Chapter 9 मेरे पिता जी (पूरक पठन)

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Chapter 9 मेरे पिता जी (पूरक पठन)

Chapter 9 मेरे पिता जी (पूरक पठन)

Textbook Questions and Answers

1. निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कारण लिखिए।

प्रश्न (क)
विमान के प्रति लेखक का आकर्षित होना-
उत्तर:

दो विमान लेखक को अपनी ओर बार-बार खींच रहे थे। मानो वे उसे सीमाओं के परे मनुष्य की सोचने की शक्ति की जानकारी दे रहे थे और मानो वे उसके सपनों को पंख लगा रहे थे।

प्रश्न (ख)
लेखक का एयरोनॉटिकल इंजिनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुनना –
उत्तर:
लेखक का एयरोनॉटिकल इंजिनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुनना क्योंकि उड़ान भरने के प्रति वे आकर्षित थे।

पहली बार मैंने एम. आई. टी. में निकट से विमान देखा था, जहाँ विद्यार्थियों को विभिन्न सब- सिस्टम दिखाने के लिए दो विमान रखे थे। उनके प्रति मेरे मन में विशेष आकर्षण था। वे मुझे बार – बार अपनी ओर खींचते थे। मुझे वे सीमाओं से परे मनुष्य की सोचने की शक्ति की जानकारी देते थे तथा मेरे सपनों को पंख लगाते थे। मैंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग को अपना अध्ययन क्षेत्र चुना क्योंकि उड़ान भरने के प्रति मैं आकर्षित था। वर्षों से उड़ने की अभिलाषा मेरे मन में पलती रही। मेरा सबसे प्यारा सपना यही था कि सुदूर आकाश में ऊँची और ऊँची उड़ान भरती मशीन को हैंडल किया जाए।

2. स्वमत –

3. ‘मेरी अभिलाषा’ विषय पर छह से आठ पंक्तियाँ लिखिए।

प्रश्न 1.
‘मेरी अभिलाषा’ विषय पर छह से आठ पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
जिंदगी सिर्फ चार दिन की होती है। छोटी-सी इस जिंदगी में सभी को आसमान में उड़ाने की चाह होती है। यानी सभी को अपनी-अपनी अभिलाषा होती है। मेरी भी अपनी एक अभिलाषा है। वह है वैज्ञानिक बनने की। मैं वैज्ञानिक बनकर भारत में अनुसंधान का कार्य करना चाहता हूँ। विज्ञान के क्षेत्र में भारत का नाम गर्व से ऊँचा करना चाहता हूँ।

नए-नए अन्वेषण करके मैं सभी का जीवन सुखकर करना चाहता हूँ। वैज्ञानिक बनकर सभी बच्चों के मन में विज्ञान के प्रति प्रेम-आकर्षण निर्माण करना चाहता हूँ। वैज्ञानिक बनकर मानवता के लिए कार्य करने के लिए मैं सदैव तत्पर हूँ। मैं मेरी यह अभिलाषा पूर्ण करने के लिए अथक प्रयास व परिश्रम कर रहा हूँ। मुझे आशा है कि मेरी यह अभिलाषा जरूर पूरी हो जाएगी।

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए

प्रश्न 1.
संजाल:


उत्तरः

2. ‘अपना व्यक्तित्व समृद्ध करने के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान उपयुक्त होता है।’ इस पर अपने विचार लिखिए।

प्रश्न 1.
‘अपना व्यक्तित्व समृद्ध करने के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान उपयुक्त होता है।’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
भाषा विचारों के आदान-प्रदान का साधन है। भाषा से ही व्यक्ति का विकास होता है। बिना भाषिक ज्ञान से व्यक्ति जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता है। बहुभाषी होना तो सोने पे सुहागा जैसी ही बात है। अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होने से व्यक्ति के ज्ञान की कक्षाएँ फैल जाती हैं। वह एक भाषा के साथ दूसरी भाषा के भाव व विचार संकलित करता है।

अन्य भाषाओं का ज्ञान होने से व्यक्ति को अन्य प्रांतों में भी सम्मान की भावना मिल जाती है। अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान होने से व्यक्ति की विचार करने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। ऐसा व्यक्ति भाषण या लेखन करते समय अन्य भाषाओं में प्रचलित संदर्भ या उदाहरणों को आसानी से प्रयोग कर सकता है। इसीलिए अपना व्यक्तित्व समृद्ध करने के लिए अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान उपयुक्त होता है।

पाठ के आँगन में…

1. सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

प्रश्न (क)
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर उनके लिए पाठ में प्रयुक्त विशेषताएँ लिखिए।

  1. जूता
  2. पाजामा
  3. अचकन
  4. टोपी

उत्तरः

  1. काला
  2. ढीला
  3. लंबी व इकहरी
  4. दुपल्ली

प्रश्न (ख)
‘संयुक्त परिवार’ संबंधी अपने विचार लगभग छह से आठ पंक्तियों में लिखिए।
उत्तरः

संयुक्त परिवार प्रणाली भारतीय संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है। आज के इस परिवर्तनशील युग में संयुक्त परिवार प्रणाली विभक्त होती जा रही है। संयुक्त प्रणाली में सभी मिल-जुलकर रहते थे। संयुक्त परिवार प्रणाली व्यापक एवं विशाल स्वरूप की थी। उसका दृष्टिकोण भी व्यापक था। सदस्यों की संख्या भी अधिक होती थी।

परिवार का मुखिया परिवार का संचालन करता था। चाचा-चाची, माँ-बाप, दादादादी, चचेरे भाई-बहन सभी संयुक्त परिवार में मेल-मिलाप से रहते थे। आज भले ही संयुक्त प्रणाली की जगह विभक्त परिवार प्रणाली आ गई है; फिर भी आज कई परिवार ऐसे हैं जो संयुक्त परिवार में रहना पसंद करते हैं। संयुक्त परिवार प्रणाली प्रेम व सहयोग से एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहना सिखाती है।

भाषा बिंदु

प्रश्न 1.
विरामचिह्न पढ़िए, समझिए।
उत्तर:

Additional Important Questions and Answers

(क) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
समझकर लिखिए।
उत्तर:

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर उनके लिए पाठ में प्रयुक्त विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. गुलूबंद
2. लाठी
उत्तर:
1. जाड़ों में लेखक के पिता के गले में क्या पड़ा रहता था?
2. लेखक के पिता ने किसकी तालीम ली थी?

प्रश्न 5.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. लेखक के गाँव में किसी कारण हिंदू-मुस्लिम दंगा हो गया था।
2. लेखक के पिता दफ्तर से बाहर निकलते समय धोती पर बंद गले का कोट पहनते थे।
उत्तर:
1. असत्य
2. सत्य

प्रश्न 6.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

कृति (2): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
सभी का प्रिय बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए? अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
सभी का प्रिय बनने के लिए हमें सभी के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। अपनी वाणी एवं अपने कर्म से सभी को अपनी ओर आकर्षित करना चाहिए। हमें संकट की घड़ी में दूसरों की मदद करनी चाहिए। अपने अच्छे व्यवहार से सभी का दिल जीत लेना चाहिए। हमें मानवीय गुणों का पालन करना चाहिए और अपने प्रत्येक कार्य से दूसरों को प्रेरणा देनी चाहिए।

(ख) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1):आकलन कृति

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
पिता जी हाथ में डंडा लिए थे।
उत्तर:
आत्मरक्षा के लिए पिता जी हाथ में डंडा रखते थे।

प्रश्न 2.
हिंदू-मुसलमान को मेल से रहना चाहिए।
उत्तरः
साथ में भाईचारे से रहने के उद्देश्य से हिंदू-मुसलमान को मेल से रहना चाहिए।

कृति पूर्ण कीजिए।

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

सही विकल्प चुनकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
हिंदू-मुसलमानों के कटने मरने से…………….
उत्तर:

(क) न हिंदुत्व समाप्त होगा न इस्लाम खत्म होगा।
(ख) न बंधुत्व समाप्त होगा न भाईचारा खत्म होगा।
(ग) न प्रेम समाप्त होगा न अमन खत्म होगा।

प्रश्न 2.
लेखक के पिता जी का लोगों पर असर हुआ और
(क) उनके मुहल्ले में अशांति बनी रही।
(ख) उनके मुहल्ले में वैमनस्य बढ़ने लगा।
(ग) उनके मुहल्ले में शांति बनी रही।
उत्तर:

1. हिंदू-मुसलमानों के कटने मरने से न हिंदुत्व समाप्त होगा न इस्लाम खत्म होगा।
2. लेखक के पिता जी का लोगों पर असर हुआ और उनके मुहल्ले में शांति बनी रही।

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘इंसान मेल से रहने के लिए बना है।’ इस कथन से संबंधित अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
इंसान ईश्वर की सबसे सुंदर कृति है। इंसानियत इंसान का सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म से बढ़कर अन्य धर्म नहीं है। अतः धर्म के नाम पर एक-दूसरे के साथ लड़ना-झगड़ना उचित नहीं है। मानव जीवन अत्यंत मूल्यवान है। अत: इस जीवन में हमें एक-दूसरे के साथ अच्छे संबंध निर्माण करने चाहिए। जब व्यक्ति एक-दूसरे के साथ मेल से रहेगा तब समाज में शांति, प्रेमभाव, अमन का राज्य निर्माण हो जाएगा। चार दिन की इस जिंदगी में खुश रहने के लिए व्यक्ति को एक-दूसरे के साथ मेल से रहना चाहिए।

(ग) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्य गद्यांश के क्रम के अनुसार लिखिए।

  1. पैदल आते।
  2. साथ में एक सुराही गंगाजल भी लाते।
  3. वे सवेरे तीन बजे उठते।
  4. वे ठीक साढ़े छह बजे नहाकर लौटते।

उत्तर:

  1. वे सवेरे तीन बजे उठते।
  2. पैदल आते।
  3. वे ठीक साढ़े छह बजे नहाकर लौटते।
  4. साथ में एक सुराही गंगाजल भी लाते।

प्रश्न 2.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. मूर्ति
2. मानस
उत्तर:

1. पूजा की कोठरी में क्या नहीं थी?
2. लेखक के पिता किसका नवाहिक पाठ करते थे?

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘छात्र का दैनिक जीवन किस प्रकार का होना चाहिए?’ इस पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः
छात्र का दैनिक जीवन सुव्यवस्थित होना चाहिए ताकि वह संपूर्ण दिन में अपना प्रत्येक कार्य सुचारू रूप से कर सकें। छात्र को सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर ईश्वर चिंतन में थोड़ा समय देना चाहिए। पश्चात स्कूल में समय पर पहुँचना चाहिए। स्कूल की पढ़ाई-लिखाई में पूरा ध्यान देकर गृहकार्य भी समय पर करना चाहिए। स्कूल से घर आने के पश्चात कुछ समय खेलकूद के लिए भी देना चाहिए। अपने परिवार एवं मित्र के साथ टहलने के लिए भी समय देना चाहिए। साथ ही अपने निजी शौक के लिए भी छात्र को समय देना चाहिए। रात में सोते समय ईश्वर का ध्यान करना चाहिए।

(घ) गद्यांश पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. लेखक के पिता का स्वर साफ, सप्राण व लयपूर्ण था।
2. लेखक के पिता की आवाज सुरीली थी।
उत्तर:

1. सत्य
2. असत्य

प्रश्न 2.
समझकर लिखिए।
उत्तर:

प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
परिवार के अन्य लोग लेखक के पूर्व जन्म के धार्मिक संस्कार की कल्पना करते थे।
उत्तरः
बचपन में लेखक जब रोने लगते थे तब उन्हें खटोले सहित पूजा की कोठरी के सामने रख दिया जाता। वहाँ आने के बाद लेखक का रोना बंद हो जाता था। इसलिए परिवार के अन्य लोग लेखक के पूर्व जन्म के धार्मिक संस्कार की कल्पना करते थे।

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘घर व परिवार संस्कार के प्रमुख केंद्र होते हैं।’ इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तरः

संस्कार पढ़ाए नहीं जाते हैं। वे अपने आप आ जाते हैं। घर व परिवार ही एक ऐसा माहौल है; जिसमें बच्चों का संस्कार निर्माण होता है। यदि घर व परिवार में धार्मिक माहौल है तो बच्चों पर अपने आप धार्मिक संस्कार का निर्माण हो जाता हैं। कोई भी पाठशाला संस्कार नहीं प्रदान कर सकती। वह सिर्फ शिक्षा दे सकती है। सिर्फ घर-परिवार में अच्छा माहौल हो, तो बच्चों में नैतिक संस्कार एवं मानवीय गुण अपने आप आ जाते हैं। बच्चे जन्म से अपने परिवार के संग होते हैं। घर पर मिलने वाली शिक्षादीक्षा एवं घर-परिवार के लोगों के अच्छे आचरण का बच्चों पर प्रभाव पड़ता है। इससे बच्चों में संस्कार पनपने लगते हैं।

(ङ) गद्यांश पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
लेखक के पिता जी मौन रहकर गीता पढ़ते थे।
उत्तरः
लेखक के पिता जी गीता पर चिंतन करना चाहते थे। इसलिए वे मौन रहकर गीता पढ़ते थे।

प्रश्न 2.
लेखक के पिता को संस्कृत उच्चारण से सुख न मिलता था।
उत्तर:
लेखक के पिता को संस्कृत उच्चारण से सुख न मिलता था। क्योंकि उन्हें संस्कृत का साधारण ज्ञान था।

प्रश्न 3.
समझकर लिखिए।
उत्तरः

(च) परिच्छेद पढ़कर दी गई सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को गद्यांश के अनुसार सही क्रम में लिखिए।

  1. भोजन समय पर तैयार न होने पर पिता जी को बहुत गुस्सा आता था।
  2. पिता जी नौ बजते-बजते दफ्तर के लिए रवाना हो जाते।
  3. पिता जी के गुस्सा हो जाने पर माँ काँपने लगती थी।
  4. पिता जी रसोई में बैठकर भोजन करते।

उत्तर:

  1. पिता जी रसोई में बैठकर भोजन करते।
  2. पिता जी नौ बजते-बजते दफ्तर के लिए रवाना हो जाते।
  3. भोजन समय पर तैयार न होने पर पिता जी को बहुत गुस्सा आता था।
  4. पिता जी के गुस्सा हो जाने पर माँ काँपने लगती थी।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. पैंतीस
2. पूरियाँ
उत्तर:

1. लेखक के पिता जी ने कितने वर्षों तक नौकरी की?
2. लेखक की माँ जल्दी-जल्दी क्या बनाती?

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
घर की तीनों बूढ़ियाँ लेखक की माँ पर चिल्लाती थीं –
उत्तरः

लेखक के पिता के लिए भोजन ले जाने के लिए कोई आदमी न मिलने पर उन्हें दफ्तर में पूरा दिन उपवास करना पड़ता था।
अत: घर की तीनों बूढ़ियाँ लेखक की माँ पर चिल्लाती थीं।

प्रश्न 2.
घर की तीनों बूढ़ियों को भूखा रहना पड़ता था –
उत्तर:
लेखक के पिता को पूरा दिन भूखा रहने के कारण लेखक की माँ भी भूखी ही रह जाती थी। अत: माँ के भूखे रहने के कारण घर की तीनों बूढ़ियाँ भी भूखी ही रह जाती थीं।

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘हमें समय का पालन करना चाहिए।’ इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
समय का पालन करना, समय के अनुसार काम करना एवं समय पर चलना जीवन में अत्यावश्यक है। यदि हम अपने जीवन में समय का पालन करेंगे तो हमारा सारा काम समय पर पूरा हो जाएगा। समय का पालन करने से हम अपने गंतव्य स्थान पर ठीक समय से पहुँच जाएँगे। हमें देरी नहीं होगी। समय का पालन करने से हमारे अंदर अनुशासन बढ़ेगा। समाज में हमें अपने आप प्रतिष्ठा एवं सम्मान प्राप्त हो जाएगा। समय का पालन करने से व्यक्ति स्वावलंबी बनेगा। इसीलिए हमें समय का पालन करना चाहिए।

(छ) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1) आकलन कृति

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विधान सत्य है या असत्य लिखिए।
1. पिता जी का दफ्तर से लौटने का कोई निश्चित समय नहीं था।
2. पिता जी पूरे दिन में लगभग चालीस मील चला करते थे।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों को पढ़कर ऐसे दो प्रश्न तैयार कीजिए कि जिनके उत्तर निम्न शब्द हों।
1. तीन
2. गंगा
उत्तर:

1. लेखक के पिता जी सुबह कितने बजे उठते थे?
2. लेखक के पिता सुबह स्नान करने के लिए कहाँ जाते थे?

प्रश्न 3.
आकृति पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

कृति (2): स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
‘गंगा नदी भारत के धार्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं का भंडार है।’ इस कथन के संदर्भ में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:

गंगा नदी भारत की प्रमुख एवं पुरातन नदी है। इस नदी से भारतीयों की श्रद्धा एवं आस्था जुड़ी हुई है। पुराणों में गंगा नदी का वर्णन आया हुआ है। भगीरथ ने अथक परिश्रम कर गंगा को धरती पर लाया था। लोगों के पापों का नाश करने वाली व सभी के दुखों का हरण करने वाली गंगा नदी भारतीय संस्कृति की शान है। हमारी धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्थाएँ गंगा नदी से जुड़ी हुई हैं। गंगा नदी के किनारे कई संस्कृतियाँ विकसित हुई हैं। इसीलिए गंगा नदी भारत के धार्मिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओं का भंडार है।

(ज) परिच्छेद पढ़कर सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

कृति (1): आकलन कृति

प्रश्न 1.
संजाल पूर्ण कीजिए।
उत्तर:

कारण लिखिए।

प्रश्न 1.
पिता जी ने आराम घड़ी खरीदी।
उत्तरः

घर के लोगों को सेंस ऑफ टाइम वक्त का अंदाज देने के लिए पिता जी ने आराम घड़ी खरीदी।

प्रश्न 2.
लेखक की बड़ी बहन का लड़का घड़ी अपने घर ले गया।
उत्तरः
वह घड़ी उसके नाना लाए थे। इसीलिए नाना की एक निशानी के रूप में वह घड़ी अपने घर ले गया।

प्रश्न 3.
कृति पूर्ण कीजिए।
उत्तरः

कृति (2) स्वमत अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
आप अपने पिता जी की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेरे पिता मेरे लिए आदर्श हैं। उनमें वे सारी योग्यताएँ मौजूद हैं जो एक आदर्श पिता के पास होती हैं। पिता जी हमें अनुशासन के प्रति सचेत करते हैं। क्या सही और क्या बुरा इसके बारे में भी सचेत करते हैं। मेरे लिए मेरे पिता जी एक सच्चे दोस्त की तरह हैं। वे प्रेम, दया एवं सहनशीलता के भंडार हैं। उनके पास ज्ञान का अनमोल भंडार है। उनकी बोली में माधुर्य टपकता है। जीवन में आने वाली परिस्थितियों का सामना करने की प्रेरणा मुझे उनसे ही प्राप्त हुई है। जीवन में हर पल यानी सुख-दुख में हमेशा खुश रहना चाहिए यह भी मैंने उनसे ही सीखा है।

Summary in Hindi

लेखक-परिचय:

जीवन-परिचय: हरिवंशराय बच्चन जी का जन्म 27 अगस्त 1907 प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। बच्चन जी हालावाद के प्रवर्तक थे। ये मूलत: कवि के रूप में जाने जाते हैं। इन्होंने आत्मकथा के माध्यम से गद्य की जो एक नई धारा निर्माण की वह प्रशंसनीय है। ‘मधुशाला’ इनकी प्रसिद्ध रचना है जो हर एक आम आदमी के हृदय में विराजमान है।

प्रमुख कृतियाँ: कविता संग्रह – ‘मधुशाला’, ‘मधुकलश’, ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल अंतर’, ‘खादी के फूल’, ‘हलाहल’, ‘धार के इधर उधर’; आत्मकथा के चार खंड – ‘क्या भूलूँ क्या याद करूँ’, ‘नीड़ का निर्माण फिर फिर’, ‘बसेरे से दूर’, ‘दशद्वार से सोपान तक’।

गद्य-परिचय:

आत्मकथा: आत्मकथा हिंदी साहित्य में गद्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। इसमें व्यक्ति अपने जीवन काल में घटी घटनाओं और अपनी
कथा स्मृतियों का वर्णन करता है। आत्मकथा सामान्यत: व्यक्ति अपने जीवन के उत्तर काल में लिखता है। इसमें रोचकता व निष्पक्षता होती है।

प्रस्तावना: प्रस्तुत आत्मकथा के अंश में लेखक बच्चन जी ने अपने पिता के व्यक्तित्व एवं चरित्र का वर्णन किया है। इसके साथ ही देश काल की परिस्थितियों का भी जिक्र किया है।

सारांश:

प्रस्तुत पाठ ‘मेरे पिता जी’ आत्मकथा का एक अंश है। प्रस्तुत पाठ में लेखक हरिवंशराय बच्चन जी ने अपने पिता का चित्रण किया है और साथ में यह भी बताया है कि पिता जी द्वारा किए गए संस्कारों का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। लेखक के पिता जी समय के बड़े पाबंद थे। अपनी पैंतीस वर्ष की नौकरी में वे कभी भी दफ्तर देरी से नहीं गए थे। जब लेखक की माँ उनके लिए भोजन देरी से बनाती थीं तो वे गुस्सा हो जाते थे। लेखक की माँ आस-पास में रहने वाले किसी भी आदमी के हाथों से उनके लिए भोजन दफ्तर में भेज देती थीं। जिस दिन भोजन ले जाने के लिए कोई भी नहीं मिलता; उस दिन लेखक के पिता भूखे रह जाते थे।

इसी कारण लेखक की माँ भी भूखी रहती थीं। लेखक के पिता जी को धर्म के नाम पर दंगा फसाद करने वालों के खिलाफ बहुत नफरत थी। उनका कहना था कि इंसान मेल से रहने के लिए बना है। हिंदू या मुसलमानों के मरने से; न हिंदुत्व समाप्त होगा न इस्लाम। लेखक के पिता बहुत धार्मिक थे। वे सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करने जाते थे। पूजा-पाठ में विश्वास रखते थे और मानस का नवाहिक पाठ करते थे। लेखक पर अपने पिता जी के रहन-सहन, व्यक्तित्त्व एवं उनके गुणों का बहुत असर हुआ। उन्हीं के आदर्श विचारों के कारण लेखक के व्यक्तित्व को एक नया आयाम प्राप्त हुआ। इसीलिए लेखक ने अपनी आत्मकथा के इस अंश में अपने पिता जी की खूबियों को दर्शाया है।

शब्दार्थ:

  1. नैमित्तिक – निमित्यसंबंधी
  2. विलायत – विदेश
  3. वाकचातुर्य – वाकपटुता, बोलने में चतुराई
  4. अचेतन – चेतनारहित
  5. चलास – चलने का शौक
  6. सहकर्मी – दफ्तर में साथ में काम करने वाला
  7. आत्मरक्षा – स्वयं की रक्षा
  8. सिरफिरा – पागल
  9. वारदात – घटना
  10. नियमबद्ध – नियम के अनुसार
  11. अचरज – आश्चर्य