होना

(टिप्पणियाँ)

  • जॉर्ज बर्नार्ड शॉ : आपका जन्म २६ जुलाई १८५६ को आयर्लंड में हुआ। आपको साहित्य का नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। शॉ महान नाटककार, कुशल राजनीतिज्ञ तथा समीक्षक रह चुके हैं। पिग्मैलियन, डॉक्टर्स डाइलेमा, मॅन एंड सुपरमैन, सीझर अँड क्लियोपैट्रा आपके प्रसिद्ध नाटक हैं।
  • तीर्थंकर : जैन धर्मियों के २४ उपास्य मुनि।
  • सुकरात (सॉक्रेटिस) : यूनानी दार्शनिक सुकरात का जन्म ढाई हजार वर्ष पहले एथेन्स में हुआ। युवकों से संवाद स्थापित कर उन्हें सोचने की दिशा में प्रवृत्त करते थे। आप प्रसिद्ध विचारक प्लेटो के गुरु थे।
  • दयानंद : आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती समाजसुधारक के रूप में जाने जाते हैं। आपको योगशास्त्र तथा वैद्यकशास्त्र का भी ज्ञान था। 
  • ब्रह्मास्त्र : पुराणों के अनुसार एक प्रकार का अमोध अस्त्र जो मंत्र द्वारा चलाया जाता था।