SSC HINDI ENTIRE MARCH 2019 solved paper

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MARCH 2019

HINDI (ENTIRE)

विभाग 1-गद्य : 24 अंक

प्रश्न 1.

(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :*

दूसरे दिन रहमान सवेरे आठ-नौ बजे के करीब लक्ष्मी को इलाके से बाहर जहाँ नाला बहता है, जहाँ झाड़-झंखाड़ और कहीं दूब के कारण जमीन हरी नजर आती है, छोड़ आया ताकि वह घास इत्यादि खाकर अपना कुछ पेट भर ले। लेकिन माँ-बेटे को यह देखकर आरचर्य हुआ कि लक्ष्मी एक- डेढ़ घंटे बाद ही घर के सामने खड़ी थी। उसके गले में रस्सी थी। एक व्यक्ति उसी रस्सी को हाथ में थामे कह रहा था-“यह गाय क्या आप लोगों की है ?”

रमजानी ने कहा, “हाँ।”

“यह हमारी गाय का सब चारा खा गई है। इसे आप लोग बाँधकर रखें नहीं तो काँजी हाउस में पहुँचा देंगे।”

रमजानी चुप खड़ी आगंतुक की बातें सुनती रही।

दोपहर बाद जब करामत अली इयूटी से लौटा और नहा-धोकर कुछ नाशते के लिए बैठा तो रमजानी उससे बोली-“मेरी मानो तो इसे बेच दो।”

“फिर बेचने की बात करती हो ……………………. ? कौन खरीदेगा इस बुढ़िया को।”

(1) संजाल पूर्ण कीजिए।

(2) केवल एक/दो शब्दों में उत्तर लिखिए:

(i) करामत अली इस समय ड्यूटी से लौटा ………………………………

(ii) दूसरों की गाय का चारा खानेवाली ………………………………

(iii) रमजानी इसकी बातें सुनती रही ………………………………

(iv) लक्ष्मी को देखकर आश्चर्यचकित होने वाले ………………………………

(3) (i) वचन परिवर्तन कीजिए :
(1) इलाके- (2) रस्सी-

(ii) लिंग परिवर्तन कीजिए :

(1) बेटा- (2) गाय-

(4) ‘जानवरों के प्रति हमदर्दी’ विषय पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर 1.

(अ) Answer is not given due to the change in reduced syllabus.

(आ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

गाड़ी ले हम चल पड़े। क्या शान की सवारी थी। याद कर बदन में झुरझुरी आने लगी है। जिसके यहाँ खाना था, वहाँ पहुँचा। बातचीत में समय का ध्यान नहीं रहा। देर हो गई।

याद आया बाबू जी आ गए होंगे।

वापस घर आ फाटक से पहले ही गाड़ी रोक दी। उतरकर गेट तक आया। संतरी को हिदायत दी। यह सैलूट-वैलूट नहीं, बस धीरे से गेट खोल दो। वह आवाज करे तो उसे बंद मत करो, खुला छोड़ दो।

बाबू जी का डर। वह खट-पट सैलूट मारेगा तो आवाज होगी और फिर गेट की आवाज से बाबू जी को हम लोगों के लौटने का अंदाजा हो जाएगा। वे बेकार में पूछताछ करेंगे। अभी बात ताजा है। सुबह तक बात में पानी पड़ चुका होगा। संतरी से जैसा कहा गया, उसने किया। दबे पैर पीछे किचन के दरवाजे से अंदर घुसा। जाते ही अम्मा मिलीं।

पूछा-“बाबू जी आ गए ? कुछ पूछा तो नहीं ?”

बोली-“हाँ, आ गए। पूछ्ध था। मैने बता दिया।”

(1) उत्तर लिखिए :

लेखक द्वारा संतरी को दी गई दो सूचनाएँ :

(i) ……………………………… (ii) ………………………………

(2) लिखिए :

(i) शान की सवारी याद आने का परिणाम ………………………………

(ii) बातचीत में समय बिताने का परिणाम ………………………………

(3) (क) गद्यांश से ऐसे दो शब्द ढूँढ़कर लिखिए जिनका वचन परिवर्तन से रूप नहीं बदलता :

(i) ………………………………

(ii) ………………………………

(ख) गद्यांश में प्रयुक्त शब्द-युग्म ढूँढ़कर लिखिए :

(i) ………………………………

(ii) ………………………………

(4) ‘दादा-दादी के प्रति मेरा कर्तव्य’ विषय पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर :

(आ) (1) लेखक द्वारा संतरी को दी गई दो सूचनाएँ :

(i) गेट धीरे से खोल दो।

(ii) गेट आवाज करे तो उसे बंद मत करो, खुला ही छेड़ दो।

(2) (i) शान की सवारी याद आने का परिणाम बदन में छुरशुरी आने लगी।

(ii) बातचीत में समय बिताने का परिणाम देर हो गई।

(3) (i) (1) गेट

(2) किचन

(ii) शब्द-युग्म
(1) सैलूट-वैलूट
(2) खट-पट

(4) दादा-दादी के साथ हमें अच्छा व्यवहार करना चाहिए। उन्हें अकेलापन महसूस न हो इसलिए उनके लिए समय निकालना चाहिए। उनके खान-पान के साथ उनकी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें मान-सम्मान देना चाहिए और उन्हें स्वेच्छा से काम करने देना चाहिए, क्योंकि जो लोग स्वेच्छा से कार्य करते हैं वे सेहतमंद और खुश रहते हैं।

(इ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए।

संस्कृति ऐसी चीज नहीं है कि जिसकी रचना दस-बीस या सौ-पचास वर्षों में की जा सकती हो। अनेक शताब्दियों तक एक समाज के लोग जिस तरह खाते-पीते, रहते-सहते, पढ़ते-लिखते, सोचते-समझते और राज-काज चलाते अथवा धर्म-कर्म करते हैं, उन सभी कार्यों से उनकी संस्कृति उत्पन्न होती है। हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें हमारी संस्कृति की झलक होती है। यहाँ तक कि हमारे उठने-बैठने, पहनने-ओढ़ने, घूमने-फिरने और रोने-हँसने में भी हमारी संस्कृति की पहचान होती है। हमारा कोई भी काम हमारी संस्कृति का पर्याय नहीं बन सकता । असल में संस्कृति जिंदगी का एक तरीका है और यह तरीका सदियों से जमा होकर उस समाज में छाया रहता है, जिसमें हम जन्म लेते हैं। इसलिए जिस समाज में हम पैदा हुए हैं, अथवा जिस समाज से मिलकर हम जी रहे हैं, उसकी संस्कृति हमारी संस्कृति है।

(1) घटक लिखिए :

(2) विधानों को पढ़कर केवल सही अथवा गलत लिखिए :

(i) समाज के लोगों के कार्यों से उनकी संस्कृति उत्पन्न होती है

(ii) हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें हमारी संस्कृति की झलक नहीं होती

(iii) जिस संस्कृति में हम पैदा हुए हैं उसकी संस्कृति हमारी संस्कृति है

(iv) संस्कृति जिंदगी का तरीका नहीं है

(3) दी गई सूचना के अनुसार लिखिए :

(4) ‘पाश्चात्य संस्कृति का बढ़ता प्रभाव’ अपने विचार लिखिए।

उत्तर :

(इ) (1)

(2) (i) सही, (ii) गलत, (iii) सही, (iv) गलत

(3)

(4) ‘सादा जीवन उच्च विचार’ हमारी संस्कृति की परम्परा मानी जाती है, परंतु पाश्चात्य संस्कृति का जीवन में प्रवेश होने से वह परिभाषा कहाँ चली गई पता ही नहीं चला। जिस समाज में हम रहते है, वहाँ का वातावरण, सभ्यताएँ, मर्यादाएँ, नैतिक मूल्य कुछ और ही है, ऐसे में जब हम पहनावे में, उसकी खुली सोच और खुलेपन का अंधानुकरण करते हैं तो हमारे वातावरण में नग्नता दिखाई देती हैं। संस्कृति का उद्देश्य मानव जीवन को सुंदर बनाना है, परंतु पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण जीवन का लक्ष्य गलत और झुठी सभ्यता की ओर मुड़ रहा है।

विभाग 2-गद्य : 18 अंक

प्रश्न 2.

(अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

आपसे किसने कहा स्वर्णिम शिखर बनकर दिखो,

शॉक दिखने का है तो फिर नींव के अंदर दिखो।

चल पड़ी तो गर्द बनकर आसमानों पर लिखो,

और अगर बैठो कहीं तो मील का पत्थर दिखो।

सिर्फ देखने के लिए दिखना कोई दिखना नहीं,

आदमी हो तुम अगर तो आदमी बनकर दिखो।

जिंदगी की शक्ल जिसमें टूटकर बिखरे नहीं,

पत्थरों के शहर में वो आईना बनकर दिखो।

(1) उचित जोड़ियाँ मिलाइए :

‘अ’उत्तर‘आ’
(i)शिखर…………….गर्द
(ii)आसमान…………….जिंदगी
(iii)पत्थर…………….स्वर्णिम
(iv)शक्ल…………….मील

(2) उत्तर लिखिए :

(3) प्रथम चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।

उत्तर : 2.

(3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि मनुष्य को कहते हैं कि बड़े मत बनो, गुणवान बनो। वे कहते हैं अगर आपको कुछ बनना है तो जरूरतमंद लोगों का आधार बनो, सोने का शिखर बनने की जरूरत नहीं हैं। अगर आपको कुछ करना हैं, तो अच्छे कर्म करो और सबको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करो। कुछ ऐसा करो जिससे आपके कार्य से लोग प्रभावित हो।

(आ) निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर पद्य विश्लेषण कीजिए :

भारत महिमा अथवा समता की ओर

मुद्दे :

(1) रचनाकार का नाम

(2) रचना की विधा

(3) पसंद की पंक्तियाँ

(4) पंक्तियाँ पसंद होने का कारण 1

(5) रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा

उत्तर :

(आ) ‘भारत महिमा’

मुहे :

(1) रचनाकार का नाम : जयशंकर प्रसाद

(2) रचना की विधा : कविता

(3) पसंद की पंक्तियाँ : जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।

(4) पंक्तियाँ पसंद होने के कारण : इन पंक्तियों में हमारे भारत देश पर हमारा सब कुछ न्यौछावर करने का उल्लेख है। हमारे भारत वर्ष का इतिहास बहुत गौरवशाली है, प्यारा है और हमें गर्व है कि हम भारतवासी हैं। हम जिएँगे तो इसी के लिए तथा मरेंगे तो इसी के लिए।

(5) रचना से प्राप्त संदेश/प्रेरणा : हमें सदैव अपने देश और संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। जब भी आवश्यकता पड़े अपना सर्वेस्व न्यौछवर करने के लिए तत्पर रहना चाहिये।

अथवा

‘समता की ओर’

(1) रचनाकार का नाम : मुकुटधर पांडेय जी

(2) रचना की विधा नविता

(3) पसंद की पंक्तियाँ “वे खाते हैं हलुवा-पूड़ी, दूध-मलाई ताजी उन्हें नहीं मिलती पर सूखी रोटी और न भाजी।”

(4) पंक्तियाँ पसंद होने के कारण : इन पंक्तियों में कवि ने निर्धन और धनवान के जीवन का सजीव वर्णन किया है। धनवान लोग हलवा-पूरी दूध मलाई ताजी खाते हैं, वहाँ निर्धन लोगों को सूखी रोटी और भाजी भी नसीब नहीं होती हैं। दिल को हिला देने वाली यह पंक्तियाँ मन को भाती है।

(5) रचना से प्राप्त संदेश-प्रेरणा : प्रस्तुत रचना से हमें यह संदेश मिलता है, कि समाज में रहते हुए धनवान लोगों को निर्धन, गरीब लोगों के प्रति हमदद्दी होनी चाहिए। गरीब भाईयों की भलाई के बारे में सोचना चाहिए।

(इ) निम्नलिखित अपठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

नदी निकलती है पर्वत से, मैदानों में बहती है।

और अंत में मिल सागर से, एक कहानी कहती है।

बचपन में छेटी थी पर मैं, बड़े वेग से बहती थी।

आँधी-तूफाँ, बाढ़-बवंडर, सब कुछ हँसकर सहती थी।

मैदानों में आकर मेंने, सेवा का संकल्प लिया।

और बना जैसे भी मुझसे, मानव का उपकार किया।

अंत समय में बचा शेष जो, सागर को उपहार दिया

सब कुछ अर्पित करके अपने, जीवन को साकार किया।

(1) कृति पूर्ण कीजिए :

(2) ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर निम्न शब्द हों :
(i) सागर
(ii) छोटी

(3) प्रस्तुत पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।

उत्तर :

(इ) (1)

(2) (i) सागर : नदी अंत में किससे मिलती है।

(ii) छेटी : नदी बचपन में कैसी थी ?

(3) प्रस्तुत पद्यांश में नदी अपनी कहानी बता रही है वह कहती है, कि मैदानों में जब बहकर आती है, तब वह लोगों की सेवा करती है। कभी खेतों में फसलों को पानी देकर, तो कभी मानव के लिए जो भी उससे बन पाता है, उसी रूप में वह मानव की सेवा करती है। उन पर उपकार करती हैं। अंत में जो भी शेष पानी बचता है, उनको लेकर वह बहती हुई सागर को मिलती है। सागर में मिलकर एक प्रकार से उसको उपहार देती हैं। नदी पर्वत से निकलती है, मैदानों में बहती है, अपना सब कुछ वह अर्पण करती है, और अपने जीवन को साकार बनाती है।

विभाग 3-पूरक पठन : 8 अंक

प्रश्न 3.

(अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

रात का समय था। बुद्धिराम के द्वार पर शहनाई बज रही थी और गाँव के बच्चों का जुंड विस्मयपूर्ण नेत्रों से गाने का रसास्वादन कर रहा था। चारपाइयों पर मेहमान विश्राम कर रहे थे। दो-एक अंग्रेजी पढ़े हुए नवयुवक इन व्यवहारों से उदासीन थे। वे इस गँवार मंडली में बोलना अथवा सम्मिलित होना अपनी प्रतिष्ठा के प्रतिकूल समझते थे।

आज बुद्धिराम के बड़े लड़के मुखार का तिलक आया था। यह उसी का उत्सव था। घर के भीतर स्त्रियाँ गा रही थीं और रूपा मेहमानों के लिए भोजन के प्रबंध में व्यस्त थी। भट्ठियों पर कड़ाह चढ़ रहे थे। एक में पूड़ियाँ-कचौड़ियाँ निकल रही थी, दूसरे में अन्य पकवान बन रहे थे। एक बड़े हंडे में मसालेदार तरकारी पक रही थी। घी और मसाले की क्षुधावर्धक सुंगध चारों ओर फैली हुई थी।

(1) उत्तर लिखिए :

मुखराम के तिलक उत्सव की तैयारियाँ :

(i) …………………………………

(ii) ………………………………

(2) ‘उत्सवों का बदलता स्वरूप’ अपने विचार लिखिए।

उत्तर :

(अ) (1) (i) घर के भीतर स्त्रियाँ गा रही थी।

(ii) रूपा मेहमानों के लिए भोजन के प्रबंध में व्यस्त थी।

(2) हमारा देश उत्सर्वों का देश है। पूरे वर्ष भर किसी न किसी उत्सव या त्यौहार को मनाने का सिलसिला चलता रहता है। आज त्योहारों का स्वरूप बदलने लगा है। अपनी सुविधा के अनुसार नयी पीढ़ी ने इसे नया रूप दिया है। परंपरा और आधुनिकता का ये संगम उत्सवों को और खूबसूरत बना रहा हैं। परिवर्तन वक्त की जरूरत हैं परंतु परिवर्तन सही और अच्छा होना चाहिए।

(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

सितारे छिपे

बादलों की ओट में

सूना आकाश।

तुमने दिए

जिन गीतों को स्वर

हुए अमर।

सागर में भी

रहकर मछली

प्यासी ही रही।

(1) तालिका पूर्ण कीजिए :

स्थितिनिवास स्थान
मछ्ली………………..………………….
सितारे……………………………………

(2) ‘रात में सितारे आकाश की शोभा बढ़ाते हैं’ अपने विचार लिखिए।

उत्तर :

(अ) (1)

स्थितिनिवास स्थान
मछलीप्यासीसागर
सितारेछिपनाआकाश

(2) आकाश में सूरज, चाँद और तारों की दुनिया बहुत अनोखी है। शहरों की अपेक्षा गाँवों में आकाश में टिमटिमाते सितारे देखने में और अधिक आंनद आता है, क्योंकि गाँव में बिजली की रोशनी की चकाचाँध कम होती है। हमें आकाश के तारे एक जैसे ही दिखते हैं, परन्तु तारे एक ही रंग के नहीं होते हैं। रात में आकाश में टिमटिमाते सितारों को देखकर मन प्रसन्न होता है। ऐसा सुंदर दृश्य शहरों में कम दिखायी देता है। टिमटिमाते सितारे मानो आकाश में सैर कराने के लिए हमें आमंत्रित कर रहे हो।

विभाग 4 -भाषा अध्ययन (व्याकरण) : 18 अंक

प्रश्न 4. सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

(1) (i) अधोरेखांकित शब्द का भेद पहचानकर लिखिए :

उस आश्रम का विज्ञापन अखबार में नहीं दिया जाए।

(ii) निम्नलिखित शब्द का प्रयोग अपने वाक्य में कीजिए :

‘आलीशान’

(2) (i) निम्नलिखित वाक्य में प्रयुक्त अष्यय ढूँढ़कर उसका भेद लिखिए :

रतन, धीरे-धीरे चल।

(ii) निम्नलिखित अव्यय का अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए :

की ओर

(3) सूचना के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिल से लिखिए :

(i) शरीर को कुछ समय के लिए विश्राम मिल गया था। (सामान्य वर्तमानकाल)

(ii) वह मुझे बहुत प्रभावित कर रहा है। (पूर्ण भूतकाल)

(4) तालिका पूर्ण कीजिए :

संधि शब्दसंधि-विच्छेद्संधि भेद
निष्कपट……………..
…..सत् + भावना

(5) (i) निम्नलिखित वाक्य का रचना के आधार पर भेद लिखिए :

हमदर्दी जताने वालों में वे लोग जरूर आएँगे, जिनकी हम सूरत भी नहीं देखना चाहते।

(ii) सूचना के अनुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए :

क्या ! उस गली में पेड्ड भी हैं।

(निषेधार्थक वाक्य)

(6) (i) मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :

( शेखी बधारना)

(ii) अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए :

( मुँह लटकाना, मुँह लगना)

खेल में चयन न होने के कारण अमर निराश होकर बैठ गया।

(7) वाक्य शुद्ध करके फिर से लिखिए :

(i) उन्होंने पुस्तक लौटा दिया।

(ii) हमारी सामाजिक विचारधारा से बड़ी भारी दोष है।

(8) निम्नलिखित वाक्य से सहायक क्रियाएँ पहचानकर लिखिए :

(i) एक टैक्सी कमरे के सामने आकर रुकी।

(ii) मैं आपके बारे ही सोचता रहा।

(9) प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए :

क्रियाप्रथम प्रेरणार्थकद्वितीय प्रेरणार्थक
सूखना.……………..

(10) वाक्य में प्रयुक्त कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए :

चाची अपने कमरे से निकल रही थी।

कारक चिह्न …………………………………….

भेद …………………………………….

(11) वाक्य में यथास्थान विराम-चिह्नों का प्रयोग कीजिए :

घूम फिरकर शाम को हम कलिंगवुड बीच पर पहुँचे

उत्तर : 4.

(1) (i) शब्द का भेद आश्रम : तत्सम शब्द

(ii) ‘आलीशान’ विक्रांत उस आलीशान बंगले का मालिक है।

(2) (i) अव्यय : धीरे-धीरे भेद : रीतिवाचक क्रिया-विशेषण अव्यय

(ii) की ओर मुन्ना चाँद की ओर देख रहा था।

(3) (i) शरीर को कछ समय के लिए विश्राम मिल गया।

(4)

संधि शब्दसंधि-विच्छेदसंधि भेद
निष्कपटनि: + कपटविसर्ग संधि
सद्भावनासत् + भावनाव्यंजन संधि

(5) (i) मिश्रवाक्य (ii) उस गली में पेड़ भी नर्हीं है।

(6) (i) शेखी बघारना : अर्थ-घमंड दिखाना-डींग हाँकना अथवा योग्यता दिखाने के लिए बढ़-चढ़कर बोलना वाक्य में प्रयोग -कुछ लोग सिर्फ शेखी बघारना जानते हैं।

(ii) खेल में चयन न होने के कारण अमर मुँह लटकाकर बैठ गया।

(7) (i) उन्होंने पुस्तक लौटा दी है

(ii) हमारी सामाजिक विचारधारा में बड़ा दोष है।

(8) (i) रुकी।

(ii) रहा।

(9)

क्रियाप्रथम प्रेरणार्थकद्वितीय प्रेरणार्थक
सूखनासुखानासुखवाना

(10) कारक चिह्न – से भेद -अपादान

(11) घूम-फिरकर शाम को हम कलिंगवुड बीच पर पहुँचे।

विभाग 5-रचना विभाग (उपयोजित लेखन) : 32 अंक

सूचना : आवश्यकतानुसार परिच्छेदों में लेखन अपेक्षित है।

प्रश्न 5.

(अ) (1) पत्र-लेखन :

निम्नलिखित जानकारी के आधार पर पत्र-लेख्रन कीजिए:

अनय/अनया पाटील, ‘गीतांजली’, गुलमोहर रोड, अहमदनगर से अपनी छोटी बहन अमिता पाटील, 3 , ‘श्रीकृपा’, शिवाजी रोड, नेवासा को राज्यस्तरीय कबड्डी संघ में चयन होने के उपलक्ष्य में अभिनंदन करने हेतु पत्र लिखता है/लिखती है।

अथवा

अर्चित/अर्चिता भोसले, 54 शांतिनगर, नाशिक से अपने परिसर के उद्यान की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, आयुक्त, महानगर परिषद, नासिक को पत्र लिखता है/लिखती है।

(2) गद्य आकलन-प्रश्न निर्मिति :

निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे पाँच प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हो।

दक्षिण और परिचमी भारत में स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा समाज सेवा की एक पुरानी परंपरा है। सादा जीवन, उच्च विचार और कठिन परिश्रम। इस पंरपरा में अनेक स्वैच्छिक संस्थाएँ विकसित हुई हैं। उनमें से कुछ संस्थाएँ पर्यावरण की सुरक्षा में भी काम कर रही हैं। इन संस्थाओं को काफी पढ़े-लिखे लोगों, वैज्ञानिकों और शिक्षकों का सामयिक सहयोग मिलता रहता है। अभाग्यवश अनेक स्वैच्छिक संस्थाएँ दलगत राजनीति में अधिक विश्वास करती हैं और उनके आधार पर सरकारी सहायता लेने का प्रयास करती हैं। पर्वतीय क्षेत्र में सादगी की अभी यही व्यवस्था चलती है और इसलिए ‘ चिपको’ आंदोलन बहुत हद तक सफल हुआ है। ‘गाँधी शांति प्रतिष्ठान’ तथा कुछ गांधीवादी संगठनों ने भी इस दिशा में प्रशंसनीय कार्य किया है। सरला बहन ने अल्मोड़ा में इस काम की शुरूआत तब की थी जबकि पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता नहीं थी। श्री प्रेमभाई और डॉ. रागिनी प्रेम ने मिर्जापुर में पर्यावरण पर प्रशंसनीय काम किया है।

उत्तर : 5.

(अ) (1)

अनय/अनया पाटील

‘गीतांजली, गुलमोहर रोड,

अहमदनगर।

20 मार्च,

प्रति

अमिता पाटील

‘श्रीकृपा’

शिवाजी रोड, नेवासा।

प्रिय बहन अमिता !

स्नेहाशीष!

सुबह माँ को फोन किया तब पता चला कि तुम्हारा राजस्तरीय कबड्डी संघ में चयन हुआ है। इस समाचार को सुनकर मन खुशी से भर गया। तुम्हारी जिद और मेहनत देखकर मुझे विश्वास था कि तुम्हारा राग्यस्तरीय कबड्डी संघ में चयन अवश्य होगा। तुम्हारी इस सफलता के लिए हार्दिक अभिनंदन! माँ ने यह बताया है, कि तुम आगे की तैयारी में लगी हो। स्कूल, क्लास सब प्रबन्धन करके कबड्डी की प्रैक्टिस जोरों से शुरू है। मुझे पूरी आशा है, कि तुम्हारा परिश्रम रंग दिखायेगा। तुम्हारे राग्यस्तरीय चयन से ही यह सिद्ध हो गया है कि दृढ़ संकल्प और कठिन परिश्रम से हम हमारे लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं। मैं यही कामना करूँगी कि तुमें राज्य स्तर पर भी कामयाबी मिले। तुमें अपने संघ को सफलता प्राप्त करवाने का सौभाग्य प्राप्त हो। इसी प्रकार अपने विद्यालय और परिवार का गौरव बढ़ाती रहो। एक बार फिर से हार्दिक अभिनंदन और आगे के लिए ढेरों शुभकामनाएँ! घर पर माँ और पापा को मेरा प्रणाम और अपना ध्यान रखना।

तुम्हारी बहन,

अनया

अथवा

अर्चित/अर्चिता भोसले

54 , शांतिनगर

नासिक ( 20 मार्च, 2019)

सेवा में,

आयुक्त

महानगर परिषद,

नासिक।

विषय:- अपने परिसर के उद्यान की दुर्दशा के सदंर्भ में शिकायत।

महोदय,

मैं एक स्थानीय नागरिक हुँ। बहुत दुःख की बात है, कि कुछ दिनों से शांति नगर परिसर के उद्यान की दुर्दशा और उससे उत्पन्न बीमारियों की ओर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ।

उद्यान में लोग मन शांति, प्रसन्ता के लिए आते हैं, परंतु उद्यान की दुर्दशा देखकर मन दुःखी होता है। कचरा कुंडियों में पिछले कई दिनों से वैसा ही पड़ा है।

उद्यान की साफ-सफाई नियमित नहीं हो रही है। उद्यान का सुरक्षा गार्ड गायब रहता है। इस कारण उद्यान के पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं। कचरा-कूडा जमा हो जाने के कारण मच्छर और अन्य कीटाणु बढ़ रहे हैं। जिस कारण, डँंगू, मलेरिया ज्वर जैसी छोटी-मोटी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। बच्चों का उद्यान में खेलना मुरिकल हो रहा है। बढ़े-बूढ़ों को तकलीफ हो रही है।

में इस पत्र के द्वारा महानगर परिषद के अधिकारियों को सचेत कराना चाहता हूँ कि शांतिनगर परिसर के उद्यान की दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए उसकी देखभाल की ओर ध्यान दें। बच्चे और बढ़े-बूढ़ों की तकलीफों को दूर करें। उससे फैलने वाले प्रदूषण को रोकें। परिसर के आसपास के नागरिकों के स्वास्थ्य का ख्याल करें। इस संबंध में आप तत्काल उचित कदम उठाएँगे।

आपके सहयोग की अपेक्षा है।

भवदीय

अर्चित/अर्चिता भोसले

(2) (i) स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा समाजसेवा की एक पुरानी परंपरा कहाँ पर है ?

(ii) कुछ संस्थाएँ कौन-सा काम कर रही हैं ?

(iii) अभाग्यवश अनेक स्वैच्छिक संस्थाएँ किसमें अधिक विश्वास करती है ?

(iv) किस-किसने प्रशंसनीय कार्य किया है ?

(v) श्री प्रेमभाई और डॉ. रागिनी प्रेम ने कहाँ और किस संदर्भ में प्रशंसनीय काम किया है ?

(आ) (1) वृत्तांत लेखन :

आदर्श प्रशाला, अमरावती में संपन्न ‘वाचन प्रेरणा दिन’ समारोह का लगभग 60 से 80 शब्दों में वृत्तांत लिखिए

(वृत्तांत में स्थान, समय, घटना का उल्लेख आवश्यक है।)

(2) विज्ञापन लेखन :

निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर लगभग 60 शब्दों में आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।

(3) कहानी लेखन :

निम्नलिखित शब्दों के आधार पर लगभग 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखिए तथा उचित शीर्षक दीजिए:

भिखारी-भीख माँगना-एक व्यक्ति का रोज देखना-फूलों का गुच्छ देना-भिखारी का फूल बेचना-मंदिर के सामने दुकान खोलना।

उत्तर :

(आ) (1) वृत्तांत लेखन :

‘वाचन प्रेरणा दिन’

अमरावती आदर्श प्रशाला में दि. 15 अक्टूबर, 1997 को हमारे पूर्व राष्ट्रपति एवं महान वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जन्मदिन के अवसर पर हर साल की तरह मनाया गया। 15 अक्टूबर को कलाम साहब का जन्म हुआ था इसलिए उसी दिन ‘वाचन प्रेरणा दिवस’ मनाया जाता है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकप्रिय आयुक्त श्री संचय निपाणे ने की। प्रशाला के निरीक्षक श्री यशाराज देशापांडे ने अध्यक्ष महोदय का संक्षिप्त परिचय दिया।

प्रशाला के प्रधानाचार्य के अनुरोध पर अध्यक्ष महोदय ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की तस्वीर को पुष्पमाला पहनाकर वंदन किया। अध्यक्ष महोदय ने अपने भाषण में ‘ वाचन’ का महत्त्व बताते हुए वाचन की प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि कलाम साहब पढ़ने के काफी शौकीन थे। इसलिए महाराष्ट्र के हर कोने में स्कूलों एवं कॉलेजों में ‘ वाचन प्रेरणा दिन’ खास तरीके से मनाया जाता है। प्रधानाचार्यजी और अध्यापकों ने भी भाषण दिए।

इस अवसर पर विद्यार्थियों ने भी ‘वाचन प्रेरणा’ का महत्त्व बताने वाली छोटी ‘नाटिका’ पेश की। प्रशाला के उपप्राचार्यजी ने अध्यक्ष महोदय के प्रति और आमंत्रित मेहमानों के प्रति आभार प्रकट किया। इस प्रकार उल्लासपूर्ण वातावरण में राष्ट्रगीत के साथ ‘ वाचन प्रेरणा दिन’ का समारोह संपन्न हुआ।

(2)

वसुंधरा नर्सरी

नर्सरी का चित्र

  • आपके घर या ऑफिस पर पौधे उपलब्ध
  • पौधे आपके घर या ऑफिस पर उपलब्ध
  • पौधे आने की गारंटी
  • मन पसंद पौधे मिलने का एकमात्र ठिकाना
  • देशी-विदेशी पौधे उपलब्ध

संपर्क : वसुंधरा नर्सरी, मालेजी राजे रस्ता, सातारा भ्रमणध्वनी 0901101199951213

(3)

‘प्रेरणा’

एक भिखारी था। वह रोज मंदिर के बाहर भीख माँगता था। मंदिर में आने वाले लोग उसे देखते थे। एक व्यक्ति उसे रोज नियमित रूप से देखता था। उस व्यक्ति ने सोचा भीख माँगने के बजाय मंदिर के बाहर यह भिखारी फूल बेचेगा तो उसे पैसे मिलेंगे। उसे भीख माँगने की जरूरत नहीं है।

एक दिन वह व्यक्ति फूलों का गुच्छा भिखारी को देता है। भिखारी पहले तो अचंभित होता है, कि मुझ जैसे भिखारी को फूलों को गुच्छा! बाद में वह सोचता है, क्यों न मैं इसमें से एक-एक फूल निकालकर बेच दूँ। पैसे भी मिलेंगे। तब वह गुच्छे में से फूल निकालकर बेचने लगा। लोग भिखारी के पास से फूल खरीदकर मंदिर जाने लगे। भिखारी के पास पैसे जमा हुए। उसने उस पैसे से और फूल खरीदे और बेचे।

इस तरह धीरे-धीरे उसका व्यवसाय बढ़ने लगा। वह फूल लाकर बेचने लगा। भिखारी अब भिखारी नहीं रहा, उसने मंदिर के सामने फूलों की दुकान खोली। फूलों के व्यवसाय से एक भिखारी व्यापारी बन गया। वह बहुत संतुष्ट था। जिस व्यक्ति ने उसे फूलों का गुच्छा दिया था वह भिखारी की तरक्की देखकर खुश था, कि उसने एक भिखारी को व्यापारी बनाकर सामाजिकता का काम किया।

(ङ) निबंध लेखन :

निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए:

(1) मैं सड़क बोल रही हैं. ……………………….

(2) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’

उत्तर :

(इ) (1)

मँ सड़क बोल रही हैं

मैं सड़क बोल रही हूँ। आप सब मुझे विविध नामों से जानते हैं। कोई उसे संत तुकाराम मार्ग कहता है, कोई उसे थॉमस रोड। हर धर्म का हर देश का मुझसे नाता है। मैं काली हूँ, मगर सबको पास लाती हूँ। मेरे होने से दुनिया छोटी सी हो गयी है। मेरे होने से खुराहाली आती है। मैं घर और विद्यालय के बीच सेतु हूँ। जरूरत के अनुसार लोग मुझे टेढ़ी, नीची और ऊँची बना देते हैं।

मेरे अच्छे निर्माण से हाईवे बनते हैं। जिस पर ट्रक और भारी वाहन एक जगह से दूसरी जगह सामान ले जाते हैं इसलिए देश की प्रगति आज के युग में विकसित देश की पहचान मुझसे ही होती है। मेरा आरंभिक स्वरूप कच्चा था। उस पर बैलगाड़ी, ऊँटगाड़ी, ताँगा जैसे वाहन चलते थे। फिर कोलतार डालकर पक्की सड़कें बनने लगी। आज के युग में नई तकनीक आ गई है। अब मुझे सीमेंट से बनाने लगे हैं। अपना यह नया रूप मुझे बहुत अच्छा लगता है। दु:ख उस समय होता है, जब लोग मुझे गंदा कर देते हैं, बिना सोचे-समझे पान खाकर मुझ पर थूक देते हैं। लोग खोदकर मुझ पर गड्ढे भी बनाते हैं, तब मेरे शरीर पर बहुत से घाव होते हैं। गड्ढों के कारण अनेक, दुर्घटनाऐं भी होती हैं। मैं साफ-सुथरी रहकर सबको रास्ता दिखाना चाहती हूँ।

क्या इंसान का जीवन भी एक लंबी सड़क के समान नहीं है। शुरू से अंत तक बहुत से लोग हमारे जीवन में आते हैं। कुछ खट्टी, कुछ मीठी यादें छोड़ जाते हैं। जीवन की मुशिकलें उन गड्ढ़ों की तरह हैं, जो सड़क को कुरूप बना देती हैं। जैसे हम सड़क के गड़ढ़े भर देते हैं, वैसे ही जीवन में भी हमें प्रेम, विश्वास व मेहनत से मुशिकलों के गड़ढ़ों को भर कर आगे बढ़ना चाहिए।

जिंदगी में हम सबको भी अच्छे बुरे वक्त का सामना करना पड़ता है। अपने साहस से, बड़ों के आशीर्वाद से हम हर मुश्रिल पर जीत पाकर आगे बढ़ जाते हैं। सुखद भविष्य के लिए हमें सड़क से प्रेरणा लेकर बिना रुके, बिना जुके बिल्कुल सड़क की तरह आगे बढ़ना चाहिए। मुझे विश्वास है, कि एक दिन मेरी इच्छ निश्चित ही पूरी होगी।

(2)

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’

पूरे भारत देश में लड़कियों को शिक्षित बनाने और ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के नाम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लड़कियों के लिए एक योजना की शुरुआत की। 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा में इसका आरंभ हुआ। पूरे देश में हरियाणा में लिंगानुपात 775 लड़कियों पर 1000 लड़कों का है, जो बेटियों की दयनीय स्थिति को दर्शाता है, इसी कारण इसकी शुरुआत हरियाणा राज्य से हुई। देश के 100 जिलों में लड़कियों की स्थिति में सुधार लाने के लिए इसे प्रभावशाली तरीके से लागू किया गया है।

जन्म के बाद लड़कियों को विविध भेदभाव से गुजरना पड़ता है। जैसे शिक्षा स्वास्थ्य, सुरक्षा, खान-पान अधिकार आदि दूसरी जरूरतें हैं, जो लड़कियों को भी प्राप्त होनी चाहिए। महिलाओं को सशक्त बनाने और जन्म से अधिकार देने के लिए सरकार ने इस योजना की शुरूआत की है। हमारे यहाँ एक कहावत हैं-घर की बेटी सीख गयी तो वह पूरे परिवार को प्रगतिशील बनाती है, परंतु अरिक्षित हो तो परिवार भी अरिक्षित रहता है।

लड़कियों की स्थिति को सुधारने और महत्व देने के लिए हरियाणा सरकार 14 जनवरी को ‘बेटी की लोहड़ी’ नाम से एक कार्यक्रम मनाती है। इस योजना का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से लड़कियों को स्वतंत्र बनाना है।

इस कार्यक्रम की शुरूआत करते समय प्रधानमंत्री ने कहा कि, ‘सामान्य लोगों की यह धारणा है कि लड़कियाँ अपने माता-पिता के लिए पराया धन होती है, अभिभावक सोचते हैं, कि लड़के तो उनके अपने होते हैं, जो बुढ़ापे में उनकी देखभाल करेंगे, जबकि लड़कियाँ तो दूसरे घर जाकर अपने ससुराल वालों की सेवा करती हैं। लड़कियों के बारे में 21 वीं सदी में लोगों की ऐसी मानसिकता वाकई शर्मनाक है। जन्म से लड़कियों को पूरे अधिकार देने के लिए लोगों के दिमाग से इसे जड़ से मिटाने की जरूरत है।