SSC HINDI COMPOSITE MARCH 2019 solved paper

MARCH 2019

HINDI (COMPOSITE)

विभाग 1-गद्य : 12 अंक

प्रश्न 1. (अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए : *

“यार सुरेश ?” अशोक ने अपने पारिवारिक मित्र से बड़े अचरज से पूछा, मैं हमेशा देखता हूँ, तुम अपनी सौतेली माँ की दिन-रात सेवा करते रहते हो, लेकिन वह तुम्हें हमेशा बुरा-भला ही कहती है। बड़ी अजीब बात है, हमारे तो बस का काम नहीं है इतना सुनना, तुम कैसे कर लेते हो इतना सब्र ?”“करना पड़ता है भाई।” सुरेश ने फीकी मुस्कान से कहा, “इन्वेस्टमेंट सेंटर चलाता हूँ न, बाहर पैसे का इन्वेस्टमेंट करवाता हूँ और घर में संस्कारों का इन्वेस्टमेन्ट कर रहा हैं।

“संस्कारों का इन्वेस्टमेंट, वह कैसे ?”

“बचपन में मैंने परिजनों को बुजुर्गों की सेवा करते देखा। इसी भाव का इन्वेस्टमेन्ट अब अपने बच्चों में कर रहा हूँ।”

(1) उत्तर लिखिए :

(क) सौतैली माँ का सुरेश के साथ व्यवहार ………………………………………….

(ख) सुरेश का सौतेली माँ के प्रति व्यवहार ………………………………………….

(2) परिच्छेद से ढूँढ़कर लिखिए :

(ग) दो प्रत्यययुक्त शब्द ………………………………………….

(घ) दो विदेशी शब्द ………………………………………….

(3) ‘बड़े-बुजुर्ग ही बच्चों के आदर्श ‘ पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर : (अ)

(1) Answer is not given due to the change in the reduced syllabus.

(2) Answer is not given due to the change in the reduced syllabus.

(3) Answer is not given due to the change in the reduced syllabus.

(आ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

बहुरूपियों के बारे में हम सब जानते हैं। इन लोगों का पेशा अब समाप्त होता जा रहा है। किसी समय रईसों और अमीरों का मनोरंजन करने वाले बहुरूपिये प्राय: हर नगर में पाए जाते थे। ये कभी धोबी का रूप लेकर आते थे, कभी डाकिए का। हू-बू-हू उसी तरह का व्यवहार करके ये प्राय: लोगों को भ्रम में डाल देते थे। इनकी इसी सफलता से धोखा खा जाने वाला रईस इन्हें इनाम देता था। उसी तरह के बहुरूपिये का एक रूप मैंने राजस्थानी लोककथाओं में सुना था और मुझे वह अभी भी अच्छी तरह याद है।

(1) एक अथवा दो शब्दों में उत्तर लिखिए :

(क) बहुरूपिये प्राय: यहाँ पाए जाते थे ………………………………………….

(ख) बहुरूपिये इनका मनोरंजन करते थे ………………………………………….

(ग) बहुरूपिये इनका रूप लेते थे ………………………………………….

(घ) ये लोगों को प्राय: भ्रम में डालते थे ………………………………………….

(2) ( च) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) गरीब (2) बुरी

(छ) निम्नलिखित शब्दों के वचन परिवर्तन करके लिखिए :
(1) बहुरूपिया (2) लोककथाएँ

(3) ‘व्यक्तित्व विकास में कला का महत्व’ अपने विचार लिखिए।

उत्तर : (आ)

(1) (क) हर नगर में (ख) रईसों और अमीरों का

(ग) धोबी, डाकिए (घ) हू-बू-हू उसी तरह का व्यवहार करके

(2) (च) 1. गरीब अमीर 2. बुरी अच्छी

(छ) 1. बहुरूपिया – बहुरूपिये 2. लोककथाएँ – लोककथा

(3) ‘व्यक्तित्व विकास में कला का महत्व’

व्यक्तित्व विकास में कला का बहुत महत्व होता है। कला ही जीवन है। कला का हमारे जीवन से गहरा संबंध है। कला, मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है। कला मानव की मानसिक शक्तियों का विकास कर उसे पशुत्व से ऊपर उठाती है। कला हमारी संस्कृति को प्रतिबिंबित करती है। कला हमारे जीवन का भृंगार करती है। कला से सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान तथा सांस्कृतिक संरक्षण होता है। अंततः यह हमारा दायित्व है, कि हम सदैव कला का और कलाकार का सम्मान करेंगे।

विभाग 2 -पद्य : 10 अंक

प्रश्न 2. (अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

सबका समान रवि है, शशि है,

सबका समान है मुक्त पवन;

सारे मानव यदि मानव हैं;

सबके समान हों भूमि-गगन

कब नवयुग ऐसी नव संस्कृति,

नव विश्व व्यवस्था लाएगा ?

ऐसा वसंत कब आएगा ?

(1) संजाल आकृति पूर्ण कीजिए :

(2) पद्यांश से समानार्थी शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
(1) स्वतंत्र (2) संसार

(3) ‘समाज उन्नति में समानता का महत्व’ अपने विचार लिखिए।

उत्तर : (अ)

(1) संजाल आकृति पूर्ण कीजिए :

(2) 1. स्वतंत्र मुक्त 2. संसार विशव

(3) ‘समाज उन्नति में समानता का महत्त्व,

समानता का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है, जिसमें उस समाज के सभी लोग समान अधिकार या प्रतिष्ठा रखते हैं समानता में स्वास्थ्य समानता, आर्थिक समानता और अन्य सामाजिक सुरक्षा भी आती है। इसके अलावा समान अवसर तथा समान दायित्व भी इसके अंतर्गत आते हैं। सभी लोग समान रूप से सम्मान के अधिकारी हैं। उनसे समान रूप से व्यवहार किया जाना चाहिए, तभी हमारा समाज उन्नत होगा। समानता का मतलब है कि लोगों में जो फर्क है, वह सही मायने में उनके अंदरूनी गुणों से ही है।

(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

दुर्बल को न सताइए, जाकी मोटी हाय ।

बिना जीव की स्वाँस से, लोह भसम ह्वै जाय।।

गुरु कुम्हार सिष कुंभ है, गढ़-गढ़ काढ़ खोट।

अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।

जाको राखै साइयाँ, मारि न सक्कै कोय।

बाल न बाँका करि सके, जो जग बैरी होय।।

(1) उचित जोड़ियाँ मिलाइए :

अ आ

खोट निकालना हाय

दुर्बल को सताना साँस

लोहा भस्म होना गुरु

बाल भी बाँका न होना जग

(2) सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(3) ‘जीवन में गुरु का महत्त्व’ पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर : (आ) (1)

‘अ’ ‘आ’
खोट निकालनागुरु
दुर्बल को सतानाहाय
लोहा भस्म होनासाँस
बाल भी बाँका न होनाजग

(2)

उपसर्गयुक्त शब्दप्रत्यय युक्त शब्द
दुर्बलबल बलवान

(3) ‘जीवन में गुरु का महत्व’

गुरु का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है। गुरु के बिना हमारा जीवन अंधकारमय होता है। गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु हमें जीवन जीने का सही रास्ता बताते हैं, जिस रास्ते पर चलकर जीवन को सँवारा जाता है। एक नई ऊँचाई को चुना जा सकता है। इसलिए गुरु हमारे लिए किसी मूल्यवान वस्तु से कम नहीं है। गुरु इस संसार का सबसे शक्तिशाली अंग होता है। बिना गुरु के किसी कला को सीखा नहीं जा सकता। गुरु के बिना ज्ञान अधूरा होता है।

विभाग 3-भाषा अध्ययन (व्याकरण) : 10 अंक

प्रश्न 3. निम्नलिखित सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(1) सही शब्द छाँटकर लिखिए :

यद्यपी, यद्यपि, यद्यीपी, यदयपि ………………………………………….

निश्चल, निशचल, निष्चल, नीश्चल ………………………………………….

(2) निम्नलिखित अव्यय का अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए :

लेकिन

(3) काल भेद पहचानिए तथा परिवर्तन कीजिए।

……………………………काल

(4) (क) मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

मुहावरा – डेरा लगाना

अर्थ –

वाक्य –

(ख) अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए :

( चौपट हो जाना, सिहर उठना)

असमय बारिश के कारण किसानों की खेती नष्ट हो गई।

(5) कृति पूर्ण कीजिए :

संधि शब्दसंधि विच्छेदसंधि भेद
दुस्साहस..
.गण + ईश.

(6) वाक्य भेद पहचानकर लिखिए :

(ग) चंपा के पौधे लगा लिए हों। (रचना के अनुसार)

(घ) आपको सरदर्द कितने समय से है ? (अर्थ के अनुसार)

उत्तर :

(1) यद्यपि, निश्चल

(2) लेकिन-

वाक्य में प्रयोग:- सुरेश को उसकी सौतेली माँ हमेशा बुरा-भला कहती थी लेकिन सुरेश उनकी सारी बातें चुपचाप सुनकर सेवा ही करता था।

(3) काल भेद

(4) (क) डेरा लगाना

अर्थ-ठहरना, टिकना, जमकर बैठ जाना, निवास के लिए जम जाना ! वाक्य: नगर के बाहर महात्मा ने आकर डेरा लगाया है।

(ख) असमय वारिश के कारण किसानों की खेती चौपट हो गई।

(5) संधि शब्द

संधि शब्दसंधि विच्छेदसंधि भेद
दुस्साहसदु: + साहसविसर्ग संधि
गणेशगण + ईंशगुण संधि

(6) (ग) साधारण (सरल) वाक्य

(घ) प्रश्नवाचक वाक्य

विभाग 4-रचना विभाग (उपयोजित लेखन) : 18 अंक

सूचना-आवश्यकतानुसार परिच्छेद में लेखन अपेक्षित है।

प्रश्न 4. (अ) (1) पत्र-लेखन :

सुमित/सुमिता तुपे, 3 , ‘ लताकुंज’, महात्मा नगर, वर्धा से अपने मित्र/सहेली समिर/समिरा दुबे, 5 , ‘स्नेहप्रभा’ समता नगर, अमरावती को मैराथन दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के उपलक्ष्य में अभिनंदन करने हेतु पत्र लिखता/लिखती है।

(2) कहानी-लेखन :

निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर लगभग 60 से 70 शब्दों में कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दीजिए: एक लड़की-घर में दादी के साथ अकेली-अचानक दादी की तबियत बिगड़ना-समय सूचकता दिखाना-डॉक्टर का आना -दादी की जान बचना-प्रशंसा पाना।

अथवा

गद्य आकलन-(प्रश्न निर्मिति) :

निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हो : व्यापार और वाणिज्य ने यातायात के साधनों को सुलभ बनाने में योग दिया है। यद्यपि यातायात के साधनों में उन्नति युद्धों के कारण भी हुई है, तथापि युद्ध स्थायी संस्था नहीं है। व्यापार से रेलों, जहाजों आदि को प्रोत्साहन मिलता है और इनसे व्यापार को। व्यापार के आधार पर हमारे डाक-तार विभाग भी फले-फले हैं। व्यापार ही देश की सभ्यता का मापदंड है। दूसरे देशों से जो हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, वह व्यापार के बल-भरोसे होती है। व्यापार में आयात और निर्यात दोनों ही सम्मिलित हैं। व्यापार और वाणिज्य की समृद्धि के लिए व्यापारी को अच्छा आचरण रखना बहुत आवश्यक है।

उत्तर : (आ) (1) पत्र-लेखन

सुमित/सुमिता तुपे,

3, लताकुँज, महात्मा नगर, वर्धा-442001.

20 मार्च, 2019.

प्रति,

समिर/समिरा दुबे,

5, सेहप्रभा, समता नगर,

अमरावती- 444601

प्रिय मित्र समिर/समिरा,

नमस्ते,

आज तुम्हारे पापा को फोन किया, उन्हीं से ज्ञात हुआ कि तुम मैराथन दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम आयी हो। इस समाचार को सुन मन खुरी से भर गया। मेरे प्रसन्नता की सीमा नहीं रही। तुम्हारी जिद और कड़ी मेहनत पर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। तुम्हारी इस सफलता के लिए हार्दिक अभिनंदन। तुमने प्रथम स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम से कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं।

मैं सदैव यह कामना करूँगी कि तुम्हें जीवन की हर परीक्षा में प्रथम आने का सौभाग्य प्राप्त हो तथा तुम इसी प्रकार अपने परिवार और मित्र गणों का गौरव बढ़ाते रहो। एक बार फिर से हार्दिक-हार्दिक अभिनंदन दोस्त और भविष्य के लिए ढेरों सारी शुभकामनाएँ।

तुम्हारा/तुम्हारी,

सुमित/सुमिता

(2) कहानी-लेखन :

‘समय सूचकता का महत्त्व’

एक परिवार में एक लड़की उसके माँ-पापा और दादी के साथ रहती थी। माँ और पापा दोनों ऑफिस जाते थे। एक दिन वह लड़की दादी के साथ घर पर थी, तभी दादी की तबियत अचानक बिगड़ गयी। उसकी दादी

अस्थमा रोगी थी। अचानक उसे श्वासोच्छवास में दिक्कत आती है। तब लड़की उस समय सूचकता दिखाते हुए प्रथमोपचार में दादी के पास रखा अस्थमा स्प्रे देती है और डॉक्टर को फोन लगाकर घर पर बुलवाती है।

डॉक्टर के आने तक लड़की दादी को एक-दो बार स्प्रे देकर उसका उपचार करती है। डॉक्टर आते हैं, डॉक्टर दादी का चेकअप करते हैं और उन्हें स्लाईन देने की सलाह देते हैं और कहते हैं, कि दादी की तबियत गंभीर हो गई है, अगर मेरे आने तक उन्हें अस्थमा स्प्रे न मिला होता तो उनकी तबियत और बिगड़ सकती थी शायद दादी अपनी जान भी गँवा सकती थीं और डॉक्टर दादी को स्लाईं चढ़ाते हैं।

दादी की जान बच जाती है। शाम को लड़की के माँ-पापा ऑफिस से घर आते हैं, सब डॉक्टर और माँ-पापा दोनों लड़की की प्रशंसा करते हुए कहते हैं शाबास बेटी! हमें तुम पर गर्व है।

अथवा

गद्य-आकलन प्रश्न :

(1) देश की सभ्यता का मापदंड क्या है ?

(2) यातायात के साधनों को सुलभ बनाने में किसने योगदान दिया है ?

(3) व्यापार से यातायात के कौन-से साधनों को प्रोत्साहन मिला ?

(4) व्यापार में क्या सम्मिलित है ?

(आ) (1) विज्ञापन :

निम्नलिखित जानकारी के आधार पर लगभग 50 से 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए :

(2) निबंध-लेखन:

निम्नलिखित किसी एक विषय पर लगभग 70 से 80 शब्दों में निबंध लिखिए :

  1. समय का सदुपयोग
  2. मैं पृथ्वी बोल रही हैं

उत्तर : (आ) (1) विज्ञापन :

(2) निबन्ध-लेखन :

  1. समय का सदुपयोग

मनुष्य के जीवन में समय की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। आधुनिक युग में तो समय की महत्ता और भी बढ़ गई है। आज समय गँवाने का अर्थ हैं प्रगति की राह से स्वयं को पीछे धकेलना। प्रत्येक क्षण महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि जो पल एक बार गुजर जाते हैं वे कभी भी वापिस नहीं आते। जीवन में यह आवश्यक है कि यदि हम एक अच्छा और सफल जीवन व्यतीत करना चाहते हैं तो हम समय के महत्त्व को समझें और हर क्षण को उसकी पूर्णता के साथ जिएँ।

समय ही विश्व का निर्माता और विनाशक है। यह सदैव गतिमान है। किसी विशेष व्यक्ति के लिए यह कभी नहीं रुकता है। जो व्यक्ति आलस्य के कारण समय को नष्ट कर देते हैं, समय उन्हें नष्ट कर देता है। इस दुनिया में समय के मूल्य को समझना बहुत ही आवश्यक है।

काम करते समय जीवन में इस मूल मंत्र को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि-‘ आज का काम आज करें कल के लिए नहीं छोड़ें अर्थात् कल करने वाला काम आज करो और आज करने वाला काम इसी वक्त पूर्ण करो वरना यह समय इस प्रकार से अपना करवट बदलेगा कि इसे पकड़ पाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। समय का सदुपयोग करने के लिए सभी को बचपन से ही अच्छी आदतें लाना चाहिए। अच्छी आदतों में समय के सदुपयोग को हमें सर्वप्रथम प्राथमिकता देनी चाहिए। समय का सही उपयोग करके अपने राष्ट्र, समाज व परिवार के लिए कुछ बड़ा और अच्छा काम करते हैं। उनके महान् कार्यों से देश का नाम पूरे विश्व में ऊँचा होता है। इसलिए समय का सही उपयोग करें और अपने जीवन को सफलता के शिखर पर लेकर जाएँ।

  1. मैं पृथ्वी बोल रही हूँ……………………………….

मैं पृथ्वी हूँ। मुझ में ही सब कुछ बसा हुआ है। पेड़-पौधे जो सभी को ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और खुद कार्बन डाईऑक्साइड ग्रहण करके जीव-जंतु, मनुष्य को जीवन दान देते हैं। वह सभी मेरी ही गोद में जन्म लेते हैं। एक तरह से मैं इन सबकी माता हूँ लेकिन बहुत-सी प्रजातियों का विनाश भी मेरे भीतर ही होता है। मेरा जन्म कैसे हुआ इसके बारे में सभी के अलग-अलग मत हैं। मेरा आकार गोलाकार है।

मैं किसी के साथ बिलकुल भेद्भाव नहीं करती। मैं सबको हवा, पानी आदि बराबर देती हूँ। मैं किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाती। इंसान ही मुझे नुकसान पहुँचाकर अपना नुकसान करता है। कहते हैं कि अगर आप अपने ऊपर पत्थर फेंकोगे तो पत्थर आपके ऊपर ही गिरेगा, उसी तरह मनुष्य मुझे बहुत नुकसान पहुँचा रहा है। आज मुझ पर बहुत सारी हानिकारक पॉलिथीन मिलती हैं जो मेरे लिए हानिकारक हैं।

मनुष्य अपने थोड़े से फायदे के लिए मेरे अंदर रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करके मुझे बंजर कर देते हैं, इससे धरती को बहुत नुकसान पहुँचता है। आज इस पृथ्वी पर मनुष्य ने बहुत सारे प्रदूषण किए हैं। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण। इन्ही प्रदूषणों के कारण मनुष्यों को बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

पृथ्वी के ऊपर बहुत सारे ऐसे वीर और महायोद्धाओं ने जन्म लिया है, जिन पर मुझे गर्व है। मेरी गोद में ही दानवीर कर्ण जैसे महादानी ने जन्म लिया है। भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर पापियों को हमेशा के लिए नष्ट कर दिया, जिनको मैं हमेशा याद रखूँगीं।